सम्पन्न लोगों को टिकट देती है बसपा

सतना। बहुजन समाज पार्टी 5 साल आम जनता के दुख दर्द को लेकर आंदोलन प्रदर्शन धारण करते हुए नहीं दिखेगी। दो चार पांच साल में एक बड़ा कार्यक्रम करके बहुजन समाज पार्टी यह बताने की कोशिश करती है कि बसपा अभी खत्म नहीं हुई है। बहुजन समाज पार्टी का वोट काफी कुछ बीजेपी और कांग्रेस की तरफ खसका है लेकिन अभी भी सतना जिले की हर विधानसभा में 10 से 20000 के बीच में आज भी बसपा ने अपने वोट सुरक्षित रखें इसी वजह से बहुजन समाज पार्टी चुनावी सीजन में अच्छा खासा धंधा कर लेती है। सतना जिले के अंदर दो टिकट घोषित हो चुकी है।
रैगांव से देवराज अहिरवार और रामपुर बाघेलान से मणिराज यह दोनों ही प्रत्याशी आर्थिक रूप से काफी संपन्न हैं। देवराज अहिरवार बीते 5 वर्षों से बहुजन समाज पार्टी में संघर्ष करते देखे गए लेकिन मणिराज सिंह तो बहुजन समाज पार्टी में सीधे आए और टिकट ले ली। इन दोनों व्यक्तियों ने टिकट कैसे ली। इस संबंध में राजनीति में रुचि रखने वालों का अलग-अलग कहना कुछ लोग यह कहते सुने गए कि बहुजन समाज पार्टी संपन्न लोगों को टिकट मुफ्त में नहीं देती। यदि इस बात में सच्चाई है तो निश्चित तौर पर देवराज अहिरवार और मणिराज सिंह ने टिकट खरीदी ही होगी सतना जिले की पांच विधानसभा की टिकट बची हुई उन टिकटों में भी अधिकांश टिकट की बोली लगाने वाले कतार में लग चुके हैं। मैहर से मनीष पटेल कि बसपा से आंतरिक डील हो चुकी है यदि उनसे बड़ा कोई कारोबारी बोली लगाने बसपा के पास नहीं पहुंचा तो बहुत संभव है कि मनीष पटेल को टिकट मिल जाएगी। सतना विधानसभा में अनिल अग्रहरि शिवा और गेंदलाल पटेल टिकट की बोली लगा चुके हैं। अब देखना है कि इन दोनों में बहुजन समाज पार्टी सीट किसे देती है। भारतीय जनता पार्टी से रुष्ट होकर अभी हाल-ताज में ही सुभाष शर्मा डोली ने बहुजन समाज पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। वैसे भी बहुजन समाज पार्टी सवर्णों को बिना कुछ लिए दिए टिकट नहीं देती।
संभावना है की सुभाष शर्मा डोली के साथ भी कोई न कोई डील तो हुई होगी। यदि डील व्यवस्थित हुई होगी तो टिकट सुभाष शर्मा डोली को ही मिलेगी। अभी जिले की दो विधानसभा सीट में बहुजन समाज पार्टी क्या गुल खिलाएगी यह कहना मुश्किल है लेकिन सतना जिले की नागौद और अमरपाटन विधानसभा में भी बहुजन समाज पार्टी आज तक चुनाव को नहीं जीती लेकिन उनके प्रत्याशियों की चुनाव में जीत हार की बड़ी भूमिका रहती है। पिछली बार अमरपाटन से छंगे कोल चुनाव लड़े थे यदि वे चुनाव लडऩे का मन बनाएंगे तो बहुत संभव है कि बहुजन समाज पार्टी उन्हें ही टिकट देगी नहीं तो वहां भी कोई धन्ना सेठ टिकट खरीद कर ही लड़ेगा। नागौद विधानसभा में यदि कांग्रेस से यादवेंद्र सिंह प्रत्याशी होते हैं तो बहुत संभव है रश्मि पटेल बहुजन समाज पार्टी का दामन पकड़ सकती है।
नागौद विधानसभा से जब तक भारतीय जनता पार्टी का प्रत्याशी नहीं घोषित हो जाता तब तक यहां भी संशय का बादल मंडराता ही रहेगा। यदि भारतीय जनता पार्टी ने नागेंद्र सिंह को टिकट दी और गगनेंद्र सिंह बागी बनने पाए तो नागौद की भी तस्वीर बदल जाएगी। हालांकि गगनेंद्र सिंह सार्वजनिक मंचों से यह घोषणा कर चुके हैं यह पार्टी जो निर्णय लेगी हम उसके साथ है। राजनीति संभावनाओं का खेल है इस खेल में कौन क्या कहता है यह महत्वपूर्ण नहीं है कौन क्या करता है यह महत्वपूर्ण है। 20 वर्षों से भारतीय जनता पार्टी सत्ता में है जिसके चलते भारतीय जनता पार्टी में टिकट की चाहत रखने वालों की संख्या बढ़ी है। जहां-जहां टिकट चाहने वालों की संख्या बड़ी है वही वही बगावत करने वालों की भी संख्या बड़ी है।
जितना बगावत करने वालों की संख्या बढ़ेगी उतना ही बहुजन समाज पार्टी की दुकान की बिक्री बढ़ेगी। आने वाले समय में बहुजन समाज पार्टी की दुकान पर अभी कितने प्रत्याशी टिकट खरीदने पहुंचेंगे अभी से कुछ कहना जल्दबाजी होगी लेकिन इतना तो तय है बहुजन समाज पार्टी इस बार जिले में कई जीतने वाले प्रत्याशियों का खेल तो बिगाड़ देगी और इस रसा कसी में यदि एक दो प्रत्याशी जीतने पाए तो उनकी चांदी हो जायेगी। क्योंकि पहले ऐसा लग रहा था कि कांग्रेस स्पष्ट बहुमत के साथ सरकार बना ली लेकिन जिस तरीके से लाडली बहना योजना ने भारतीय जनता पार्टी की बिगड़ी हुई अवस्था को सुधारने का काम किया है उससे ऐसा लगता है कि कहीं भारतीय जनता पार्टी बढ़ी तो फिर से त्रिशंकु विधानसभा की संभावना बन सकती है।




