मुझे घोड़े से गदहा बना दिया गगनेंद्र

जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष गगनेंद्र सिंह का जन्म कांग्रेसी पृष्ठभूमि में हुआ था गजेंद्र सिंह के पिता रामप्रताप सिंह जिले के एक ऐसे नेता रहे जो कांग्रेस से तो विधायक रहे ही लेकिन जब कांग्रेस ने उनकी टिकट काट दी तो उन्होंने अपनी लोकप्रियता जनता के बीच में निर्दलीय चुनाव लड़कर साबित कर दी । नागौर के अंदर ऐसा कोई नेता नहीं हुआ जिसने नागौर की सरजमी से निर्दलीय चुनाव जीता हो । जिला पंचायत का अध्यक्ष बनने के पहले गगनेंद्र सिंह भी कांग्रेसी ही थे लेकिन जब उन्हें लगा कि राजेंद्र सिंह के रहते कांग्रेस में उनका उन्नयन नहीं हो सकता तो उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया और जिला पंचायत के अध्यक्ष बने। जब से गगनेंद्र सिंह भारतीय जनता पार्टी में आए तो कभी ऐसा नहीं लगा कि वे कांग्रेसी पृष्ठभूमि में पले बढ़े हैं। भारतीय जनता पार्टी ने जब भी उन्हें जो जिम्मेदारी सौंप उसे जिम्मेदारी का निर्वहन बड़ी निष्ठा के साथ किया । जब नागेंद्र सिंह ने इस बात का ऐलान किया कि वह बूढ़े हो गए हैं और चुनाव नहीं लड़ना चाहते तो गगनेंद्र सिंह ने पूरी ताकत से नागौर विधानसभा में तैयारी की लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर गगन सिंह के साथ छल किया। जब नागेंद्र सिंह ने इस बात की घोषणा कर ही दी थी कि वह बूढ़े हो गए हैं और चुनाव नहीं लड़ेंगे ऐसे में भले ही भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें टिकट दे दी थी उन्हें मना करना चाहिए था लेकिन जैसे ही टिकट मिला उनके चेहरे की प्रसन्नता को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि वे वाकई में चुनाव लड़ना चाहते थे चुनाव न लड़ने की घोषणा करके गगनीन सिंह को धोखे में रखने की चाल थी। भारतीय जनता पार्टी की बेरुखी से गगनेंद्र सिंह भी आहत है और चुनाव लड़ने की तैयारी कर चुके हैं । इस संबंध में विशाल खबर के संवाददाता फिरोज खान ने जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष गगन सिंह से बातचीत की। एक सवाल के जवाब में गगनेंद्र सिंह ने कहा कहा कि मैं पार्टी से कुछ सवाल पूछे थे लेकिन पार्टी ने उसका उत्तर नहीं दिया मेरे कार्यकर्ताओं ने रेस कोर्स में मुझे बहुत तेज दौड़ने वाले घोड़े के रूप में उतार दिया था उनको यह उम्मीद थी कि मैं इस दौड़ में बहुत आगे रहूंगा लेकिन पार्टी ने पता नहीं कौन सा निर्णय लिया कि मुझे घोड़े से गदहा साबित कर दिया । टिकट न मिलने के सवाल पर गगनेंद्र सिंह ने कहा कि मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि पार्टी की नीति निर्धारक तत्व कौन है पार्टी की नीतियां कौन तय कर रहा है । नागेंद्र सिंह के संबंध में गगन सिंह ने कहा की एक तरफ जो व्यक्ति का रहा है कि मैं चुनाव लड़ना नहीं चाहता 83 साल उसकी उम्र हो चुकी है और पार्टी के किसी कार्यक्रम में वह हिस्सा नहीं लेते उसके बाद भी उन्हें टिकट दे दी गई यह कहां का न्याय है । टिकट का निर्णय सही नहीं हुआ है।
जब गगनेंद्र सिंह को इस बात का ध्यान दिलाया गया की वर्तमान विधायक नागेंद्र सिंह ने कहा था कि अब गगनेंद्र सिंह की जिम्मेदारी मेरी है इस सवाल के जवाब में गगनेंद्र सिंह ने दुखी होते हुए कहा कि जब मैं राजनीति में आया तो मेरे पिताजी राजनीति से दूर हो गए जबकि उनकी उम्र राजनीति से दूर होने की नहीं थी वह दो बार कांग्रेस से और एक बार निर्दलीय चुनाव जीते थे और महत्वपूर्ण बात यह है की गगनेंद्र सिंह के पिताजी राम प्रताप सिंह इसी राजघराने के विरुद्ध ही चुनाव जीतते थे । हमने अपने साथ तो अन्याय किया ही अपने पिताजी के साथ भी अन्याय किया जिसके कारण उन्हें सक्रिय राजनीति से दूर होना पड़ा। मुझे कष्ट इस बात का भी है। एक अन्य सवाल के जवाब में गगनेंद्र सिंह ने कहा कि जब मैं 2013 में टिकट नहीं मांगी थी तब नागिन सिंह ने मुझे जबरदस्ती चुनाव लाडवा दिया अब मैं टिकट मांग रहा हूं तो मुझे मिल नहीं रही है।
भाजपा छोड़ने के सवाल पर गगनेंद्र सिंह थोड़ी भावुक होते हैं और कहते हैं मैं भारतीय जनता पार्टी छोड़ने नहीं चाहता लेकिन यदि भारतीय जनता पार्टी मुझे छोड़ना चाहती है तो छोड़ दे. गगनेंद्र सिंह अपनी एक बात पर आदि हुई है यदि मेरा नाम सर्वे में नहीं था तो पार्टी मुझे वह सर्वे दिखाए और मुझे संतुष्ट करें। एक अन्य सवाल के जवाब में गगन सिंह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी में इस समय संवाद हीनता की स्थिति चल रही है ऐसा मैं अकेला नहीं हूं प्रदेश में ऐसे तमाम लोग हैं। चुनाव लड़ने के सवाल पर गगनेंद्र सिंह ने स्पष्ट कहा कि मेरे कार्यकर्ता जो निर्णय लेंगे वह शिरोधारी है मैं आज भाजपा में हूं कल रहूंगा कि नहीं यह बीजेपी को तय कर रहे हैं मेरे लिए सारी संभावनाएं खुली है । मेरे कार्यकर्ताओं से मुझे अपार्ट्स नहीं मिल रहा है और मैं अपने समर्पित कार्यकर्ताओं के निर्णय का स्वागत करता हूं मैं वही करूंगा जो मेरे कार्यकर्ता कहेंगे ।




