Chaitra Navratri : नवरात्रि में जरुर करें इन 10 नियमों का पालन, भूलकर भी न करें यह गलतियां

त्यौहार- चैत्र नवरात्र इस बार 2 अप्रैल से 11 अप्रैल तक चलने वाले हैं। 10 दिन तक चलने वाले इस विशेष पर्व का इंतजार लोग बेसब्री से करते हैं। नवरात्रि में माता के अलग-अलग 9 रुपों की पूजा की जाती है, और इस बार तो अमृत सिद्धि योग (Amrit Siddhi Yoga) और सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है। जिसके कारण नवरात्र का महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है। इन 10 दिनों में श्रद्धालु पूरी तरह से मां की भक्ति लीन रहते हैं, लोग 9 दिन तक मां की उपासना के लिए व्रत रखते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्र में मां के 9 स्वरुपों की पूजा-अर्चना से घर में सुख-समृद्धि आती है। जीवन में शांति और तरक्की के रास्ते खुलते हैं। नवरात्र के इन नौ दिनों में माता की आराधना के लिए कुछ नियम भी होते हैं। जिनका पालन करना बेहद जरुरी होता है। नवरात्र के दिनों में इन नियमों की अनदेखी आपको भारी पड़ सकती है। इसलिए आज हम आपको बता रहे हैं वो 10 नियम,जिन्हें नवरात्रि के व्रत पालने करने से पहले आपको जरुर जान लेना चाहिए ।
- खंड ज्योति- अगर आप नवरात्र में अपने घर में अखंड ज्योत स्थापित करते हैं, घर खाली छोड़कर नहीं जाना चाहिए ।
- सात्विक भोजन- खाने में 9 दिन तक प्याज-लहसुन का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए, शाकाहार का पालन करना चाहिए, नॉनवेज का त्याग रहना चाहिए ।
- दिन में नहीं सोना- नवरात्र के 9 दिनों तक दिन में नहीं सोना चाहिए ।
- चमड़े का प्रयोग वर्जित- व्रत रखने वालों को इन 9 दिनों में चमड़े के पर्स,बेल्ट,जूते-चप्पल,बैग का उपयोग नहीं करना चाहिए ।
- शेविंग की मनाही- व्रत रखने वाले श्रद्धालुओं को 9 दिन तक दाड़ी-मूंछ, बाल नहीं कटवाने चाहिए ।
- एक आसान पर फलाहार- 9 दिन तक व्रत धारियों को एक आसान पर और एक ही जगह पर बैठकर फलाहार ग्रहण करना चाहिए ।
- धूम्रपान निषेध- आम दिनों में शराब,तंबाकू और बीड़ी-सिगरेट जैसे धूम्रपान करने वाले लोगों को इन दिनों में इन सभी व्यसन को त्याग देना चाहिए ।
- ब्रह्मचर्य- 9 दिन तक मां की उपासना करने वाले श्रद्धालुओं को ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना चाहिए। शारीरिक संबंध रखने से आपको व्रत का फल प्राप्त नहीं होता ।
- काल रंग का प्रयोग नहीं- नवरात्र में ध्यान रखें कि काले कपड़े न पहनें ।
- साफ-सफाई- नवरात्रि के व्रत में विशेष तौर पर साफ-सफाई का ध्यान रखें। शुद्धता में ही माता वास करती हैं। इसलिए शुद्धता का खास फोकस होना चाहिए ।




