उत्कृष्ट विद्यालय का निकृष्ट प्राचार्य

सतना। विशाल खबर ने शिक्षा के कलंक की एक सीरीज शुरू की है। जिसमें हम अभी तक आर्य पब्लिक स्कूल शासकीय कन्या हाई स्कूल सिंधी कैंप सरस्वती शिशु मंदिर कृष्ण नगर के प्राचार्य और संचालक असलियत दर्शकों के सामने रख चुके हैं आज हम आपको शिक्षा के नए कलंक से रूबरू कर रहे हैं। आज हम आपको जिस शिक्षा के नए कलंक से रूबरू कराने जा रहे हैं उस कलंक की कालिमा का कोलाहल न न सिर्फ सतना शहर में सुनाई देगा बल्कि पूरे जिले के साथ प्रदेश में भी सुनाई देगा । यदि मध्य प्रदेश सरकार के अंदर जरा भी नैतिकता है यदि मध्यप्रदेश के शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार की आंखों में जरा भी शर्म है तो ऐसे प्राचार्य को तत्काल प्रभाव से सेवा निवृत कर देना चाहिए । जिसे स्कूल में होने वाली प्रार्थना के लेखक का नाम नहीं मालूम। आज हम आपको एक ऐसा चेहरा दिखाने जा रहे हैं जो उत्कृष्ट विद्यालय का प्राचार्य है जिसका नाम है सुशील कुमार श्रीवास्तव । सतना शहर में स्थापित उत्कृष्ट विद्यालय वेंकट नंबर वन भी कहते हैं । इस स्कूल से देश की तमाम नामी गिरामी हस्तियों ने पढ़ाई की है जिसमें सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जेएस वर्मा का नाम भी शुमार है । इस विद्यालय की ख्याति न सिर्फ नगर या जिले में बल्कि पूरे देश में है लेकिन उत्कृष्ट विद्यालय के वर्तमान प्राचार्य ने इस स्कूल का नाम मिट्टी में मिला दिया इस स्कूल की ख्याति को धूल धूसरित कर दिया । इस स्कूल की लोकप्रियता में नहीं सुशील कुमार श्रीवास्तव ने ऐसी कालिख पोती है जिसे कभी मिटाया नहीं जा सकता । वेंकट वन नामक एक्सीलेंस स्कूल के प्राचार्य का सामान्य ज्ञान इतना कमजोर होगा उम्मीद नहीं की जा सकती । जिस प्रार्थना को करते सुनते पढ़ते इस स्कूल के प्राचार्य को 60 वर्ष से अधिक हो गए हैं उसे प्रार्थना के लेखक का नाम इसे नहीं मालूम । वेंकट वन के स्कूल के प्राचार्य बता रहे हैं कि उनके यहां वह शक्ति हमें दो दयानिधे प्रार्थना होती है ।प्राय: सतना जिले के अधिकांश शासकीय स्कूलों में यही प्रार्थना होती है जब सुशील कुमार श्रीवास्तव ने पहली कक्षा में प्रवेश लिया होगा उसे समय भी शायद यही प्रार्थना रही होगी और आज रिटायरमेंट के कगार पर खड़े हैं तब भी यही प्रार्थना चल रही है अगर कोई व्यक्ति 60 वर्षों में भी इस प्रार्थना के लेखक का नाम ना जान पाए जिसने उसी प्रार्थना को रटा , खुद वही प्रार्थना गाई शिक्षक बनने के बाद विद्यार्थियों से वही प्रार्थना कहलवाई उसके बाद भी इस प्राचार्य को प्रार्थना के लेखक का नाम नहीं मालूम । जिला प्रशासन के तमाम जिम्मेदार एवं शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए तमाम शिक्षाविद पता नहीं प्राचार्य के चयन की क्या प्रक्रिया रखते हैं लेकिन हम दावे के साथ कह सकते हैं की उत्कृष्ट विद्यालय के प्राचार्य ने निकृष्ट तरीका अपना कर इस विद्यालय की कुर्सी हथियाई होगी। मैं यह भी कह रहा हूं कि इस विद्यालय के प्राचार्य ने जरूर किसी नेता के चरण रज को अपने माथे पर चंदन के हीरूप सुशोभित किया होगा तभी एक अयोग्य व्यक्ति इस उत्कृष्ट विद्यालय का प्राचार्य बन पाया होगा। विशाल खबर के संवाददाता फिरोज खान जब उत्कृष्ट विद्यालय के प्राचार्य से परीक्षा परिणाम के बारे में बातचीत की तो स्कूल के प्राचार्य बड़े गर्व के साथ बताया कि हमारे स्कूल का परीक्षा परिणाम हमेशा अच्छा रहता है सच्चाई यह है की वेंकट वन के स्कूल का परीक्षा परिणाम इसलिए अच्छा नहीं रहता कि आप बहुत अच्छा पढ़ाते हैं इसलिए अच्छा रहता है कि वहां 75त्न अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थी का ही एडमिशन लिया जाता है कुशाग्र बुद्धि के छात्र तो अपने आप पढ़ लिख कर बाजी मार लेते हैं यदि आप इतने ही योग्य है तो थर्ड डिवीजन पास होने वाले बच्चों को अपने एडमिशन देकर 90त्न का रिजल्ट ले आए तो आपकी काबिलियत का लोग लोहा मानेंगे । परीक्षा परिणाम सुधारने के संबंध में स्कूल के प्राचार्य ने कहा कि हम कमजोर बच्चों को पहले ही आईडेंटिफाई कर लेते हैं जब आपकी स्कूल में 75त्न अंक प्राप्त करने वाले बच्चों को एडमिशन दिया जाता है तो सवाल यह उठता है कि आपके विद्यालय में कमजोर बच्चे क्या आसमान से टपकते हैं । अब सवाल यह उठता है कि इस स्कूल के प्राचार्य कहते हैं कि हम कमजोर किस्म के बच्चों को पहले ही आईडेंटिफाई कर लेते हैं लेकिन आप जैसे कमजोर किस्म के प्राचार्य को इस प्रदेश की सरकार आज तक आईडेंटिफाई नहीं कर पाई जिस व्यक्ति को उसे स्कूल में होने वाली प्रार्थना का नाम नहीं मालूम । विद्यार्थियों का परीक्षा फल सुधारने के लिए प्राचार्य जी बड़े गर्व के साथ कहते हैं कि वे शिक्षकों को प्रेरित करते हैं अब सवाल यहां पर यह उठता है की परीक्षा फल सुधारने के लिए आप शिक्षकों को प्रेरित करते हैं आपका सामान्य ज्ञान सुधारने के लिए आपको कौन प्रेरित करें। प्राचार्य सुशील कुमार श्रीवास्तव अपनी शेखी बघारते हुए यहां तक कहते हैं कि हम बच्चों को पुरस्कृत करवाते हैं निश्चित तौर पर टॉप टेन में आने वाले बच्चों को पुरस्कृत करवाना अच्छी बात है लेकिन आप जैसे अज्ञानी व्यक्ति को दंडित करने की क्या प्रक्रिया है जिस देश के शिक्षा मंत्री का नाम नहीं मालूम । जब विशाल खबर के संवाददाता ने उत्कृष्ट विद्यालय के प्राचार्य से उत्कृष्ट विद्यालय में होने वाली प्रार्थना के लेखक का नाम पूछा तो उन्होंने बड़ी बेशर्मी के साथ कहा कि किसी शिक्षक ने लिखी है। उनकी बेशर्मी यहीं पर खत्म नहीं होती उन्होंने आगे कहा यह प्रार्थना वर्षों से चली आ रही है इसीलिए लोग उसे गा रहे हैं। कैमरे के सामने बेशर्मी का आलम यही नहीं था प्राचार्य महोदय अपने कक्ष में बैठे अपने किसी चंपकलाल से यह भी पूछते हैं की प्रार्थना का लेखक कौन है लेकिन सच्चाई यह है कि उसे चंपकलाल को भी प्रार्थना के लेखक का नाम नहीं मालूम था। उसके बाद विशाल खबर के संवाददाता फिरोज खान ने उत्कृष्ट विद्यालय के प्राचार्य से देश के शिक्षा मंत्री का नाम पूछा तो उन्होंने बड़ी बेहयाई के साथ प्रदेश के शिक्षा मंत्री का नाम बता दिया और सोच काम चल जाएगा । जब बहुत दिमाग पर जोर डाला तो उन्हें याद आया और कहा कि वो थी । प्राचार्य महोदय के दिमाग को डांट देनी पड़ेगी कि वह थी इसलिए वह याद है वह थे या वह है इसलिए याद नहीं है । प्राचार्य जी के उत्तर से एक चीज तो साफ हो गई कि इनके मन में महिलाओं के लिए बहुत सम्मान है । यदि प्रदेश की सरकार को या देश की सरकार को प्राचार्य जैसे व्यक्तियों का सामान्य ज्ञान दुरुस्त रखना हो तो उन्हें अधिकांश पद महिलाओं को दे देना चाहिए क्योंकि प्राचार्य महोदय को महिलाओं का नाम याद रहता है। जब देश के शिक्षा मंत्री का नाम उत्कृष्ट विद्यालय के प्राचार्य सुशील कुमार श्रीवास्तव नहीं बता पाए तो बड़ी बेहयाई के साथ संवाददाता फिरोज खान से कहते हैं कि इसे जरा कट कर दीजिएगा। अब आप अंदाजा लगा सकते हैं की शहर के श्रेष्ठतम शिक्षा संस्थानों में शिक्षा का दाह संस्कार करने वाले कैसे लोग बैठे हैं शिक्षा के अर्थी निकलने वाले कैसे लोग बैठे हैं। जब प्राचार्य सुशील कुमार श्रीवास्तव देश के शिक्षा मंत्री का नाम नहीं बता पाए तो उन्होंने अपने ही कमरे में बैठे एक चंपकलाल से पूछा कि गूगल में देखकर बताइए की शिक्षा मंत्री का नाम क्या है वह चंपकलाल जब नहीं बता पाया तो कैमरे के सामने ही प्राचार्य सुशील कुमार श्रीवास्तव ने गूगल गुरु से देश के शिक्षा मंत्री का नाम पूछा और बड़ी बेहयाई के साथ संवाददाता को बताया कि इसमें तो धर्मेंद्र प्रधान का नाम आ रहा है। जिस व्यक्ति की जिंदगी पढऩे और पढ़ते शिक्षा के ही क्षेत्र में 40से 50 साल बीत गई और उसे व्यक्ति को अपने स्कूल में होने वाली प्रार्थना के लेखक का नाम नहीं मालूम देश के शिक्षा मंत्री का नाम नहीं मालूम तो ऐसे प्रचार के साथ क्या सलूक किया जाना चाहिए यह तो प्रदेश की सरकार और जिला प्रशासन को तय करना चाहिए कि ऐसे अयोग्य और कम ज्ञानी व्यक्तियों को शिक्षा के शीर्ष संस्थानों में बैठकर बच्चों को किताबी कीड़ा ना बनाया जाए । देश के अंदर लॉर्ड मैकाले ने जिस तरीके की शिक्षा के बीज बोए थे सुशील श्रीवास्तव इस बीज का आरोग्य पेड़ है जिसकी छाया में हजारों बच्चे अध्ययन कर रहे हैं। स्कूल के प्राचार्य के सामान्य ज्ञान का स्तर इतना घटिया हो उसे स्कूल के बच्चों के सामान्य ज्ञान का स्तर क्या होगा अंदाजा लगाया जा सकता है।




