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प्रिंसपल होकर भी नही जानती शिक्षा मंत्री का नाम

विशाल खबर शिक्षा के कलंक के चार पार्ट दिखा चुका है । सर्वाधिक प्रतिक्रियाएं सरस्वती शिशु मंदिर कृष्ण नगर और उत्कृष्ट विद्यालय की वास्तविकता दिखाने पर आई । तमाम प्रतिक्रिया व्यक्त करने वालों ने अपने मानसिक दिवालियापन का परिचय दिया कुछ ने तो यहां तक लिखकर हम से पूछने की कोशिश की आपके कैमरामैन के माता जी का नाम क्या है। इस तरीके की सतही प्रतिक्रिया से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि आज की तारीख में सच को उजागर करना कितना जोखिम भरा काम है । कुछ लोगों ने यहां तक कहा की दो प्रश्नों के उत्तर के आधार पर किसी भी प्राचार्य की योग्यता मापने का काम उचित नहीं है । हर व्यक्ति के कुछ समर्थक होते हैं कुछ विरोधी होते हैं निश्चित तौर पर जब प्राचार्य की वास्तविकता जनता के सामने आई तो उनके चमचों ने उनके समर्थन में अपने जिंदा होने का सबूत दिया। विशाल खबर पूरे देश और प्रदेश का मंत्रिमंडल प्राचार्य से नहीं पूंछ रहा है । विशाल खबर प्राचार्य से सिर्फ इतना पूछ रहा है कि आपके स्कूल में होने वाली प्रार्थना के रचयिता कौन है और देश के शिक्षा मंत्री और प्रदेश के शिक्षा मंत्री का नाम क्या है यदि प्राचार्य होने के नाते किसी स्कूल के प्राचार्य को अपने यहां होने वाली प्रार्थना के रचयिता का नाम नहीं मालूम तो क्या यह शर्मिंदगी की बात नहीं है देश के शिक्षा मंत्री का नाम नहीं मालूम क्या ऐसे प्राचार्य को इज्जत की नजरों से देखा जाना चाहिए या उनके समर्थन में जो लोग अपने जिंदा होने का सबूत दे रहे हैं उन्हें भी अपना मूल्यांकन शीशे के सामने खड़े होकर के कर लेना चाहिए कि वे सच के साथ खड़े हैं या झूठ के साथ खड़े हैं वह न्याय के साथ खड़े हैं या अन्य के साथ राम के साथ खड़े हैं या रावण के साथ खड़े कंस के साथ खड़े हैं या कृष्ण के साथ खड़े है । मैं हमेशा जायज प्रतिक्रियाओं का सम्मान करता हूं आगे भी करता रहूंगा लेकिन कुछ मुट्ठी भर लोगों का समूह हमे डरा नहीं सकता । शिक्षा के कलंक में अब तक आर्य पब्लिक स्कूल शासकीय कन्या हाई स्कूल सिंधी कैंप, सरस्वती शिशु मंदिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कृष्ण नगर और उत्कृष्ट विद्यालय वेंकट वन के प्राचार्य की वास्तविकता हम अपने दर्शकों को दिखा चुके हैं हमारे दर्शकों ने हमें बहुत प्यार बहुत दुलार बहुत इज्जत बहुत सारे लोगों ने हमारे कार्य को सराहा की और कुछ ने तो यहां तक कहा कि इस तरीके के सवाल स्कूल के शिक्षकों से भी पूछे जाने चाहिए । शिक्षा के कलंक की फेहरिस्त में हम आज आपको जैन दिगंबर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की वास्तविकता दिखाने जा रहे हैं आने वाले भविष्य में हम आपको कन्या धवारी वेंकट 2 सीएम राइज सीएमए गार्जियन एंड गाइड शासकीय कामता टोला के प्राचार्य की भी वास्तविकता दिखाएंगे। फिलहाल आज देखिए जैन दिगंबर स्कूल के प्राचार्य की कहानी। इस स्कूल की प्राचार्य है राजश्री श्रीवास्तव और बड़े गर्व के साथ बताती है कि यह स्कूल 125 साल पुराना है। इस स्कूल की अपनी गौरव गाथा है इस स्कूल से विधानसभा अध्यक्ष शिवानंद मंत्री रह चुके डॉ लालता प्रसाद खरे तथा सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जेएस वर्मा ने भी पठन-पाठन का काम किया है । लेकिन बड़े अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि जिस स्कूल की इतनी बड़ी गौरवगाथा है उसी स्कूल की प्राचार्य राजश्री श्रीवास्तव को अपने स्कूल में होने वाली प्रार्थना के रचयिता का नाम नहीं मालूम तथा जब हमारे संवाददाता फिरोज खान ने स्कूल की प्राचार्य से देश की शिक्षा मंत्री का नाम पूछा तो उन्होंने स्मृति ईरानी बताया । प्रदेश के शिक्षा मंत्री के बारे में तो राजश्री श्रीवास्तव को कुछ मालूम ही नहीं इस पूरे मामले में विशाल खबर के संवाददाता फिरोज खान ने राजश्री श्रीवास्तव से बातचीत की सुनिए उनने क्या जवाब दिया । क्या किसी स्कूल के प्राचार्य को इतना भी अपग्रेड नहीं होना चाहिए कि देश के शिक्षा मंत्री और प्रदेश के शिक्षा मंत्री का नाम मालूम हो । इस देश का दुर्भाग्य है किस देश के तमाम लोगों को दुनिया की वह तमाम चीज मालूम है जो उन्हें नहीं मालूम होनी चाहिए लेकिन जो मालूम होना चाहिए वह नहीं मालूम होता । और तकलीफ इस बात पर होती है कि कोई भी व्यक्ति अपनी नाकामी अपनी कमी को सहजता के साथ स्वीकार नहीं करता कोई चीज नहीं मालूम है तो सहजता के साथ यह भी कहा जा सकता है कि कि फिलहाल मुझे इस बात का ज्ञान नहीं है लेकिन लोग ऐसा कहने की बजाय ऐसा कहते हैं कि हमारी सब जानते हो आप लोगों को मत दिखाइए या इसे काट दीजिए इसी तरीके की बातें वेंकट बन के प्राचार्य सुशील श्रीवास्तव ने भी कही थी और इसी तरीके की बात जैन दिगंबर की प्राचार्य राशि श्रीवास्तव की कहती हुई सुनाई पड़ रही हैं। पूरे जिले के अंदर प्राइवेट स्कूलों की लंबी फेहरिस्त लेकिन इन प्राइवेट स्कूलों के प्राचार्य का जब सामान्य ज्ञान इतना कमजोर है तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन स्कूल के शिक्षकों की क्या हालत होगी । बच्चों के ऊपर किताबों का बोझ लगने वाले यह प्राचार्य यदि अपने दिल दिमाग में भी कुछ ज्ञान का बोझ लाद ले तो शायद पूरे प्रदेश के परीक्षा परिणाम का स्तर सुधर जाएगा । लेकिन बड़े अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि बड़ी-बड़ी चमक-दमक वाली स्कूल भी सिर्फ फीस वसूलने के अलावा बच्चों को किताबी कीड़ा ही बन पा रही है जबकि स्कूलों का कर्तव्य है कि वह आज के बच्चों को कल की भविष्य के रूप में तैयार करें और ऐसा तभी होगा जब सभी स्कूल यह तय करेंगे कि हम बच्चों को काबिल और योग्य बनाएंगे किताबी कीड़ा नहीं ।

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