विधायक के लिए जेल बनी ऐशगाह

उत्तर प्रदेश में कभी अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी के आतंक के किस्से लोगों की जुबान पर रहते थे लेकिन सार्वजनिक रूप से इन दोनों की किस्से कहानियां कोई नहीं सुनाता था इन दोनों का नाम उत्तर प्रदेश में लोग छुप छुप कर और दबी जुबान लिया करते थे। किसी जमाने में अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी जिस जमीन और जिस मकान की तरफ देख लेते थे उस मकान पर इनका कब्जा हो जाता था इन दोनों व्यक्तियों के आतंक की लंबी फेहरिस्त है प्रदेश में चाहे समाजवादी पार्टी की सरकार रही हो या बहुजन समाज पार्टी की सरकार इन दोनों सरकारों ने इन दोनो बाहुबलियों को हमेशा मदद ही की । लेकिन उत्तर प्रदेश में जैसे ही भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनी वैसे ही इन दोनों बाहुबलियों के बुरे दिन शुरू हो गए आज न सिर्फ यह दोनों बाहुबली जेल में है बल्कि मुख्तार अंसारी के पुत्र अब्बास अंसारी भी उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जेल में बंद हैं । जब उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव हो रहे थे तो अब्बास अंसारी इस उम्मीद में थे कि प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार बन जाएगी इसी उम्मीद पर अब्बास अंसारी इस तरीके का भाषण दे रहे थे जैसे यह प्रदेश के अधिकारियों को बंधुआ मजदूर बनाकर छोड़ेंगे। उत्तर प्रदेश योगी सरकार में और कुछ हुआ हो या ना हुआ हो लेकिन जिन अपराधियों को यह लगता था कि शासन-प्रशासन कायदा कानून कुछ होता ही नहीं है । अपराध की दुनिया के लोग अपने आपको उत्तर प्रदेश का बादशाह हम मानते थे लेकिन जब से उत्तर प्रदेश में योगी की सरकार बनी है तब से या तो अपराधी प्रदेश छोड़ गए या तो अपराधियों ने कालकोठरी में जाना ही उचित समझा । उत्तर प्रदेश में जबसे योगी की सरकार बनी है तब से कम से कम अपहरण उद्योग बंद हो चुका है दंगे अब नहीं सुनाई पड़ते गैंगवार अब इतिहास के हिस्से बन चुके है । इतने सख्त प्रशासन के बाद भी चित्रकूट के जेलर के हौसले को दाद देनी पड़ेगी । चित्रकूट के जेल अधीक्षक अशोक सागर कितने हिम्मती हैं और कितने भ्रष्ट हैं इन्हीं लोगों की वजह से सरकारी कर्मचारी बदनाम होता है इनका कोई जमीर नहीं है सच्चाई यही है कि ऐसे ही लोग समाज देश दुनिया सभी के साथ सिर्फ पैसों के लिए अन्याय करते हैं। किसी शायर ने कहा था कि जब देश की बात आती है तो तवायफ भी अपने घुंघरू तोड़ देती लेकिन चित्रकूट के जेलर जिस तरीके से एक विचाराधीन अपराधी को ऐसी सेवाएं मुहैया करा रहे थे जो जेल मैनुअल के खिलाफ था। पैसों के दबाव में जेल अधीक्षक ने चित्रकूट की जेल को होटल में तब्दील कर दिया था यह विचाराधीन कैदी अब्बास अंसारी की पत्नी निखत बानो बिना रोक टोक ऐसे आती जाती थी जैसे वो जेल में नहीं बल्कि किसी होटल के ऐशगाह में आ जा रही हो । चित्रकूट की जेल पूरी तरह से अब्बास अंसारी के लिए ऐश गाह में तब्दील कर दी गई थी । इस पूरे मामले में कर्वी थाना के सब इंस्पेक्टर श्याम देव सिंह को शाबाशी देनी होगी कि उन्होंने इस पूरी घटना की सूचना जिला प्रशासन को दी। सूचना मिलने के बाद चित्रकूट के जिला मजिस्ट्रेट अभिषेक आनंद और पुलिस अधीक्षक वृंदा शुक्ला ने 10 11 फरवरी की दरमियानी रात यूपी के चित्रकूट जेल में छापामारी कर दी। छापेमारी के दौरान जो दृश्य सामने आया उसे देख कर न सिर्फ यह दोनों अधिकारी दंग रह गए यह सुनकर आप लोग भी दंग रह जाएंगे। क्योंकि जेल में बंद विधायक अब्बास अंसारी अपने बैरिक में नहीं था बल्कि अपनी पत्नी के साथ जेल अधीक्षक के ऑफिस में था । इस पूरे मामले में जेल अधीक्षक अशोक सागर उप जेल अधीक्षक सुशील कुमार प्रहरी जगमोहन के खिलाफ कड़वी थाने में अपराध दर्ज करते हुए तीनों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। कौन है अब्बास अंसारी आइए आपको बताते हैं अब्बास अंसारी उत्तर प्रदेश के बाहुबली मुख्तार अंसारी के बेटे हैं तथा उत्तर प्रदेश के ही मऊ से विधायक हैं। एक आम आदमी को जेल के अंदर अपने परिजनों से बात करने के लिए कितना पसीना बहाना पड़ता है इसकी वास्तविक जानकारी उन लोगों को जरूर होगी जिन लोगों के परिजन जेल में बंद है लेकिन अब्बास अंसारी की पत्नी निखत बानो के लिए चित्रकूट की जेल जेल नहीं थी बल्कि एक होटल थी जब चित्रकूट के कलेक्टर और एसपी ने जेल में छापा मारा तब अब्बास अंसारी अपनी बैरक में नहीं था वह अपनी पत्नी के साथ जेल के अंदर ही स्थित जेल अधीक्षक के कक्ष में था। कुछ लोग तो यहां तक कहते हैं कि जब जेल अधीक्षक का कमरा खुलवाया गया तो विधायक अब्बास अंसारी सामान्य स्थिति में नहीं थे । जेल के अंदर से ही अब्बास अंसारी की पत्नी निखत बानो को गिरफ्तार कर लिया गया है। इस गिरफ्तारी के बाद मुख्तार अंसारी जैसे बाहुबली के परिजनों में एक और परिजन की संख्या जेल की हवा खाने के मामले में बढ़ गई मुख्तार अंसारी पहले से ही जेल की हवा खा रहे थे उसके बाद उनके बेटे अब्बास अंसारी को जेल की हवा खानी पड़ी और अब अब्बास अंसारी की पत्नी निखत बानो को भी हवालात की हवा खाने के लिए मजबूर होना पड़ा।




