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दोहरा चरित्र क्यों

सपना  शहर के अंदर मातृछाया से एक नवजात शिशु को इटली के परिजनों को सौंप दिया गया । इतना सारा नजारा देखने के बाद एक प्रश्न दिमाग में उठता है कि क्या हिंदुस्तान में गोद लेने वाले नही हैं। वैसे तो पूरे हिंदुस्तान के अंदर एक इटली की महिला का जबरदस्त विरोध किया जाता है लेकिन जब हिंदुस्तान की एक बेटी को गोद देने की बात आती है तो बड़ी सहजता और सरलता के साथ लोग सरहद पार बेटे और बेटी को दूसरे मुल्क के लोगों को साथ देने में कोई हिचक और झिझक नहीं दिखाते। इस तरीके का दोहरा चरित्र जब लोग जीते हैं तो बड़ी तकलीफ होती है आखिरकार हिंदुस्तान के अंदर एक कानून और व्यवस्था इस तरीके से बनाई जानी चाहिए कि हिंदुस्तान के बच्चे किसी विदेशी नागरिक को गोद न दिए जाए । हिंदुस्तान के बच्चों की देखरेख तो सरकार ठीक से कर नहीं पाती यदि कोई विदेशी हिंदुस्तान के बच्चों को गोद लेने के बाद वहां मानव अंगों की तस्करी करने लगे तो इस बात का प्रमाणीकरण कैसे होगा मेरा एक साधारण सा सुझाव है जिला प्रशासन के लिए प्रदेश शासन के लिए देश के तमाम लोगों के लिए कि हिंदुस्तान के बच्चों को विदेशी नागरिकों को गोद लेने की प्रक्रिया में प्रतिबंध लगाया जाए । पता चला है कि  सतना चैत्र नवरात्रि के पहले दिन आज एक 2 साल की बिटिया को इटली में रहने वाले एंड्रिया ओरसिनी ने गोद लिया 2 साल की मासूम पिछले डेढ़ साल से मातृछाया में पल बढ़ रही थी, मासूम को सीधी जिले से सतना मातृछाया में लाया गया था, मासूम अब अपने नए माता-पिता एंड्रिया और एलिजाबेथ के साथ इटली में रहेगी।

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