गणेश और नारायण अच्छे दोस्त?

सतना। मेरा विंध्य मुझे लौटा दो इस मांग के आधार पर अपनी राजनीति का झंडा बुलंद करने वाले नारायण त्रिपाठी ने विंध्य जनता पार्टी के बैनर तले 25 प्रत्याशियों की लिस्ट जारी करती मजेदार बात यहां पर यह है कि इसमें अधिकांश ऐसे लोग हैं जिन्होंने विंध्य की मांग के समर्थन में 1 दिन भी नारायण त्रिपाठी के आंदोलन का हिस्सा भी नहीं बने होंगे। इस पूरी लिस्ट को देखने के बाद ऐसा भी कहा जा सकता है कि विंध्य जनता पार्टी से कोई नामचीन चेहरा चुनाव लडऩे के लिए तैयार नहीं हुआ इसलिए नारायण त्रिपाठी को लंगड़े घोड़े पर दम लगाना पड़ा। विंध्य जनता पार्टी की सूची देखने के बाद यह कहा जा सकता है कि नारायण त्रिपाठी के पास अच्छे प्रत्याशियों का अभाव था। इस पूरी सूची में नारायण त्रिपाठी ने मैहर से अपने नाम की भी घोषणा की है इसके अलावा सतना जिले के अंदर ऐसा एक भी नाम नहीं है जो अपनी जमानत बचा सके या यूं कह सकते हैं कि विंध्य जनता पार्टी के अधिकांश लोग अपनी जमानत जप्त करने के लिए मैदान में उतरेंगे ऐसी संभावना बताई जा रही है या कुछ ऐसे लोग भी हो सकते हैं जो चुनाव तो विंध्य जनता पार्टी से लड़ेंगे लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से मदद किसी दूसरे राष्ट्रीय दल की करेंगे बिना जनता पार्टी की सूची में जितने भी नाम है उन नाम को देखने के बाद ऐसा कहा जा सकता है कि चुनाव मैदान में उतरने से राष्ट्रीय दल के प्रत्याशियों को लाभ पहुंच सकता है और बहुत संभावना इस बात की भी व्यक्ति की जा सकती है कि राष्ट्रीय दल के ही लोग अप्रत्यक्ष रूप से इन लोगों के चुनाव के खर्च भी उठाएंगे । कल तक नारायण त्रिपाठी सांसद गणेश सिंह के विरुद्ध इस बात की घोषणा कर रहे थे कि सतना की जनता को गणेश सिंह से मुक्ति लेनी चाहिए क्योंकि वह लोगों का खून चूसते हैं जिस तरीके से नारायण त्रिपाठी ने अपने प्रत्याशी उतारे हैं क्या उन प्रत्याशियों में इतना सामर्थ है कि वह गणेश सिंह से सतना की जनता को मुक्ति दिला सके । नारायण त्रिपाठी की सूची देखने के बाद तो ऐसा लगता है की नारायण त्रिपाठी और गणेश सिंह में अंदर ही अंदर अच्छी दोस्ती है।




