यदि गणेश जीते तो क्या, हारे तो क्या

सतना। सतना विधानसभा के प्रत्याशी सांसद गणेश सिंह ने जब से जीतना शुरू किया तब से आज तक हारे नहीं। सांसद गणेश सिंह सतना लोकसभा से चार बार लगातार सांसद निर्वाचित हो रहे हैं उनकी इसी काबिलियत को देखते हुए भारतीय जनता पार्टी की शीर्ष नेतृत्व में उन्हें सतना विधानसभा का प्रत्याशी बना दिया यदि मध्य प्रदेश के अंदर भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनती है और गणेश सिंह विधानसभा का चुनाव जीतते हैं तो निश्चित तौर पर सतना जिले से गणेश सिंह का मंत्री बनने का दावा सबसे मजबूत माना जाएगा क्योंकि वे चार बार के सांसद है यदि सतना जिले से गणेश सिंह के अलावा चार और प्रत्याशी भारतीय जनता पार्टी के जीत जाते हैं तो गणेश सिंह के मार्ग में सिर्फ नागेंद्र सिंह ही रुकावट बन सकते हैं क्योंकि नागेन्द्र सिंह मध्य प्रदेश की सरकार में कई बार कैबिनेट स्तर के मंत्री रह चुके हैं इसके अलावा यदि प्रतिमा बागरी जीतती है तो पहली बार की विधायक कहलाएगी। सुरेंद्र सिंह और विक्की सिंह चुनाव जीतते हैं तो दूसरी बार के विधायक कहलाएंगे। ऐसे में गणेश सिंह का दावा मंत्री बनने के लिए मजबूत माना जा रहा है यदि चुनाव हारे भी तो गणेश सिंह सांसद तो रहेंगे कुछ लोग यहां तक कहते हैं कि यदि गणेश सिंह चुनाव हार गए तो रामानंद सिंह वाली स्थिति हो जाएगी लेकिन मैं इस बात से सहमत नहीं हूं रामानंद सिंह के घर परिवार में कोई भी व्यक्ति राजनीतिक तौर पर उतना समृद्ध नहीं था इसके अलावा राजनीति के मैदान में जो आर्थिक समृद्धि चाहिए वह भी रामानंद सिंह के पास नहीं थी लेकिन गणेश सिंह का परिवार राजनीतिक और आर्थिक रूप से समृद्ध है चुनाव हार जाने के बाद भी भारतीय जनता पार्टी गणेश सिंह का रामानंद सिंह जैसा हस्र नहीं कर सकती। गणेश सिंह और रामानंद सिंह की योग्यता में जमीन आसमान का अंतर है यदि ऐसा नहीं होता तो गणेश सिंह लगातार चार बार से सांसद निर्वाचित नहीं हो रहे होते यदि गणेश सिंह चुनाव हार भी जाते हैं तो भी उन्हें आगामी लोकसभा चुनाव में टिकट इसलिए भी मिल सकती है कि गणेश सिंह के अलावा कोई दूसरा मजबूत दावेदार सतना लोकसभा में दिखाई नहीं पड़ रहा है।