सिंधिया के बारे में क्यों नहीं बोली प्रियंका

सतना। 2023 के विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी दोनों दल अब पूरी तरह से चुनावी रंग में रंग गए हैं। जहां एक और कांग्रेस मध्य प्रदेश के अंदर स्टार प्रचारक के रूप में प्रियंका गांधी और राहुल गांधी का उपयोग कर रही है। वहीं भारतीय जनता पार्टी देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का उपयोग कर रही है। इस चुनावी लड़ाई में प्रियंका गांधी जबलपुर के बाद 21 जुलाई को ग्वालियर के मेला ग्राउंड में आम जनता को संबोधित करते हुए महंगाई के साथ-साथ शिवराज सिंह की घोषणाओं पर कटाक्ष किया उन्होंने कहा कि प्रदेश के अंदर 18 साल की सरकार में 22000 घोषणाएं की जा चुकी है लेकिन आज तक 2000 घोषणाएं भी पूरी नहीं हुई यह सरकार खरीदी हुई सरकार है इसलिए इस सरकार की नियत लूटने की है। इसीलिए आए दिन घोटाले पर घोटाले हो रहे हैं। पटवारी घोटाला इसका जीता जागता प्रत्यक्ष प्रमाण है, देश के अंदर जिस तरीके से महंगाई बढ़ रही है उस पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है अब तो पेट्रोल के साथ-साथ सब्जियां भी इतनी महंगी हो गई है कि आम आदमी उन्हें खरीद नहीं सकता। प्रियंका गांधी से आम जनता यही उम्मीद कर रही थी कि वह ज्योतिरादित्य सिंधिया के बारे में कुछ बोलेंगी उन्होंने ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम तो लिया और कहा कि मैं चाहूं तो ज्योतिरादित्य सिंधिया के बारे में बोल सकती हूं लेकिन मैं कुछ बोलना नहीं चाहती उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि उनकी विचारधारा कैसे परिवर्तित हो गई यह देखने लायक है। जनता यह उम्मीद कर रही थी कि प्रियंका गांधी ज्योतिरादित्य सिंधिया पर हमलावर होंगी लेकिन प्रियंका गांधी ने बड़े नपे तुले शब्दों में सभ्य अंदाज में अपनी बात कही। उन्होंने महिलाओं के ऊपर होने वाले अत्याचार के संबंध में मणिपुर की घटना का भी उल्लेख किया। ग्वालियर की सभा में जिस तरीके से जन सैलाब उमड़ा उसे देखते हुए ऐसा कहा जा सकता है की मध्य प्रदेश के अंदर भारतीय जनता पार्टी की सरकार के विरुद्ध आम जनता के अंदर आक्रोश तो है अब देखना यह है कि जिस तरीके से प्रियंका गांधी की सभा में लोग आए अगर उसी तरीके से लोगों ने कांग्रेस के पक्ष में मतदान कर दिया तो मध्य प्रदेश के अंदर कहीं ना कहीं भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनना मुश्किल हो जाएगा।




