किसने कराया विधायक का अपमान

सतना के मेडिकल कॉलेज का उद्घाटन देश के गृह मंत्री अमित शाह ने कर दिया निश्चित तौर पर सतना के लिए यह ऐतिहासिक दिन था लेकिन इस ऐतिहासिक दिन में भी कई घटनाएं ऐसी हुई जो लोगों के मन मस्तिष्क अंकित हो गई या इस तरीके की घटना को यदि पानीदार नेता है तो कायदे से नहीं भूलना चाहिए हालांकि जो कुछ भी हुआ उसे सभ्यता और संस्कृति की दृष्टिकोण से उचित नहीं कहा जा सकता जब मेडिकल कॉलेज का उद्घाटन हो रहा था उस समय सतना जिले के सभी विधायकों को बतौर अतिथि आमंत्रित किया गया था कई विधायक मौजूद थे उन्हें बैठने के लिए कुर्सियां भी मिली लेकिन सतना के विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा के बैठने की व्यवस्था नहीं की गई थी आखिरकार इस अपमान की पटकथा यदि भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने लिखी थी तो भी इसे उचित नहीं कहा जा सकता और यदि पटकथा प्रशासनिक स्तर पर लिखी गई थी तू भी इसे उचित नहीं कहा जा सकता यदि आप किसी भी को बुलाते हैं तो उसके बैठने की व्यवस्था करनी चाहिए लेकिन किसी भी अतिथि को बुलाकर उसे बैठने के लिए कुर्सी न दी जाए इससे बड़ा किसी भी जनप्रतिनिधि का अपमान क्या हो सकता है जिस तरीके से सिद्धार्थ कुशवाहा को मेडिकल कॉलेज के उद्घाटन अवसर पर बुलाकर बैठने के लिए कुर्सी भी नहीं दी गई यह एक चुने हुए जनप्रतिनिधि का अपमान ही कहा जाएगा किसी ने सच ही कहा है जो बोएंगे वही काटेंगे । यदि आप किसी को बुलाकर अप्रत्यक्ष रूप से उसे अपमानित करेंगे तो निश्चित तौर पर आने वाले भविष्य में इस तरीके के घटना की पुनरावृत्ति उस व्यक्ति के साथ भी हो सकती है जिस व्यक्ति ने इस तरीके की सोच के तहत सिद्धार्थ कुशवाहा के सम्मान में गुस्ताखी की है। वैसे भी मेडिकल कॉलेज के उद्घाटन अवसर पर पूरा मंच भाजपाई था सुनने वाले या तो भाजपाई थे या उन्हें ढोकर लाया गया था । इस तरह के सार्वजनिक आयोजनों में जिस तरीके की दलगत व्यवस्था की गई उसे दुनिया का कोई भी व्यक्ति ना तो जायज ठहरा सकता नहीं उचित ठहरा सकता है। तमाम सुमधुर यादों के बीच मेडिकल कॉलेज के इस उद्घाटन अवसर को कहीं ना कहीं सिद्धार्थ कुशवाहा के समर्थक उचित नहीं ठहराएंगे।




