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कई विधायकों की कटेगी टिकट?

2023 के विधानसभा चुनाव में यदि भारतीय जनता पार्टी ने गुजरात मॉडल अपनाया तो विंध्य क्षेत्र के भी कई नेताओं की टिकट कट जाएगी । जिसमें सतना के नागौद विधायक नागेंद्र सिंह का भी नाम लिया जा सकता है। वैसे भी नागेंद्र सिंह घोषणा तो कर चुके हैं कि वे अब अगला चुनाव नहीं लड़ेंगे । भारतीय जनता पार्टी उम्र का हवाला देकर नागेंद्र सिंह के साथ साथ अन्य कई लोगों की भी टिकट काटेगी । यदि रीवा जिले की बात करें तो विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम तथा श्यामलाल द्विवेदी की भी टिकट कट सकती है इसके अलावा सीधी जिले के केदारनाथ शुक्ला तथा सिंगरौली जिले के राम लल्लू वैश्य की भी टिकट कट सकती है। कांग्रेस से भाजपा में आए मंत्री बिसाहू लाल सिंह भी उम्रदराज हो चुके हैं इस आधार पर उनकी भी टिकट कट सकती है यदि किसी उम्र दराज नेता की टिकट नहीं कटती तो यही माना जाए यह कोई दूसरा सक्षम प्रत्याशी भारतीय जनता पार्टी को नहीं मिला ।
पिटे हुए मोहरों के हाथों में भाजपा को जिताने का जिम्मा
मध्य प्रदेश में साल 2023 का सत्ता का महासंग्राम फतह करने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने जिन चेहरों को चुनावी वैतरणी पार लगाने वाली फौज का हिस्सा बनाया है, इनमें अधिकांश चेहरों को साल 2018 के चुनावी समर में मतदाताओं ने नकार दिया था। अलबत्ता भाजपा ने सांसदों के लिए विधानसभा चुनाव में टिकट देने के फार्मूला तैयार करने के बाद अब हारी हुई सीटों पर बीते चुनाव के उम्मीदवारों की जगह नए चेहरों पर दांव लगाएगी। इसके साथ ही चुनाव हार चुके नेताओं को चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी देना तय किया है।

दरअसल पार्टी का केन्द्रीय संगठन प्रदेश में भी गुजरात का चुनावी फार्मूला लागू करने जा रहा है। इसके तहत क्षेत्रीय जमावट और चुनाव प्रबंधन में पूरी तरह से गुजरात फॉर्मूला नजर आने वाला है। बीते चुनाव में सत्ता से बाहर होने से सबक लेते हुए इस बार भाजपा हाईकमान किसी भी तरह का रिस्क नहीं लेना चारहता है। यही वजह है कि इस बार चुनाव को लेकर भाजपा का केन्द्रीय संगठन अभी से पूरी तरह से प्रदेश में सक्रिय हो चुका है। इस बार चुनाव में किसी तरह से कोई खामी नहीं रह जाए, इसके लिए सत्ता व संगठन द्वारा कई स्तर पर सर्वे कराया गया है। सर्वे में सामने आई खामियों व हालात के हिसाब से प्रत्येक सीट के लिए अलग -अलग रणनीति तैयार करने के लिए कई स्तर पर होम वर्क किया जा रहा है। उधर, संगठन ने तय किया है कि कुछ सीटों पर हारे हुए चेहरों को प्रत्याशी बनाने के अपवाद को छोडक़र बाकी हारे नेताओं को चुनावी समितियों में एडजस्ट किया जाएगा, जिससे की उनमें नाराजगी न रहे। वैसे भी इस बार प्रदेश के चुनावी प्रबंधन की कमान केन्द्र ने अपने हाथों में ले रखी है।

अब तक पार्टी के पास जो सर्वे रिपोर्टस् आयी हैं, उसके मुताबिक नेताओं के खिलाफ व्यक्तिगत एंटी इनकम्बेंसी है। इससे निपटनेे के लिए ही इस बार संगठन गुजरात की तरह नए चेहरों पर दांव लगाने की तैयारी है। दरअसल, गुजरात में जिस फार्मूले पर भाजपा ने चुनाव लड़ा था, उसकी वजह से ही भाजपा को वहां पर रिकार्ड सातवीं बार भारी चुनावी सफलता मिली है। इसके साथ ही पार्टी को मिलने वाले मतों में भी वृद्धि हुई है। वहां पूरा चुनाव शाह के मार्गदर्शन में लड़ा गया था। मप्र में भी अब शाह पूरी तरह से सक्रिय हो चुके हैं।

भाजपा के इन विधायकों के टिकट पर संशय
माना जा रहा है कि प्रदेश में भाजपा के जो माननीय उम्रदराज हो चुके हैं, उन्हें इस बार टिकट मिलना मुश्किल है। अभी भाजपा के सबसे उम्रदराज रीवा जिले के गुढ़ विधायक नागेंद्र सिंह हैं। उनकी उम्र- 81 साल है। वे अपनी जगह परिवार के ही किसी सदस्य के लिए टिकट चाहते हैं। गुना से विधायक गोपीलाल जाटव की उम्र 75 साल है। रीवा जिले के त्योंथर से विधायक श्यामलाल द्विवेदी की उम्र 74 साल , उज्जैन उत्तर से विधायक पारस जैन की उम्र 73 साल हो चुकी है। इसी तरह से सीताशरण शर्मा, होशंगाबाद 73 साल, अजय विश्नोई, पाटन 71 साल , गौरीशंकर बिसेन बालाघाट 71 साल , रामलल्लू वैश्य, सिंगरौली 73 साल , जयसिंह मरावी, जयसिंह नगर 72 ,महेंद्र सिंह हार्डिया, इंदौर-5 71 साल , गिरीश गौतम, विस अध्यक्ष 71 साल देवीलाल धाकड़, गरोठ 71 साल , केदारनाथ शुक्ल, सीधी, 69 साल ,रामपाल सिंह, सिलवानी 67 साल और करण सिंह वर्मा, इच्छावर 66 साल की उम्र पूरी कर चुके हैं। गुजरात में पार्टी को जिस तरह से भारी सफलता मिली थी, इसकी वजह से ही उसी फॉर्मूले को मप्र में लागू करने की तैयारी की जा रही है। इसकी वजह है बीते विधानसभा चुनाव में भाजपा को 121 सीटों पर पराजय मिली थी। जिसकी वजह से सरकार बनाने के लिए जरुरी सीटों का आंकड़ा नहीं मिल सका था। इस वजह से पार्टी इस बार हर वो कदम उठाने की तैयारी में लगी हुई है, जिससे पार्टी की फिर से सत्ता में वापसी हो सके। इस वजह से यह तो तय माना जा रहा है कि पार्टी बड़े पैमाने पर मौजूदा विधायकों के टिकट तो काटेगी ही और साथ में कई इलाकों में नए चेहरों को मौका देगी। यही नहीं टिकट देने के पहले पार्टी संभावित प्रत्याशी को कई कसौटियों पर भी कसेगी।

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