क्या गणेश के विरुद्ध नारायण

सतना। भारतीय जनता पार्टी ने जिस तरीके से मध्य प्रदेश के प्रभावशाली नेताओं को विधानसभा की चुनावी मैदान में भेज दिया है उसे देखते हुए क्या कांग्रेस अपनी रणनीति में परिवर्तन करेगी क्योंकि भारतीय जनता पार्टी में तीन केंद्रीय मंत्रियों सहित जितने भी सांसदों को विधानसभा चुनाव लडऩे के लिए मैदान में उतारा है निश्चित तौर पर जनता के बीच में उनके चेहरे बड़े हैं कांग्रेस के पास उतने बड़े चेहरे का आभाव है। लेकिन यदि सत्ता में वापसी करनी है तो कांग्रेस को आक्रामक रणनीति बनानी ही पड़ेगी। क्योंकि नरेंद्र सिंह तोमर कैलाश विजयवर्गी प्रहलाद पटेल फग्गन सिंह कुलस्ते जैसे चेहरों का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस को भी उनके बराबरी का चेहरा ढूंढना पड़ेगा भारतीय जनता पार्टी ने विंध्य क्षेत्र से भी दो सांसदों को विधानसभा प्रत्याशी बना दिया है सतना के सांसद गणेश सिंह को सतना विधानसभा से टिकट दी गई है वहीं सीधी की सांसद रीति पाठक को सीधी विधानसभा से टिकट दी गई है। गणेश सिंह सतना से चार बार लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं इस हिसाब से आज की तारीख में कांग्रेस पार्टी के पास गणेश सिंह के कद का कोई प्रत्याशी नहीं है इसके अलावा रीति पाठक ने भी अजय सिंह राहुल जैसे व्यक्ति को लोकसभा का चुनाव मेें हराया है इस लिहाज से कांग्रेस के पास रीति पाठक के विरुद्ध भी कोई दमदार प्रत्याशी नहीं है ऐसे में क्या कांग्रेस अपनी रणनीति में परिवर्तन करते हुए कुछ आक्रामक रणनीति बना सकती है यदि ऐसा हुआ तो निश्चित तौर पर कांग्रेस भारतीय जनता पार्टी के इन प्रत्याशियों को फाइट दे सकती है। सतना शहर से गणेश सिंह का नाम घोषित हो जाने के बाद कुछ राजनीतिक विश्लेषकों ने तो यहां तक कह दिया कि कांग्रेस नारायण त्रिपाठी को सतना विधानसभा से चुनाव लड़ा सकती है और डब्बू कुशवाहा को किसी दूसरे विधानसभा सीट में भी चुनाव लडऩे के लिए भेज सकती है। कुछ लोगों ने तो यहां तक कह दिया कि कांग्रेस प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के विरुद्ध भी सिद्धार्थ कुशवाहा को चुनाव लड़ा सकती है अब देखना यह है कि जिस तरीके से करो और मारो की लड़ाई भारतीय जनता पार्टी लड़ रही है क्या इस अंदाज में कांग्रेस भी अपनी लड़ाई लड़ेगी या भारतीय जनता पार्टी की आक्रामक रणनीति के सामने समर्पण कर देगी।




