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भोपाल से रीवा तक क्यों चली बंदे भारत ट्रेन, जानिए हकीकत

सतना। भोपाल से जबलपुर तक चलने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस अब सतना होते हुए रीवा तक चलेगी। ऐसा इसलिए भी हो रहा है क्योंकि वंदे भारत ट्रेन को भोपाल से जबलपुर के बीच में जितनी सवारी चाहिए उतनी सवारी नहीं मिल रही थी और वंदे भारत ट्रेन में घाटा हो रहा था इस लिहाज से रेल प्रशासन को लगा कि क्यों न इस ट्रेन को रीवा तक चल दिया जाए। यहां पर यह बताना उल्लेखनीय है कि यदि वंदे भारत ट्रेन को भोपाल और जबलपुर के बीच में पर्याप्त सवारी मिलती तो जबलपुर के सांसद राकेश सिंह इस ट्रेन को जबलपुर के आगे हिलने नहीं देते। एक बार रेलवे प्रशासन ने इस बात का निर्णय ले लिया था कि जबलपुर से मुंबई के बीच में चलने वाली गरीब रथ को रीवा तक चल दिया जाए लेकिन वह ट्रेन रीवा तक इसलिए नहीं आ पाई की जबलपुर के भारतीय जनता पार्टी के सांसद राकेश सिंह ने उस ट्रेन को जबलपुर से आगे नहीं बढऩे दिया और एक भारी भरकम आंदोलन किया जिसके चलते रेल प्रशासन को यह निर्णय लेना पड़ा की गरीब रथ जबलपुर से रीवा नहीं आएगी। जिस तरीके से राकेश सिंह ने गरीब रथ को जबलपुर से रीवा नहीं बढऩे दिया था उसी तरीके से राकेश सिंह को वंदे भारत ट्रेन को भी आगे नहीं बढऩे देना चाहिए था लेकिन राकेश सिंह के अंदर यह औकात नहीं है कि जबलपुर से वंदे भारत ट्रेन को पर्याप्त सवारी दिलवा सके इसलिए उन्होंने आंदोलन न करके चुप्पी साधने में ही भलाई समझी। यहां पर यह बताना उल्लेखनीय है कि इंदौर से भोपाल आने वाली वंदे भारत ट्रेन को भी पर्याप्त सवारी नहीं मिल रही है जिसके चलते इस ट्रेन इंदौर से नागपुर तक चलाने का निर्णय लिया गया है। लेकिन नेताओं को अपने गंदे दांत चमकाने की आदत है जैसे ही बंदे भारत ट्रेन इंदौर से नागपुर तक चलने की घोषणा की गई वैसे ही इंदौर के एक नेता ने इस बात का श्रेय लेने का प्रयास किया कि अब इंदौर से वंदे भारत ट्रेन नागपुर तक चलेगी ठीक इसी तरीके से जब बंदे भारत ट्रेन भोपाल से रीवा तक चलने का निर्णय लिया गया तो सतना क्षेत्र के भी एक नेता ने इस बात का श्रेय लेने की कोशिश की लेकिन वास्तविकता क्या है यह आपको विशाल खबर बता रहा है वंदे भारत ट्रेन अगर इंदौर से नागपुर तक जा रही है तो उसे इंदौर से भोपाल तक पर्याप्त सवारी नहीं मिल रही थी ठीक इसी तरीके से भोपाल से जबलपुर तक चलने वाली वंदे भारत ट्रेन रीवा तक इसलिए चल रही है कि उसे पर्याप्त सवारी नहीं मिल पाई श्रेय लेने की कोशिश चाहे कोई भी नेता करें लेकिन वास्तविकता यही है।

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