देखिए नागेंद्र सिंह का झूठ

सतना। हिंदुस्तान में झूठ बोलने वाले व्यक्ति से करीब करीब अधिकांश लोग नफरत करते हैं आज हम आपको एक ऐसा वीडियो दिखाएंगे जिसमें नागौद क्षेत्र के विधायक डंके की चोट पर झूठ बोलते हुए दिखेंगे । इस देश की जनता ने नेता को करीब करीब भगवान मान लिया है । कोई भी उद्घाटन हो भूमि पूजन हो शादी हो विवाह हो कोई भी राजनीतिक सामाजिक धार्मिक किसी भी तरीके का कार्यक्रम हो आज की तारीख में बिना नेताओं के अधूरा है हर जगह उनकी उपस्थिति देखी जा सकती है लेकिन यदि नेता झूठ बोलते हो और उसका झूठा आम जनता के सामने पकड़ा भी जाए तो उसे नेता के साथ क्या बर्ताव करना चाहिए यह जनता तय करें लेकिन हम आपको एक ऐसा वीडियो दिखा रहे हैं जिसमें नागौर के वर्तमान विधायक नागेंद्र सिंह 1 वर्ष पूर्व यह कहते सुने जा रहे हैं कि अब हमारी उम्र हो गई है मैं 82 वर्ष का हो गया हूं अब मैं चुनाव नहीं लडूंगा अब इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कोई युवा करें।
अब 1 साल बाद का वीडियो देखिए नागौर के वर्तमान विधायक कह रहे हैं कि मैं कभी पार्टी से टिकट मांगी ही नहीं पार्टी मुझे टिकट क्यों दे देती है । आप राजघराने के व्यक्ति है यदि देश में लोकतंत्र नहीं होता तो आप राजा होते और एक राजा किस संबंध में तुलसीदास जी ने एक चौपाई का उल्लेख किया है
रघुपति रीति सदा चली आई प्राण जाए पर वचन न जाए एक राजा से लोग इसी तरीके की उम्मीद करते हैं कि उसके प्राण भले चल जाए लेकिन जनता के बीच में उसने जो वचन दिया है उसे वचन को कायदे से निभाना चाहिए। नागेंद्र सिंह 83 वर्ष के हो जाने के बाद भी सत्ता की सुपारी फोडऩे में संकोच नहीं करते । किसी शायर ने क्या खूब कहा था
की संदेह मत करना इन बूढ़ों पे
ये सुपारी फोड़ देते हैं मसूढ़ो से ।
यदि भारतीय जनता पार्टी ने आपको टिकट दे ही दी है तो आपको अपना वचन निभाना चाहिए और टिकट वापस कर देनी चाहिए इसके बाद पार्टी क्या करती यह पार्टी का निर्णय था लेकिन आपने जिस तरीके से आकर निर्वाचन कार्यालय में फॉर्म भरा और अपने बयान दिए उसे देखते हुए तो यही लगता है कि आप चुनाव लडऩे के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं आप जो कहते हैं वह करते नहीं है आप जो कहते हैं उसके पीछे एक राजनीतिक चाल होती है जिसमें सामने वाला व्यक्ति धोखे में रहे । नागिन सिंह की इसी गलत बयानी के चलते भारतीय जनता पार्टी में भी बगावत का झंडा बुलंद हुआ गगनेंद्र सिंह इसीलिए चुनावी मैदान में उतर गए। जीत हार अपने आप में एक समीकरण आज की तारीख में यह कहना बिल्कुल गलत होगा कि कोई भी व्यक्ति चुनाव जीत गया तो वह लोकप्रिय है क्योंकि जिस तरीके से आज की तारीख में लोग जातिवाद का जनेऊ पहनकर या जाति बात का जहर बोकर मतदान करते हैं उससे किसी भी नेता के लोकप्रिय और आलोकप्रिय होने का पता नहीं चलता । यदि नागिन सिंह इस बार चुनाव नहीं लड़ते तो शायद नागौर विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी की तरफ से बगावत नहीं होती लेकिन जब किसी नेता के कथनी और करनी में अंतर हो तो इस तरीके की बगावत की संभावना बलवती हो जाती है।




