अब बेवकूफी नहीं करूंगा

सतना। प्रतिपक्ष के नेता और प्रदेश के पूर्व मंत्री अजय सिंह राहुल ने अपने एक साक्षात्कार में यह स्वीकार किया कि मुझे भारतीय जनता पार्टी ने नहीं हराया बल्कि मैं अपनी बेवकूफी के कारण से चुरहट का विधानसभा चुनाव हार गया था। उन्होंने स्वीकार किया की पिछली बार मैंने अपने विधानसभा क्षेत्र में ध्यान नहीं दिया था जिसकी वजह से मैं हार गया, लेकिन मैं इस बार यह गलती नहीं करूंगा। पिछले चुनाव में अजय सिंह राहुल कमलनाथ के साथ पूरे प्रदेश का दौरा कर रहे थे इस दौरे का कांग्रेस को फायदा हुआ 2018 में कांग्रेस की सरकार बनी लेकिन भिंड क्षेत्र में कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत घटिया रहा इस घटिया प्रदर्शन में अजय सिंह राहुल की भी चुरहट विधानसभा से हार हो गई इतना ही नहीं 2018 के चुनाव में अजय सिंह राहुल के मामा राजेंद्र सिंह भी अमरपाटन विधानसभा से चुनाव हार गए थे। विंध्य में जिस तरीके के चुनावी परिणाम 2018 में आए थे उस बात को लेकर कांग्रेसी 2023 में बहुत सतर्क हैं। अजय सिंह राहुल अभी से चुरहट चुनाव क्षेत्र में पूरी तन्मयता के साथ चुनावी तैयारी में जुट गए हैं पता चला है कि उन्होंने चुरहट क्षेत्र में एक स्वास्थ्य शिविर लगाया था जिसमें हजारों लोगों को भोपाल के चिरायु हॉस्पिटल में नि:शुल्क इलाज कराया जाएगा। अजय सिंह राहुल की सक्रियता को देखते हुए ऐसा कहा जा सकता है कि वह इस चुनाव को जीवन और मरण का प्रश्न मानकर चल रहे हैं चलना भी चाहिए क्योंकि अगर 2023 का विधानसभा चुनाव हारे तो अजय सिंह राहुल के विरोधी इस बात का प्रचार करेंगे अजय सिंह राहुल का राजनीतिक कैरियर समाप्त हो गया अब उनके अंदर चुनाव जीतने की क्षमता नहीं बची क्योंकि चुरहट विधानसभा का चुनाव हारने के पहले भी अजय सिंह राहुल सतना लोकसभा से तथा सीधी लोकसभा से भी चुनाव हार चुके कुल मिलाकर अजय सिंह राहुल अब तक लगातार तीन चुनाव हार चुके हालांकि एक बार भोजपुर विधानसभा से सुंदरलाल पटवा के सामने भी अजय सिंह राहुल को चुनावी हार का सामना करना पड़ा था। तीन चुनाव हार जाने के बाद भी अजय सिंह राहुल अभी भी विंध्य के कांग्रेस के कद्दावर नेता माने जाते हैं हालांकि विधानसभा चुनाव हार जाने के बाद कमलनाथ ने अजय सिंह राहुल की उपेक्षा शुरू कर दी थी। उपेक्षित महसूस करने के बाद अजय सिंह राहुल का दर्द कई भाषणों में छलका भी लेकिन चुरहट से चुनाव हार जाने के बाद कमलनाथ ने अजय सिंह राहुल का कहीं भी राजनैतिक व्यवस्थापन नहीं किया बीते चार पांच वर्षों का समय देखने के बाद अजय सिंह राहुल को इस बात का एहसास बहुत अच्छे ढंग से हो चुका है कि यदि अपना राजनीतिक कैरियर बचाए रखना है तो 2023 का विधानसभा चुनाव हर हाल में जीतना आवश्यक है। जहां तक रही मुख्यमंत्री की बात तो कांग्रेस आलाकमान कमलनाथ के नाम की घोषणा कर चुका है यदि कांग्रेस बहुमत में आती है तो ऐसे में अजय सिंह राहुल का प्रदेश में मुख्यमंत्री बनना तो मुश्किल है लेकिन प्रदेश में यदि कांग्रेस की सरकार बनी तो एक महत्वपूर्ण मंत्रालय की जिम्मेदारी अजय सिंह राहुल के पास अवश्य होगी इतना दावे के साथ कहा जा सकता है यदि कांग्रेस की सरकार नहीं बनी तो भी अजय सिंह राहुल विधायक बनने के बाद नेता प्रतिपक्ष के सबसे बड़े दावेदार बनकर उभरेंगे। कुल मिलाकर इतना तो कहा जा सकता है अजय सिंह राहुल का राजनीतिक भविष्य 2023 का विधानसभा चुनाव तय करेगा यदि अजय सिंह राहुल चुरहट का विधानसभा चुनाव 2023 में जीते तो वे एक लंबी राजनीतिक पारी खेलने के लिए फिर से दावा पेश कर सकेंगे लेकिन यदि किसी कारणवश चुनाव हारने पाए तो अजय सिंह राहुल के विरोधी उन्हें राजनीतिक तौर पर संन्यास लेने की सलाह देने में कतई नहीं चूकेंगे।




