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रैगांव की रार

2023 के विधानसभा चुनाव के पहले भारतीय जनता पार्टी किसे टिकट देगी यह अपने आप में एक विकराल सवाल है विकराल सवाल इसलिए भी है दो दशक से ज्यादा समय तक रैगांव विधानसभा में अपना परचम फहराने वाले स्वर्गीय जुगल किशोर बागरी की राजनीतिक विरासत संभालने वालों की हालत खस्ता है। रेगांव क्षेत्र में जुगल किशोर बागरी की बात ही अलग थी जनता उनसे कितनी भी नाराज हो लेकिन चुनाव के समय में वे जनता को मना लेते थे लेकिन उनके निधन के बाद जुगल किशोर बागरी की राजनीतिक विरासत संभालने वालों की हालत आज की तारीख में इतनी पतली हो चुकी है कि उनका खानदान जिला पंचायत के सदस्य तक नहीं जीत पाया जुगल किशोर बागरी के निधन के बाद भारतीय जनता पार्टी ने पुष्पराज बागरी की टिकट काट दी थी पुष्पराज बागरी मन मसोस के रह गए पहले बगावत करने का नाटक किया उसके बाद चुपचाप घर बैठ गए हालांकि तमाम प्रयासों के बाद भारतीय जनता पार्टी जुगल किशोर बागरी के निधन के बाद रैगांव का उप चुनाव नहीं जीत पाई। भारतीय जनता पार्टी ने पुष्पराज बागरी को टिकट न देकर यहां से महिला कार्ड खेला था और प्रतिमा बागरी को टिकट दी थी प्रतिमा बागरी की राजनीति में बिल्कुल नई नवेली थी उनके ऊपर किसी भी तरीके का कोई आरोप-प्रत्यारोप नहीं था बावजूद इसके रायगांव की जनता ने उन्हें नया राजनीतिज्ञ मानते हुए अपना आशीर्वाद नहीं दिया । गांव की जनता ने कांग्रेस की प्रत्याशी कल्पना वर्मा को चुनाव जिता दिया । यहां तक तो सब ठीक था लेकिन यहां के बाद से रैगांव विधानसभा में जो नई कहानी शुरू हुई वह अपने आप में एक नई इबारत लिखने को बेताब है जब पुष्पराज बागरी की टिकट काट दी गई तो पुष्पराज बागरी कुछ करने की स्थिति में नहीं थे इसलिए शांत होकर बैठ गए जिला पंचायत के चुनाव का समय आया तो पुष्पराज बागरी ने वार्ड नंबर 1 से अपनी किस्मत आजमाई और पुष्पराज बहादुरी वार्ड नंबर 1 से सुभाष चंद्र बुनकर से चुनाव हार गए सुभाष चंद्र बुनकर को 15024 वोट मिले नहीं पुष्पराज बागरी को 14009 वोट मिले। सुनने में आ रहा है जिला पंचायत का चुनाव हार जाने के बाद भी पुष्पराज बागरी विधानसभा चुनाव की तैयारी में लगे हुए हैं। वही पुष्पराज बागरी को चुनाव हराने वाले सुभाषचंद्र कर भी रहे गांव विधानसभा से भारतीय जनता पार्टी के नए दावेदार के रूप में उभरे हैं । सुभाष चंद्र बुनकर के समर्थकों का दावा है कि जब एक बड़े चेहरे को सुभाष चंद्र बुनकर जिला पंचायत के चुनाव में हरा सकते हैं तो विधानसभा चुनाव क्यों नहीं जीत सकते वैसे भी सुभाष चंद्र बुनकर के ऊपर किसी भी प्रकार की कोई आरोप नहीं है इसलिए इसमें कोई दो मत नहीं है कि यदि भारतीय जनता पार्टी किसी नए चेहरे पर दाव लगाती है तो सुभाष चंद्र बुनकर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी हो सकते हैं। पुष्पराज बागरी यह मानकर चल रहे हैं कि प्रतिमा बागरी उप चुनाव नहीं जीत पाई है इसलिए पार्टी हमें टिकट देगी । उपचुनाव के दौरान पुष्पराज बहादुरी के अलावा पुष्पराज बागरी के भाई देवराज बहादुरी की पत्नी वंदना बागरी भी रहे गांव विधानसभा से टिकट मांग रही थी बहुत सारे राजनीतिक समीक्षक यह भी कहते हैं कि इन दोनों की लड़ाई में प्रतिमा बागरी का फायदा हो गया अब देखना यह है 2023 के आम चुनाव में पिछली बार की तरह ही क्या वंदना बागरी फिर से विधानसभा चुनाव का टिकट मांगती है या पुष्पराज बागरी के मार्ग में कोई रोड़ा नहीं अटकाती। यदि बंदना बागरी ने पिछली बार की तरह पुनः रायगांव विधानसभा से टिकट मांगी तो दो भाइयों की इस लड़ाई में निश्चित तौर पर किसी तीसरे का फायदा फिर से हो जाएगा  यदि जुगुल किशोर बागरी का परिवार यह चाहता है कि उनके घर से कोई फिर से विधायक बने तो उन्हें अपने परिवार में सामंजस्य बनाकर यह तय करना पड़ेगा कि आखिरकार जुगल किशोर बागरी के परिवार से राजनीतिक विरासत को कौन आगे बढ़ाएगा । हालांकि जिला पंचायत के चुनाव में पुष्पराज बागरी के अलावा देवराज बहादुरी और बंदना बागरी ने भी पराजय का स्वाद चखा है यदि जिला पंचायत के परिणामों पर नजर डालें तो वास्तविकता में जुगल किशोर बागरी के परिवार से किसी भी व्यक्ति को टिकट नहीं मिलनी चाहिए। रैगांव विधानसभा का उपचुनाव हारने के बाद प्रतिमा बागरी कि जिस तरीके से क्षेत्र में सक्रियता होनी चाहिए थी उस तरीके से तो नहीं दिखाई पड़ी लेकिन जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं वैसे वैसे प्रतिमा बागरी अब इस नारे के साथ गांव में सक्रिय दिखाई पड़ने लगी है उन्होंने इमोशनल खेलते हुए एक नया नारा निर्मित किया है जिसमें उन्होंने कहा कि गांव की बेटी आपके द्वार । अब देखना यह है की प्रतिमा बागरी का यह इमोशनल नारा भारतीय जनता पार्टी के अलावा रहे गांव क्षेत्र की जनता को कितना प्रभावित करता है। 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के अलावा बसपा भी चुनाव मैदान में उतरेगी । इतने ही नहीं 2023 के विधानसभा चुनाव में आप पार्टी भी अपनी किस्मत आजमाएगी । कांग्रेसी तो यह निश्चित है की कल्पना वर्मा ही चुनाव लड़ेंगे लेकिन भारतीय जनता पार्टी की टिकट किसे मिलेगी अभी से यह कहना मुश्किल है। ऐसे में जिन प्रत्याशियों ने यह तय कर लिया है कि हमें हर हाल में चुनाव लड़ना है उनके लिए आप पार्टी भी एक विकल्प हो सकती है यदि पुष्पराज बागरी को भारतीय जनता पार्टी ने टिकट नहीं दिया तो बहुत संभव है कि पुष्पराज बागरी आम आदमी पार्टी से भी चुनाव लड़ सकते हैं। 2023 के विधानसभा चुनाव निश्चित तौर पर बड़े संघर्षपूर्ण होंगे ऐसे में रैगांव की रार और तकरार में किसकी किस्मत फहराती है किसकी किस्मत उसे दगा देती है अभी से कहना जरा जल्दबाजी होगी लेकिन इतना तो  तय है कि रायगांव की रार  और तकरार में जनता का प्यार जिसे मिलेगा वहीं विधानसभा की चौखट पर अपनी आमद दर्ज कराएगा।

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