पार्टी के विरोध में क्यों बोल गए गौरीशंकर

पुरानी पेंशन की बहाली को लेकर पूरे देश में कर्मचारी आंदोलन की मुद्रा में पुरानी पेंशन की बहाली को लेकर प्रदेश के पूर्व मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता तथा पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के अध्यक्ष गौरीशंकर बिसेन ने भी पिछले दिनों पुरानी पेंशन बहाली को लेकर भाजपा की लाइन से अलग हटकर कर्मचारियों के पक्ष में बड़ा रोचक बयान दिया उन्होंने कहा कि मुझे पार्टी भले निकाल दें या पद से हटा दें मुझे फर्क नहीं पड़ता । लेकिन जो सच है वह तो कहना पड़ेगा उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जिस तरीके से बुढ़ापे में पति को पत्नी की आवश्यकता होती है पत्नी को पति की आवश्यकता होती है उसी तरीके से कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन की आवश्यकता है मेरी आवाज को दिल्ली तक पहुंचाओ मेरे लाखों साथियों को पुरानी पेंशन दिलाओ । जिस तरीके की बात गौरीशंकर बिसेन ने कही है उस तरीके की बात कहने के लिए कलेजा चाहिए । आज के दौर में ऐसे अधिकांश नेता है जो सही बात बोलने में भी हिचकिचाते है उन्हें इस बात का डर रहता है कि कहीं पार्टी निकाल दे । जिस नेता की जनता के बीच में सीधी पकड़ होगी उसे कभी भी पार्टी का भय नहीं होता कुछ नेता ऐसे होते हैं जिन्हें पार्टी नेता बनाती है और कुछ नेता ऐसे होते हैं जो नेता अपने दम पर बनते हैं और पार्टी को मजबूत करते हैं। गौरीशंकर बिसेन उन्हीं नेताओं में एक बीते पांच दशक से राजनीति में सक्रिय हैं और अपनी बेबाक बयानी के लिए जाने जाते हैं। पुरानी पेंशन बहाली के मामले में सरकार तमाम तरीके की दलीले देती है कि इससे आर्थिक बोझ बढ़ जायेगा। हम सहमत हैं कर्मचारियों को पेंशन बिल्कुल मत दीजिए आर्थिक बोझ बिल्कुल मत बताइए लेकिन सांसद विधायक इन लोगों की भी पेंशन खत्म कर दीजिए क्योंकि इनको भी पेंशन देने से आर्थिक बोझ कम नहीं होता इनको भी तमाम तरीके की रियायत देने से आर्थिक बोझ कम नहीं होता आज भी सांसदों को टेलीफोन भत्ता मिलता है अब सवाल यह उठता है कि जब ढाई सौ रुपए में जब असीमित बात हो सकती है तो आखिरकार ऐसे में सांसदों को टेलीफोन भत्ता क्यों मिल रहा है इस देश के कर्मचारियों को तो पेंशन बहाली की मांग लेकर जितना बड़ा भी आंदोलन हो सकता है करना चाहिए क्योंकि कर्मचारियों को पेंशन देने में सरकार का आर्थिक बोझ बढ़ जाता है और नेताओं को पेंशन देने में सरकार का आर्थिक बोझ घट जाता है आखिरकार यह दोहरा चरित्र को अपनाया जा रहा है। पेंशन बहाली के समर्थन में गौरीशंकर बिसेन ने बालाघाट के लालबर्रा में अपनी बात दमदारी से रखी और कहा आज से मैं पुरानी पेंशन की लड़ाई को लड़ने के लिए तैयार हू । चुनावी साल में गौरीशंकर बिसेन का यह बयान निश्चित ही सरकार को परेशानी में डालने वाला है लेकिन गौरीशंकर बिसेन के इस बयान से कर्मचारी काफी खुश है और कहीं ना कहीं कर्मचारियों की निगाह में गौरी शंकर की लोकप्रियता अचानक से बढ़ गई है । अब देखना यह है कि चुनाव के पहले भारतीय जनता पार्टी की सरकार पुरानी पेंशन की बहाली पर क्या कदम उठाती है।




