क्या सिंधिया भी चुनाव लड़ेंगे

भारतीय जनता पार्टी जिस तरीके से थक हार कर विधानसभा चुनाव में न सिर्फ सांसदों को मैदान में उतार दिया है बल्कि केंद्रीय मंत्रियों को भी चुनावी अखाड़े में उतारकर सरकार बनाने की दिशा में एक आक्रामक रणनीति दिखाने की भी कोशिश की है लेकिन जनता के बीच में जो संदेश गया उस हिसाब है कि भारतीय जनता पार्टी एंटी एंकमबेंसी से डरी हुई है । प्रदेश के जिन तीन मंत्रियों को चुनाव मैदान में उतारा है उनमें से तीन सीट कांग्रेस के पास है । डिमनी सीट से नरेंद्र सिंह तोमर लड़ रहे हैं इस सीट पर अभी कांग्रेस का कब्जा है भाजपा की कोशिश है की बड़े चेहरों को चुनावी मैदान में उतार कर एंटीएन कांबेनसी को भी खत्म किया जाए और कांग्रेस के कब्जे वाली सीट भी छुड़ाई जाए । केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल को भी नरसिंहपुर से चुनाव मैदान में उतारा है यह सीट प्रहलाद पटेल के भाई जालम सिंह पटेल के पास थी । प्रहलाद पटेल जमीनी आदमी है कार्यकर्ताओं के सुख दुख का ध्यान रखते हैं इस लिहाज से प्रहलाद पटेल कड़े मुकाबले में भी यह सीट फतह कर सकते हैं और जिले के अन्य सीटों पर भी प्रहलाद पटेल का प्रभाव दिखाई पड़ेगा। इसके अलावा भगवान सिंह कुलस्ते को भी विधानसभा चुनाव मैदान में उतर गया है केंद्रीय मंत्री होने के नाते उनका नाम बड़ा है जनता से जीवंत संपर्क का अभाव बताया जाता है अब देखना है कि उनके विरुद्ध कांग्रेस कैसा प्रत्याशी उतारती है । भाजपा ने इंदौर एक से भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गी को चुनाव मैदान में उतारा है जहां से अभी कांग्रेस के संजय शुक्ला विधायक है । कैलाश विजयवर्गी को भी यह उम्मीद नहीं थी कि उन्हें चुनावी मैदान में उतार दिया जाएगा उन्होंने अपने बयान के माध्यम से भी यह जाता दिया कि उन्हें टिकट की सूची देखकर हैरानी हुई । कैलाश विजयवर्गिन ने तो यहां तक कह दिया कि पिता के नाते मैं अपने बच्चों का भविष्य नहीं बिगाड़ना चाहता था मैं बड़ा नेता हो गया हूं गली-गली जाकर हाथ नहीं जोड़ा जा सकता । फिर भी पार्टी ने जो निर्णय लिया है शिरोधार्य है । भारतीय जनता पार्टी की केंद्रीय नेतृत्व ने जो निर्णय लिया है उस निर्णय से प्रहलाद पटेल को छोड़कर अन्य कोई भी नेता सहज नहीं दिखाई पड़ रहा है चुनावी दंगल में जीत हर किसी की भी हो सकती है लेकिन अचानक से किसी भी पहलवान को अखाड़े में उतार दिया जाए तो उसके लिए थोड़ी मुश्किल तो होती है । भारतीय जनता पार्टी ने केंद्रीय मंत्रियों को ऐसी जगह से टिकट दी है जहां चुनावी अखाड़े में पहले से ही एक सक्षम पहलवान विराजमान है उन सक्षम पहलवानों को चुनावी मैदान में शिकायत देना कठिन तो नहीं कहा जा सकता लेकिन आसान भी नहीं है ऐसे में यदि ये बड़े कद के नेता चुनाव हारने पाए तो इनके राजनीतिक जीवन में ग्रहण भी लग सकता है । मध्य प्रदेश के अंदर भारतीय जनता पार्टी की हालत जिस कदर पतली है उसे देखते हुए तो यह भी कहा जा सकता है ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी ग्वालियर चंबल की किसी सीट से चुनाव लड़ाया जा सकता है । भारतीय जनता पार्टी मध्य प्रदेश का चुनाव किसी भी कीमत पर जीतना चाहती है इस लिहाज से कोई बड़ी बात नहीं है कि भाजपा की आने वाली लिस्ट में ज्योतिरादित्य सिंधिया का भी नाम सामने आ जाए ।




