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महबूब ने महबूबा को दिया मकान

महबूब की मेहंदी यदि कोई महबूबा अपने हाथों में लगाए तो फिर महबूब का भी दायित्व बनता है कि वह अपनी महबूबा के लिए कुछ ऐसी पहचान दे जिसे लोग सदियों तक याद करें। लोग कहते हैं कि मुगल सम्राट शाहजहां ने अपनी पसंदीदा महबूबा मुमताज की याद में ताजमहल बनवा दिया था अब ऐसे में नगर निगम में अतिक्रमण विभाग में कार्य करने वाला कोई व्यक्ति जिसके पास अच्छी खासी कमाई हो वह अपनी महबूबा के लिए क्या एक मकान बनाकर भी नहीं दे सकता। अगर महबूबा अपने महबूब के लिए हुस्न हाजिर कर देती है तो फिर ऐसे में भला कोई महबूब अपनी महबूबा के लिए क्या कुछ हाजिर नहीं कर देता इसकी चर्चा नगर निगम की दीवारों और चेंबर की खुसर फुसर से सुन सकते हैं । पता चला है नगर निगम के अतिक्रमण विभाग में कार्यरत एक व्यक्ति ने अपनी एक महबूबा को मैहर बायपास में एक अच्छा सा मकान बनाकर रहने के लिए दिया है । शाहजहां की परंपरा को आज भी लोग निभा रहे हैं । आज के इस भौतिकवादी दौर में जहां लोगों को दो वक्त की रोटी नसीब नहीं होती वहां एक प्रेमी अपनी पेशी के लिए मकान बना कर दे दे इससे बड़ी बात और क्या हो सकती है । हालांकि नगर निगम के अधिकांश चेंबर में इस तरीके की कहानियां आम है कौन सा इंजीनियर किसके घर जा रहा है कौन सा इंजीनियर किसको गाड़ी में घुमा रहा है इस तरीके की तमाम चर्चाएं शहर के चौराहों में भी होने लगी है लेकिन आश्चर्य इस बात पर हो रहा है किस तरीके की व्यक्तिगत जिंदगी का आनंद जब लोग कार्यालय में भी आकर लेने लगी तो कहीं न कहीं कार्यालय की मर्यादा भी प्रभावित होती है सच्चाई यह है कि नगर निगम के अधिकांश कर्मचारी अपनी व्यक्तिगत जिंदगी को कार्यालय में भी जीने का प्रयास कर रहे हैं जिनसे मोहब्बत करते हैं उन्हें अपनी नजरों से ओझल नहीं देखना चाहते विशाल खबर के इस इशारे से काफी कुछ समझ जाने की जरूरत है । नगर निगम के अगले समाचार में हम फिर एक नई जानकारी उपलब्ध कराएंगे जिसे सुनकर आपको अच्छा लगेगा

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