15 जनवरी को मनेगी मकर संक्रांति

इंदौर- वैसे तो मकर सक्रांति 14 जनवरी को मनती रही है, मगर इस बार 15 जनवरी को मनाई जाएगी, क्योंकि पंचाग केमुताबिक 14 जनवरी को रात 8 बजकर 57 मिनट पर सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करेंगे, मगर विद्वानों के मुताबिक यह त्योहार उदया तिथि से मनाया जाता है, जो कि 15 जनवरी रहेगी। इस दिन पतंगें खूब उड़ाई जाती है, लिहाजा शहर की दुकानों को मांझे के साथ-साथ पतंगों की बिक्री भी शुरू हो गई है। गिल्ली-डंडा खेलने से लेकर महोत्सव के कई आयोजन भी शहर में किए जा रहे हैं। प्रवासियों के लिए भी पतंग महोत्सव रखा गया है। मकर सक्रांति के बाद से ही मांगलिक सहित अन्य शुभ कार्य भी शुरू हो जाते हैं, क्योंकि 16 दिसम्बर से लेकर 14 जनवरी तक खरमास रहता है, जिसके चलते शुभ कार्य नहीं होते।
इस बार 15 जनवरी रविवार को है, लिहाजा उम्मीद है कि बड़ी संख्या में लोग पतंगबाजी करेंगे। हालांकि नए इंदौर में पतंगबाजी कम और पुराने इंदौर में अधिक नजर आती है। ज्योतिषाचार्य और विद्वानों के मुतबिक सूर्य देवता जब मकर राशि में गोचर करते हैं उस समय मकर सक्रांति होती है। इस साल चूंकि 14 जनवरी को रात 8 बजे के बाद सूर्य देव मकर राशि में गोचर करेंगे, जिसके चलते 15 जनवरी को मकर सक्रांति मनाने की सलाह दी गई है। मकर सक्रांति पर पवित्र नदियों में स्नान के साथ-साथ दान-पुण्य का भी बड़ा महत्व है और गायों को चारा भी खिलाया जाता है। वहीं पतंगबाजी तो होती ही है।
इस बार प्रवासी सम्मेलन और समिट के मद्देनजर बड़ी संख्या में प्रवासी भारतीय भी इंदौर आ रहे हैं। उनके स्वागत में भी पतंग महोत्सव का आयोजन किया गया है और अहमदाबाद, राजकोट से विशेष पतंगें बुलवाई गई हैं। दूसरी तरफ शहर में कई पतंगबाज हैं और पुराने भी पतंग उड़ाने के जो शौकीन हैं वे मांजा सूतने के साथ-साथ तैयार मांजा भी खरीदते हैं। शहर में कई स्थानों पर पतंग और मांजे की दुकानें खुल गई हैं। बम्बई बाजार से लेकर काछी मोहल्ला, पाटनीपुरा सहित शहर केे कई इलाकों में ये दुकानें लग गई हैं। हालांकि चायनीज डोर पर हर बार की तरह इस बार भी प्रतिबंध लगा दिया है, क्योंकि की लोगों के गले कट गए। अभी एक खिलाड़ी की मौत भी चायनीज मांजे से हो गई है। देशभर में मकर सक्रांति का पर्व मनाया जाता है और गुजरात में तो जोरदार पतंगबाजी होती है। अहमदाबाद, बड़ोदा से लेकर बड़े शहरों में पतंग महोत्सव के बड़े आयोजन किए जाते हैं। उज्जैन में भी पतंगबाजी की परम्परा पुरानी है। पतंग के साथ-साथ मकर सक्रांति पर गिल्ली-डंडा भी खेला जाता है और तिल-गुड़ के लड्डू, गजक का सेवन भी होता है।




