कांतिलाल भूरिया को क्यो बनाया चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष

2023 के विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने मास्टर स्ट्रोक खेला कांग्रेस ने चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष पूर्व केंद्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया को बनाया है कांतिलाल भूरिया कभी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ही रह चुके आदिवासी समाज से आते हैं जिसके चलते यह माल जा रहा है की कमलनाथ ने प्रदेश में आदिवासी कार्ड खेल कर भारतीय जनता पार्टी को झटका देने की कोशिश की है ।
मध्यप्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस आदिवासी वोट बैंक के सहारे सत्ता वापसी की राह तलाशने निकली है। कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव अभियान की कमान आदिवासी नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया को सौंपी है। भूरिया के नेतृत्व में पार्टी के 32 नेताओं के साथ ही युवा कांग्रेस, महिला कांग्रेस, भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन यानि एनएसयूआई, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग सहित तमाम विभागों के अध्यक्षों की टीम चुनाव अभियान में उतरेगी। इधर, कांग्रेस ने चुनाव समिति का भी ऐलान कर दिया है। इसका अध्यक्ष कमलनाथ को बनाया गया है।
दरअसल मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले भाजपा और कांग्रेस ने अपने नेताओं को जिम्मेदारियां सौंपकर मैदान में उतार दिया है। कांग्रेस ने कांतिलाल भूरिया को चुनाव अभियान समिति की कमान सौंपकर साफ कर दिया है कि वह आदिवासी चेहरे के साथ चुनाव लड़ेगी। इसके जरिए कांग्रेस प्रदेश के 2 करोड़ आदिवासियों और 230 में से 47 आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित विधानसभा सीटों को साधने की कोशिश करेगी। कांग्रेस की रणनीति साल 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी के साथ आए आदिवासी वोट बैंक को आगामी चुनाव में और मजबूत करने की है। कांग्रेस ने पिछले विधानसभा चुनाव में 47 विधानसभा सीटों में से 30 आदिवासी सीटें जीतकर सत्ता की सीढ़ी चढ़ी थी। बता दें कि कांतिलाल भूरिया कांग्रेस के तीन बड़े नेताओं के बीच मान्य भी समझे जाते हैं।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने मध्यप्रदेश के लिए चुनाव अभियान समिति में पूर्व केन्द्रीय मंत्री कांतिलाल भूरिया को अध्यक्ष बनाया है। इसके अलावा इसमें कमलनाथ, डॉक्टर गोविन्द सिंह, दिग्विजय सिंह, सुरेश पचौरी, अरुण यादव, अजय सिंह राहुल, विवेक तन्खा, राजमणि पटेल, नकुल नाथ, सज्जन सिंह वर्मा, एनपी प्रजापति, केपी सिंह कक्काजू, लक्ष्मण सिंह, बाला बच्चन, तरूण भनोट, ओंमकार सिंह मरकाम, विजयलक्ष्मी साधौ, राजेन्द्र सिंह, हिना कांवरे, लाखन सिंह यादव, सुखदेव पांसे, जीतू पटवारी, कमलेश्वर पटेल, सुरेन्द्र सिंह हनी बघेल, रामनिवास रावत, सुरेन्द्र चौधरी, आरिफ मसूद, महेन्द जोशी, शोभा ओझा, अशोक सिंह, राजीव सिंह के अलावा सभी संगठनों के अध्यक्ष और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक विभाग के प्रदेश अध्यक्षों को रखा गया है।
वहीं, कांग्रेस ने चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ को सौंपी है। कमलनाथ के नेतृत्व में 19 सदस्यों और फ्रंटल ऑर्गेनाइजेशन अध्यक्षों की चुनाव समिति बना दी गई है। इसमें नेता प्रतिपक्ष डॉ.गोविन्द सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, सुरेश पचौरी, अरुण यादव, अजय सिंह राहुल, विवेक तन्खा, राजमणि पटेल, नकुल नाथ, सज्जन सिंह वर्मा, तरूण भनोट, ओंमकार सिंह मरकाम, विजयलक्ष्मी साधौ आदि नेता हैं।
भूरिया को चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाए जाने को कांग्रेस मास्टर स्ट्रोक बता रही है। कांग्रेस के मुताबिक भाजपा के आदिवासी एजेंडा को काउंटर करने के लिए कमलनाथ ने आदिवासी नेता भूरिया का नाम आगे बढ़ाया है। आदिवासियों के लिए आरक्षित सीटों में भूरिया सीधा असर डालेंगे। प्रदेश में 22 फीसदी आदिवासी मतदाता हैं। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि शिवराज सरकार में आदिवासियों पर सबसे ज्यादा अत्याचार हो रहा है। सीधी पेशाब कांड, नेमावर हत्याकांड और नीमच जैसी घटनाओं को कांग्रेस इसके जरिए भुनाने की कोशिश करेगी।




