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मध्य प्रदेश में बाल विवाह रोकने मुखबिरों की लेंगे मदद

भोपाल- हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष 2023 में विवाह के 64 मुहूर्त हैं और मकर संक्रांति के बाद लग्न का सिलसिला शुरू हो गया है। 22 अप्रैल को अक्षय तृतीया है, जो विवाह के लिए अबूझ मुहूर्त कहलाता है। इस एक ही दिन में हजारों विवाह होते हैं। इन मुहूर्तों में चोरी-छिपे बाल विवाह न हों इसके लिए सरकार ने स्थानीय स्तर पर मुखबिर तंत्र विकसित करने के निर्देश दिए हैं। महिला एवं बाल विकास विभाग के संचालक डा. राम राव भोंसले ने कलेक्टरों को पत्र लिखा है कि बाल विवाह की सूचना प्राप्त करने के लिए सूचना तंत्र तैयार करें। इसमें मैदानी कर्मचारियों से लेकर स्थानीय जनता का भी सहयोग लिया जा सकता है।

मध्य प्रदेश में मार्च 2020 से दिसंबर 2021 तक बाल विवाह के 521 मामले सामने आए हैं। वर्ष 2022 में यह आंकड़ा 150 से अधिक रहा। इनमें से अधिकांश में पुलिस या स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधियों ने मौके पर पहुंचकर विवाह रुकवाए हैं। इस बार बाल विवाह सख्ती से रोकने की तैयारी है। सभी कलेक्टरों को कहा गया है कि वे सूचना तंत्र विकसित करें। इसमें शिक्षक, एएनएम, आशा एवं ऊषा कार्यकर्ता, स्व-सहायता समूह की सदस्य, शौर्यादल की सदस्य, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, मातृ सहयोगिनी समिति, सरपंच, पंच, ग्राम सचिव सहित अन्य की सेवाएं लें।

मुखबिर ग्राम, ब्लाक या जिला स्तर पर गठित बाल विवाह रोकथाम दल को बाल विवाह की सूचना देंगे और ये दल पुलिस के सहयोग से बाल विवाह रोकेंगे। जिला प्रशासन को खासकर ऐसे विवाह कार्यक्रमों पर विशेष नजर रखने को कहा गया है, जो शहर से दूर एकांत जगह पर किए जाते हैं। वहीं शहरों में भी बड़े आयोजनों पर नजर रखने के निर्देश हैं।

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