शिक्षा के कलंक पार्ट-3 : गोबर गणेश है गणेश

सतना। शहर की नाम चीन स्कूल सरस्वती शिशु मंदिर कृष्ण नगर के प्राचार्य से जब हमारे संवाददाता फिरोज खान ने देश के शिक्षा मंत्री का नाम पूछा तो सरस्वती शिशु मंदिर के प्राचार्य गणेश प्रसाद मिश्र का गला सूख गया और सिर्फ गला ही नहीं सूखा उन्होंने अपना आसन भी उछाल कर परिवर्तित किया उसके बाद उनकी बेहयाई तो देखिए। जब यह देश के शिक्षा मंत्री का नाम नहीं बता पाए तो फिरोज खान के हाथ का माइक या तो छुड़ा रहे हैं या तो हटाने का प्रयास किया। गणेश प्रसाद मिश्र अपने आप को जब तक संभाल पाते तब तक फिरोज खान ने दूसरा सवाल दाग दिया देश के खेल मंत्री का नाम बताइए। गणेश प्रसाद मिश्र जो सरस्वती शिशु मंदिर के प्राचार्य है देश के खेल मंत्री का भी नाम नहीं बता पाए और बड़ी बेहयाई के साथ माइक फिर हटा दिया जब फिरोज खान ने मध्य प्रदेश के शिक्षा मंत्री का नाम पूछा तो उन्होंने शिक्षा मंत्री की जाती तो बता दी लेकिन नाम फिर भी नहीं बता पाए गणेश प्रसाद मिश्र ने प्रदेश के शिक्षा मंत्री का नाम सिर्फ परमार बताया। अब इन प्राचार्य महोदय का सामान्य ज्ञान देखने के बाद तो यही लगता है कि यह गणेश प्रसाद मिश्रा है कि यह गोबर गणेश है।
सतना जिले के अंदर शिक्षा की हालत बड़ी दयनीय है सरकारी और प्राइवेट दोनों तरीके के शिक्षकों को पैसा भरपूर चाहिए घर के बगल में ही नौकरी चाहिए लेकिन पढाना ना पड़े। सरकारी और प्राइवेट स्कूल के शिक्षकों के ज्ञान का स्तर कितना घटिया है कि इन शिक्षकों और प्राचार्य को स्वयं सेवानिवृत्ति का आवेदन दे देना चाहिए क्योंकि जब उनके ज्ञान का स्तर कमजोर है, घटिया है दयनीय है चिंतनीय है या यूं कहें की सबसे निम्नतम पायदान पर है या यह भी कह सकते हैं इससे घटिया कुछ हो भी नहीं सकता। शिक्षा के कलंक के रूप में हमने सतना शहर के तमाम प्राइवेट और सरकारी स्कूल के प्राचार्य का सामान्य ज्ञान परीक्षण किया जिसमें अभी तक आर्य पब्लिक स्कूल एवं शासकीय कन्या हाई स्कूल सिंधी कैंप का नजारा हम आपको दिखा चुके हैं आज हम आपको दिखाते हैं सरस्वती शिशु मंदिर कृष्ण नगर का नजारा। सरस्वती शिशु मंदिर के संचालक प्राचार्य आचार्य एवं विद्यार्थी अपने आप को दुनिया का श्रेष्ठतम व्यक्ति मानते हैं और यह भी मानते हैं कि इससे ज्यादा ज्ञानी कोई नहीं है। संस्कृति सभ्यता चाल चरित्र चेहरा इन सारी तमाम बातों की दुहाई और शिक्षा आपको सरस्वती शिशु मंदिर के गेट में घुसने के पहले मिल जाएगी। किसी सरकारी स्कूल के प्राचार्य ने कहा था कि जब आप योग्यतम विद्यार्थियों का प्रवेश लेकर पढ़ाएंगे तो उसमें शिक्षकों की क्या योग्यता रहती है सरकारी स्कूलों में तो औसत दर्जे की विद्यार्थी भर्ती होते हैं उसके बाद वहां का परिणाम अगर 70 प्रतिशत आता है तो प्राइवेट स्कूलों से बेहतर ही परिणाम कहा जाएगा कहीं ना कहीं यह बात सच है। प्राइवेट स्कूल का शिक्षा परिणाम इसलिए बेहतर आता है कि वहां पढऩे वाले छात्र बेहतर होते हैं पढ़ाने वाले शिक्षक बेहतर नहीं होते पढाऩे वाले प्राचार्य बेहतर नहीं होते। इस बात का प्रमाण विशाल खबर ने बहुत अच्छे से जुटा लिया है। सरस्वती शिशु मंदिर के अंदर प्राचार्य वही बनेगा जो संचालकों का कृपा पात्र होगा भले ही उस प्राचार्य के अंदर कोई योग्यता ना हो । क्योंकि सतना शहर के अंदर सरस्वती शिशु मंदिर के अधिकांश संचालक माननीय सम्मानीय आदरणीय और भी बहुत कुछ है और यदि प्राचार्य इन सब की निगाह में चाटुकारिता के मामले में खरा नहीं उतरता तो वह व्यक्ति सरस्वती शिशु मंदिर का प्राचार्य तो नहीं बन सकता ऐसा हम इसलिए भी कह रहे हैं कि सतना शहर के कृष्ण नगर सरस्वती शिशु मंदिर के प्राचार्य गणेश प्रसाद मिश्र को भारत के शिक्षा मंत्री का नाम नहीं मालूम भारत के खेल मंत्री का नाम नहीं मालूम। पता नहीं सरस्वती शिशु मंदिर का प्रबंधन प्राचार्य के चयन का क्या मापदंड अपनाता है कितनी सैलरी देता है मुझे नहीं मालूम लेकिन मैं सतना जिले के विद्यार्थियों को सतना जिले के अभिभावकों को प्रमाणित तरीके से यह बता देना चाहता हूं कि सतना शहर के सरस्वती शिशु मंदिर के प्राचार्य को भारत के शिक्षा मंत्री का नाम नहीं मालूम इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इनके सामान्य ज्ञान का स्तर क्या है। देश के अंदर जितने भी विद्यालय संचालित किये जा रहे हैं उनमें से अधिकांश स्कूलों से सिर्फ किताबी कीड़ों का ही निर्माण किया जा रहा है यदि ऐसा नहीं है तो सतना शहर के अधिकांश विद्यालयों के प्राचार्य को देश के शिक्षा मंत्री का नाम तो मालूम होता लेकिन ऐसा नहीं है विशाल खबर ने सतना शहर के तमाम नामचीन विद्यालयों के प्राचार्य से सिर्फ देश के शिक्षा मंत्री का नाम ही पूछा है पूरे केंद्रीय मंत्रिमंडल की जानकारी नहीं मांगी नहीं तो शहर के अधिकांश प्राचार्य तो मुंह दिखाने लायक नहीं बचते जिन प्राचार्य को शिक्षा मंत्री का नाम नहीं मालूम भला वे देश के मंत्रिमंडल का नाम क्या बताएंगे मिजोरम की राजधानी बता पाना तो इन प्राचार्य के लिए और भी मुश्किल काम है क्या शिक्षा में सामान्य ज्ञान नहीं आता। अभी हाल ही में जिला शिक्षा अधिकारी नीरव दीक्षित की नींद टूट गई और वे इस भरी गर्मी में वातानुकूलित कमरा छोडक़र इस भरी गर्मी में अपने कार्यालय से घूरडांग तक कैसे चले गए यह अपने आप में बड़ा सवाल है। इस विद्यालय में शिक्षक बिना सूचना के अनुपस्थित पाए गए हैं निश्चित तौर पर जिला शिक्षा अधिकारी के लाखों रुपए पक गए। अनुपस्थित शिक्षकों को नोटिस पकड़ा दी गई है अब नोटिस के बाद कोई कार्यवाही ना हो इसलिए उसे नोटिस पर कुछ न कुछ वजन शिक्षक लोग चढ़ाएंगे और यदि नहीं चढ़ाएंगे तो फिर तो सबको मालूम है क्या होगा वैसे नीरो दीक्षित बहुत ही सरल और सुशील व्यक्ति है लेन-देन पर विश्वास रखते हैं किसी का बुरा नहीं चाहते पता नहीं कैसे घूरडांग विद्यालय का निरीक्षण कर लिया। अभी तो जुलाई का महीना शुरू हुआ है तो शिक्षक तो गायब रहते ही हैं यह हाल तो फरवरी में भी रहता है इसीलिए तो सतना जिले के शासकीय विद्यालयों का अच्छा रिजल्ट नहीं आता। सतना जिले के शिक्षा के हालात इतने बुरे हैं कि इसे न तो कोई जनप्रतिनिधि सुधार सकता और नहीं कोई अधिकारी। रही बात प्राइवेट स्कूलों की तो यहां भी सिर्फ फीस वसूली जाती है वस्तुओं का वजन बढ़ाया जाता है और सिर्फ दिखावे के लिए फोटो सेशन किए जाते हैं। जो विद्यार्थी स्वयं में योग्य होता है उसका अच्छा रिजल्ट आ जाता है और इस बात का श्रेय प्राइवेट स्कूल ले लेते हैं सच्चाई यह है कि आज की तारीख में विद्यालयों में पढऩे वाले विद्यार्थी शिक्षकों से ज्यादा योग्य है नहीं तो इतना बेहतर परिणाम प्राइवेट विद्यालयों का नहीं आ सकता। जिस प्राइवेट विद्यालय के प्राचार्य को शिक्षा मंत्री और खेल मंत्री का नाम ना मालूम हो उस विद्यालय के शिक्षकों का शैक्षणिक स्तर कितना अच्छा होगा इस बात का अंदाजा सबको है। लेकिन अभिभावक करें भी तो क्या करें घर में तो बच्चों को पढ़ा नहीं सकते इसलिए विद्यालय भेज देते हैं, अच्छी खासी फीस देता है लेकिन बेहतर होगा कि शहर के अभिभावक अपने बच्चों का टेस्ट देने के पहले विद्यालय के प्राचार्य और टीचरों का टेस्ट जरूर लें।




