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गैर जिम्मेदार मंत्री और मूक बधिर नेता

सतना। प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव शैक्षणिक पर्यटन की यात्रा पर सतना आए उद्घाटन किया और सैर सपाटा कर निकल लिए। आश्चर्य की बात यह है कि जब किसी मंत्री के सामने उसी के विभाग की समस्याओं का रोना उसी के विभाग के कर्मचारी रोए और उसके बाद भी मंत्री अपनी कान में खूंटा डालकर बैठा हो और उसे अनसुना करने की कोशिश करे तो ऐसा लगता है कि सरकार में बैठे मंत्री पूर्ण रूपेण से बहरे हैं।
मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री जब कन्या महाविद्यालय में तफरी करने गए तो उन्हें तफरी के दौरान कन्या महाविद्यालय की प्राचार्य नीलम रिछारिया ने बड़ी हिम्मत करके मंत्री के सामने महाविद्यालय की समस्याओं को उनके सामने रखा हालांकि नीलम रिछारिया हिम्मती लोगों में गिनी नहीं जाती फिर भी उनकी हिम्मत की दाद देनी पड़ेगी जिसका चुप्पियों से अनुबंध हो उसने मुंह कैसे खोल दिया यह भी अपने आप में बड़ा आश्चर्य है लेकिन प्राचार्य ने एक-एक करके कन्या महाविद्यालय की समस्या गिनाई और कहा की 10000 बच्चियों के बीच में सिर्फ 16 प्राध्यापक है कुछ शंकायों को मान्यता भी नहीं है जिसके चलते कन्या महाविद्यालय की बच्चियां शोध नहीं कर पाती समस्याओं की फेहरिस्त नीलम गिनती रही और मंत्री समस्या सुनकर ऐसे मुस्कुरा रहे थे जैसे समस्या न होकर कोई व्यंग्य की कविता सुन रहे हो। मंत्री जी कन्या महाविद्यालय बस ही नहीं गए मंत्री जी गहरा नाला स्थित डिग्री कॉलेज भी गए वहां भी समस्याओं का अंबार ही है यहां 14000 विद्यार्थी पढ़ते हैं।
विद्यार्थियों के ठीक से बैठने की व्यवस्था तक नहीं है पढ़ाने वाले प्राध्यापकों की तो बात ही छोड़ दीजिए। इस कॉलेज के पास एक नियमित प्राचार्य भी नहीं है काम चलाऊ प्राचार्य से यह कॉलेज संचालित है। छात्रों के रहने के लिए हॉस्टल तो बन चुका है लेकिन उसमें ताला पड़ा हुआ है उस ताले को कौन खोलेगा यह भी अपने आप में एक बड़ा सवाल है। गिनती के दो शासकीय महा विद्यालयों पर छात्रों का जिस तरीके से बोझ है उसे देखते हुए पूर्व विधायक शंकर लाल तिवारी एवं भगवती पांडे ने नए महाविद्यालय खोलने की बात की उसे भी मंत्री मोहन यादव ने अनसुना कर दिया।
सतना शहर के अंदर लॉ कॉलेज नहीं है सतना शहर के अंदर विज्ञान महाविद्यालय नहीं है आजादी के साथ दशक बीत जाने के बाद भी किसी जिले के अंदर उच्च शिक्षा की इतनी दुर्दशा हो इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि क्षेत्र के जनप्रतिनिधि कितने नकारा और निकम्मे है। इसी तरीके से मध्य प्रदेश की परिवर्तन मंत्री उषा ठाकुर चित्रकूट अपने मंत्री कल में कई बार आई लेकिन उन्होंने चित्रकूट में पर्यटन बढ़ाने की दिशा में कोई कार्य नहीं किया उनके सामान्य ज्ञान का स्तर इतना घटिया देखने को मिला कि वे मंदाकिनी नदी को नर्मदा नदी बोलती रही। तमाम अव्यवस्था और नाकामियों के बीच भी भारतीय जनता पार्टी के नेता सत्ता की चकाचौंध में अंधे हो चुके है। इतना सब कुछ होने के बाद भी वे सत्ता में वापसी का दिवस्वपन देख रहे हैं।

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