ताजा ख़बरें

कैसे हुई बसपा मजबूत

सतना। हमेशा की तरह बहुजन समाज पार्टी चुनावी सीजन में सतना जिले के अंदर मजबूत हो जाती है 5 साल को बहुजन समाज पार्टी का कहीं आता-पता रता नहीं दिखाई देता लेकिन चुनावी सीजन में भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस के बाद यदि सर्वाधिक चर्चा में रहने वाली कोई पार्टी है तो वह है बहुजन समाज पार्टी। पहले तो बहुजन समाज पार्टी सवर्णों को टिकट नहीं देती थी लेकिन फंड की कमी को दूर करने के हिसाब से सवर्णों को टिकट देने की प्रक्रिया बहुजन समाज पार्टी में शुरू हो गई । पूरे 5 साल कोमा में रहने वाली बहुजन समाज पार्टी जैसे ही चुनाव आ जाता है वैसे ही उसे ऑक्सीजन मिल जाती हैं। कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी से जिन नेताओं को टिकट नहीं मिलती वह सबसे पहले बहुजन समाज पार्टी का ही दरवाजा खटखटाते है अब आज के दौर में रीति नीति और सिद्धांतों वाले नेता बचे नही हैं। जो भी व्यक्ति राजनीति में आता है उसे विधायक या सांसद बनने की जल्दी रहती है जैसे ही उसे टिकट नहीं मिली वैसे ही वह इस्तीफा देकर किसी नए दल की टिकट की तलाश में निकल पड़ता है और बहुजन समाज पार्टी में टिकट कैसे मिलती है यह बताने की जरूरत नहीं है जिन लोगों को टिकट मिलती है उनसे स्पष्ट रूप से पूछा जा सकता है कि आपको टिकट कैसे मिली । फिलहाल सतना जिले के अंदर बहुजन समाज पार्टी में के अंदर दो भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने बगावत करके सदस्यता ले ली और एक कांग्रेस के पूर्व विधायक ने बहुजन समाज पार्टी के सदस्य ले ली इस हिसाब से बहुजन समाज पार्टी जो कागजों में मजबूत दिखाई पड़ती थी वह अब स्टार नेताओं की उपस्थिति के चलते भी मजबूत दिखाई पडऩे लगी। अभी हाल ताज में ही नागौर से यादवेंद्र सिंह को कांग्रेस की टिकट नहीं मिली जिसके चलते पूर्व विधायक या यादवेंद्र सिंह ने भी बहुजन समाज पार्टी की सदस्यता ले ली । चित्रकूट से जैसे ही भारतीय जनता पार्टी ने सुरेंद्र सिंह का टिकट घोषित किया था वैसे ही सुभाष शर्मा डोली ने बहुजन समाज पार्टी की सदस्यता ले ली और अभी हाल ही में कमलाकर चतुर्वेदी के सुपुत्र रत्नाकर चतुर्वेदी शिवा ने बहुजन समाज पार्टी की सदस्यता लेकर सबको चौंका दिया । आज की तारीख में रिटायर्ड तहसीलदार मणिराज सिंह भी बहुजन समाज पार्टी में रामपुर बघेलान से चुनाव लड़ रहे हैं यदि देखा जाए तो जिन उद्देश्यों और सिद्धांतों को लेकर बहुजन समाज पार्टी की स्थापना की गई थी और कहा गया था कि यह पार्टी शोषितो पीड़ितों वंचितों की पार्टी है जो सत्ता से काफी दूर रहा है उसे सत्ता में भागीदारी दिलानी है । लेकिन बहुजन समाज पार्टी की टिकट को देखते हुए कोई भी निष्पक्ष होकर यदि समीक्षा करेगा तो यह नहीं कहेगा कि बहुजन समाज पार्टी आज की तारीख में सिशितो पीड़ितों वंचितों की पार्टी है । हालांकि चुनावी सीजन में जिस तरीके से बहुजन समाज पार्टी भाजपा और कांग्रेस के नेताओं को टिकट देती है उसका आज तक बहुजन समाज पार्टी को कोई बड़ा लाभ नहीं मिला है सिर्फ एक बार ही पुष्कर सिंह सतना शहर में बहुजन समाज पार्टी की टिकट पर महापौर बनने पर कामयाब हुए । इसके अलावा कोई भी नेता बहुजन समाज पार्टी की टिकट लेकर कामयाबी का ककहरा नहीं पढ़ पाया । अब देखना यह है की जो लोग कमल के फूल को रौंदते हुए हाथी पर सवार हुए हैं वे राजनीतिक क्षेत्र में जाकर महावत साबित होते हैं या चुनावी क्षेत्र में हार कर फिर से नए राजनीतिक जीवन की शुरुआत करते हैं ।

Related Articles

Back to top button
Close