चुनाव में तीन चतुर्वेदी
सतना। यह तो सतना जिले के अंदर ब्राह्मण मतदाताओं की सर्वाधिक संख्या है लेकिन जातिगत एक तन होने के कारण ब्राह्मण समाज का राजनीतिक रसूख जितना होना चाहिए उतना नहीं है। सतना और मैहर जिले के अंदर सात विधानसभा सीट है जिसमें एक सीट रैगांव सुरक्षित है। रैगांव में भी जीत-हार का समीकरण ब्राह्मण मतदाताओं के हाथ में रहता है लेकिन ब्राह्मण मतदाता किसी भी दल के साथ एकजुटता नहीं दिखा पता। इसके चलते ब्राह्मण समाज की राजनीतिक हैसियत नहीं बन पाई सतना जिले के अंदर पर्याप्त ब्राह्मण होने के बाद भी आज तक कोई सांसद ब्राह्मण नहीं बन पाया इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ब्राह्मण आपस में कितनी विभाजित हैं। सतना जिले के अंदर इस बार भारतीय जनता पार्टी ने एक भी ब्राह्मण को टिकट नहीं दिया मैहर जिले से मैहर विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी ने श्रीकांत चतुर्वेदी को मैदान में उतारा है वहीं बहुजन समाज पार्टी ने सतना विधानसभा से रत्नाकर चतुर्वेदी को टिकट दी है और कांग्रेस ने चित्रकूट विधानसभा से नीलांशु चतुर्वेदी को टिकट दी है। कई राजनीतिक दलों ने अलग-अलग विधानसभा से अलग-अलग ब्राह्मणों को टिकट दी होगी लेकिन यहां पर मजेदार बात यह है कि सतना की और मैहर जिले में तीन चतुर्वेदी नेता मैदान में है। कहने का अभिप्राय यह है कि सतना और मैहर जिले में ब्राह्मण की कई प्रजातियां पाई जाती है जिसमें गौतम, शुक्ला, मिश्रा, त्रिपाठी, पांडे, द्विवेदी जितने भी नाम लिए जाएं कम है लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है सतना और मैहर जिले में ब्राह्मणों में सर्वाधिक ब्राह्मण चतुर्वेदी ही हैं इनकी जागरूकता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है की सतना से रत्नाकर चतुर्वेदी शिवा चुनाव लड़ रहे हैं तो चित्रकूट से नीलांशू चतुर्वेदी लड़ रहे हैं तो वही मैहर से श्रीकांत चतुर्वेदी चुनावी अखाड़े में। मजेदार बात यह है कि यह तीनों चतुर्वेदी ब्राह्मण राष्ट्रीय दलों से टिकट पाने में सफल हुए है। किसी जमाने में विंध्य में ब्राह्मणों की पहचान श्रीनिवास तिवारी हुआ करते थे लेकिन आज की तारीख में विंध्य के लोकप्रिय ब्राह्मण नेता की इमेज राजेंद्र शुक्ला के पास है। यह अलग बात है की श्रीनिवास तिवारी आक्रामक नेता हुआ करते थे तो राजेंद्र शुक्ला सहज और सौम्य नेता के रूप में जाने जाते हैं।