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विंध्य की हाट सीट रीवा

सतना। विंध्य क्षेत्र की आज की तारीख में रीवा सीट भी बहुत हॉट मानी जाती है इस सीट से वर्तमान में मध्य प्रदेश के कैबिनेट मंत्री राजेंद्र शुक्ला भारतीय जनता पार्टी की तरफ से चुनाव मैदान में है और उनका मुकाबला करने के लिए कांग्रेस ने कांग्रेस के जिला अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा को ही चुनाव मैदान में उतारा है कहने का अभिप्राय बिल्कुल साफ है कि राजेंद्र के विरुद्ध राजेंद्र ही मैदान में है।
किसी जमाने में रीवा विधानसभा को कांग्रेस का गढ़ माना जाता था लेकिन आज उल्टा हो गया है आज की तारीख में रीवा को भारतीय जनता पार्टी का गढ़ माने जाने लगा है जब से राजेंद्र शुक्ला भारतीय जनता पार्टी की राजनीति में सक्रिय हुए तब से उन्होंने रीवा विधानसभा को भारतीय जनता पार्टी की सीट में तब्दील कर दिया राजेंद्र शुक्ला के पहले रीवा से रीवा के महाराज पुष्पराज सिंह विधायक हुआ करते थे। पुष्पराज सिंह 1990 और 1993 में कांग्रेस की टिकट पर विधायक बने और 1998 पर कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दी थी तो उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा और विधायक बने लेकिन 1998 के बाद रीवा विधानसभा से किसी दूसरे दल का प्रत्याशी नहीं जीता आज की तारीख में 2003 से लगातार राजेंद्र शुक्ला चार बार विधायक बन चुके हैं 2023 में पांचवीं बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं और यदि चुनाव जीते तो लगातार पांच बार चुनाव जीतने का रिकॉर्ड भी बनाएंगे। यहां पर उल्लेखनीय बात यह है कि राजेंद्र शुक्ला ने भी अपने राजनीति की शुरुआत कांग्रेस से ही की थी छात्र जीवन से ही वे राजनीति में सक्रिय है युवक कांग्रेस में मध्य प्रदेश के कोषाध्यक्ष थे एवं रीवा संभाग के संभागीय संयोजक भी थे लेकिन उन्हें यह बात समझ में आ गई थी उनका राजनीतिक भविष्य कांग्रेस में नहीं है क्योंकि जिस दौर में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ली थी उस दौर में बिना क्षेत्र के अंदर सामंतवाद का दौर था।
विंध्य क्षेत्र में जातिवाद का जहर चरम पर था जिसके चलते राजेंद्र शुक्ला की गुंजाइश कांग्रेस पार्टी में नहीं बन रही थी मौके की तलाश करते हुए राजेंद्र शुक्ल ने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ली और 2003 से लगातार भारतीय जनता पार्टी से विधायक बन रहे हैं मजेदार बात यह है कि कांग्रेस को उनके विरुद्ध कोई ऐसा प्रत्याशी नहीं मिलता जो उन्हें चुनौती दे सके पिछले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी से विधायक रह चुके अभय मिश्रा को कांग्रेस पार्टी ने राजेंद्र शुक्ला के विरुद्ध चुनाव मैदान में उतारा था हालांकि अभय मिश्रा ने भी रीवा विधानसभा में राजेंद्र शुक्ला को टक्कर कड़ी दी लेकिन हार का अंतर कम नहीं कर पाए। यहां पर यह बताना उल्लेखनीय है कि अभय मिश्रा सिमरिया सीट से एक बार भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर विधायक थे एक बार उनकी पत्नी को भी भारतीय जनता पार्टी ने सिमरिया सीट से टिकट दी और वह भी विधायक रह चुकी है लेकिन वर्तमान में अभय मिश्रा भारतीय जनता पार्टी से इस्तीफा देकर सिमरिया से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं अभय मिश्रा 2018 के चुनाव में 18089 मतों से पराजित हुए थे।
राजेंद्र शुक्ला को 69806 वोट मिले थे जबकि अभय मिश्रा को 51717 मतों से ही संतोष करना पड़ा। नगरी निकाय के चुनाव में रीवा महापौर का चुनाव भारतीय जनता पार्टी राजेंद्र शुक्ला के नेतृत्व में हारी कांग्रेस को इस बात की उम्मीद है कि कहीं ना कहीं रीवा शहर में राजेंद्र शुक्ला की पकड़ ढीली हुई है इसलिए हाथ से उन्होंने राजेंद्र शुक्ला के विरुद्ध राजेंद्र शर्मा को चुनाव मैदान में उतारा है पैसे से आर्किटेक्ट और कॉलोनाइजर राजेंद्र शर्मा इसके पहले भी एक बार चुनाव लडक़र राजेंद्र शुक्ला से हार चुके हैं अब देखना यह है कि 2023 के चुनाव के राजेंद्र शर्मा राजेंद्र शुक्ला के लिए कितनी चुनौती बनते हैं। किसी जमाने में विंध्य क्षेत्र की राजनीति में जिस तरीके से श्रीनिवास तिवारी की खनक हुआ करती थी आज उसी तरीके से विंध्य क्षेत्र की राजनीति में सत्ता और प्रशासन पर राजेंद्र शुक्ला की भी खनक है। अंतर सिर्फ इतना है कि श्रीनिवास तिवारी अपनी आक्रामक शैली के लिए जाने जाते थे और राजेंद्र शुक्ला अपनी सरल स्वामी सौम्य छवि के लिए जाने जाते हैं। राजेंद्र शुक्ला सिर्फ रीवा विधानसभा पर अपनी कार्य कुशलता का असर डालते हैं बल्कि पूरे रीवा जिले में भी उनकी कार्य कुशलता की वजह से अन्य प्रत्याशियों को भी फायदा मिलता है 2018 के चुनाव में रीवा जिले की आठों विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है राजेंद्र शुक्ला को शिवराज सिंह का भी करीबी माना जाता है हालांकि उन्हें दिल्ली दरबार भी पसंद करता है।

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