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चुनावी सीजन में क्यों गायब हैं स्वपना

सतना। समाज सेवा के माध्यम से राजनीति में खुरचन खाने के लिए धूमकेतु की तरह भारतीय जनता पार्टी में प्रविष्ट होने वाली महिला आखिरकार सतना विधानसभा से टिकट न मिलने के बाद कहां गायब हो गई। सतना शहर को कई नेता मुसाफिरखाना समझ रखा है जिस तरीके से एक मुसाफिर खाने में लोग आते हैं रुकते हैं नहाते धोते हैं और चले जाते हैं उनका शहर से कोई लगाव नहीं होता ठीक इसी तरीके से सतना जिले की राजनीति में सक्रिय होने वाले कुछ नेताओं की भी यही हालत है। सतना शहर में एक समाजसेवी आई जिनका नाम था स्वपना वर्मा पहले इन्होंने आंख का टेस्ट किया सतना जिले के अंदर जितने भी आपके रोगी थे करीब-करीब उनके रिकॉर्ड में सब निरोगी हो गए उसके बाद जब तक भाजपा टिकट नहीं बांटी थी तब तक हर वार्ड में स्वपना वर्मा का चिकित्सा शिविर चल रहा था। स्वपना वर्मा ने एक नारा दिया था रोग मुक्त भारत रोग मुक्त सतना। इस चिकित्सा शिविर में कई ऐसे चेहरे भी शामिल हुए जिन्हें कथित रूप से हिंदूवादी कहा जा सकता है हालांकि आज तक इन्होंने हिंदुओं के लिए क्या किया इसका यदि रिकॉर्ड खंगाला जाए तो शायद चंदाखोरी के अलावा कोई रिकॉर्ड मिलेगा नहीं। मजेदार बात यहां पर यह है कि स्वपना वर्मा के स्वास्थ्य शिविर में हिंदूवादी संगठन का एक पदाधिकारी चपरासियों की तरह मौजूद रहता था जबकि अन्य किसी नेताओं के कार्यक्रम में यह हिंदूवादी संगठन का आदमी नहीं दिखता जब मीडिया ने इस हिंदूवादी संगठन के व्यक्ति के चाल चरित्र चेहरे पर उंगली उठाई तो स्वास्थ्य शिविर से यह हिंदूवादी संगठन का पदाधिकारी अदृश्य हो गया। जैसे ही सतना विधानसभा की टिकट घोषित हुई वैसे ही यह समाजसेवी महिला चुनाव जैसे सीजन से सतना से गायब हो चुकी है कहीं नजर नहीं आ रही है। जबकि स्वपना वर्मा को भारतीय जनता पार्टी ने उनके स्वास्थ्य शिविर की विशेष योग्यता देखते हुए प्रदेश कार्यकारिणी का सदस्य बना दिया इसके बाद भी मोहतरमा सतना में दिखाई नहीं दे रही है जब चुनाव जैसे सीजन में स्वपना वर्मा आम जनता के बीच में नहीं जा रही है तो आखिरकार कब जाएगी। बहुत संभव है की सतना के नेताओं ने उन्हें चुनावी प्रचार से भी रोक दिया हो क्योंकि अगर वह चुनाव प्रचार करने जाएंगे तो जनता जरूर यह पूछेगी कि आखिरकार आपके उस रोग मुक्त सतना और रोग मुक्त भारत अभियान का क्या हुआ। जिस तरीके से रोग मुक्त सतना का हवा हवाई अभियान सतना में चलाया गया उसे भारतीय जनता पार्टी को कोई फायदा हुआ हो या ना हुआ हो लेकिन नुकसान जरूर हुआ है आज भी लोग यह जरूर पूछते हैं कि आखिरकार वह रोग मुक्त अभियान का टेंट डॉक्टर और कंपाउंड कहां गायब हो गए क्या वह शिविर सिर्फ सतना विधानसभा से टिकट लेने के लिए लगाया गया था और टिकट नहीं मिलने के बाद सारा शिविर खत्म हो गया अब संभवत: इस तरीके का शिविर जब लोकसभा टिकट बांटने का नंबर आएगा तो फिर से लग सकता है क्योंकि सतना शहर में दो लोग ऐसे हैं जो स्वास्थ्य शिविर लगाकर राजनीति की सीढिय़ां चढऩा चाहते हैं अगर स्वास्थ्य शिविर लगाकर राजनीति की सीढिय़ां चढऩा इतना सरल होता तो शायद देश की संसद में और विधानसभा में डॉक्टर कंपाउंडर और नर्स ही बैठे होते। लेकिन इतना तो तय हो चुका है कि सतना शहर की जनता स्वपना वर्मा को पहचान चुकी है। सतना की जनता यह जान चुकी है कि ना यह रोग मुक्त सतना बनाना चाहती है और ना ही रोग मुक्त भारत बनाना चाहती है ये सिर्फ राजनीतिक में पद प्रतिष्ठा प्राप्त करने के लिए नाटक नौटंकी करना चाहती है। जब स्वपना वर्मा का स्वास्थ्य शिविर चल रहा था तभी विशाल खबर ने इस बात का अंदेशा जता दिया था कि स्वास्थ्य शिविर के बहाने मैडम वर्मा अपना राजनीतिक हित साधना चाहती है और हिंदूवादी संगठन के कुछ लोग मैडम वर्मा के इस हित में कालीन की तरह उनके कदमों में बिछे हुए थे। इतना ही नहीं जब विशाल खबर इनकी सच्चाई उजागर कर रहा था तो हिंदूवादी संगठन के एक पदाधिकारी के कुछ चमचे सोशल मीडिया में मैडम के सम्मान में इस तरीके से कसीदे पढ़ रहे थे जैसे मैडम मदर टेरेसा का दूसरा अवतार हो अब मैं उन कसीदे पढऩे वाले लोगों से पूछना चाहता हूं कि कहां चली गई मैडम और कहां चला गया उनका स्वास्थ्य शिविर। इतना ही नहीं भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्ढा से लेने के बाद सतना जिले के अंदर चुनाव प्रचार से क्यों नदारद है। जिस महिला को भारतीय जनता पार्टी ने उसकी विशेष योग्यता और क्षमता देखने के बाद प्रदेश कार्यकारिणी का सदस्य बनाए हो वह महिला चुनाव जैसे महायज्ञ से नदारद दिखे यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है।

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