सतना से क्यों मिली गणेश सिंह को टिकट
सतना। सतना जिले के अंदर सतना विधानसभा सीट ही ऐसी थी जिसमें एक अनार सौ बीमार की कहावत लागू हो रही थी जुम्मा जुम्मा जिन लोगों ने हाल ताज में ही भाजपा की चड्ढी बनियान पहनी थी वे लोग भी कमल का दुपट्टा ओढक़र टिकट मांगने लगे थे। मजेदार बात तो यह है कि सतना शहर से जितने लोग टिकट मांग रहे थे उनमें से अधिकांश लोग मुझसे भी यह कह रहे थे कि मेरी ऊपर बात हो गई है मेरी टिकट पक्की है पार्टी ने निर्देश दिया है आप तैयारी करिए। सांसद गणेश सिंह की टिकट घोषित होने के बाद मुझे उन लोगों पर तरस आ रहा है जो मुझसे यह कहा करते थे कि मेरी टिकट फाइनल है। गणेश सिंह विधानसभा चुनाव लड़ेंगे इस बात की संभावना तो जताई जा रही थी लेकिन सतना विधानसभा से लड़ेंगे इस बात का इल्म बहुत कम लोगों को था गणेश सिंह का नाम चित्रकूट विधानसभा से चल रहा था गणेश सिंह का नाम नारायण त्रिपाठी के विरोध में मैहर से भी चल रहा था और अमरपाटन में रामखेलावन की टिकट काटकर गणेश सिंह को भी प्रत्याशी बनाए जाने की संभावना थी लेकिन गणेश सिंह सतना से प्रत्याशी बनाए जाएंगे इस बात की संभावना कम थी। लेकिन गणेश सिंह को सतना विधानसभा से प्रत्याशी क्यों बनाया गया यह भी अपने आप में समझने वाली बात है। सतना विधानसभा सीट में बीते 1 वर्षों से जिस तरीके से विधानसभा के दावेदार उतर रहे थे जिसमें धर्मेंद्र सिंह बराज, नीरज शुक्ला, पिक्की सिंह तोमर , संजय तीर्थवानी ऐसे एक दर्जन नाम है जो गणेश सिंह का नाम आते ही शांति का पहाड़ा पढऩे लगेंगे। कोई अन्य प्रत्याशी घोषित हुआ होता तो निश्चित तौर पर इनमें से अधिकांश लोग बगावत का बारूद बिछाते लेकिन गणेश सिंह का नाम आने के बाद यह सारे लोग पार्टी की भक्ति में जुट जाएंगे। गणेश सिंह का नाम आने के बाद तमाम ऐसे प्रत्याशी जो चुनाव लडऩे की सोच रहे थे वे अब बगावत नही करेंगे। कुछ ऐसे प्रत्याशी हैं जो बगावत तो नहीं करेंगे लेकिन अंदर ही अंदर गणेश सिंह का नुकसान जरूर करेंगे अब यह अलग बात है कि वह कितना नुकसान कर पाते हैं।




