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शर्मा ने दी शुक्ला को चुनौती

सतना। रीवा रियासत वर्षों से राजा महाराजा के नाम से जाना जाता है किसी जमाने में महाराजा गुलाब सिंह तो महाराजा मार्तंड सिंह के नाम से रीवा शहर को लोग पहचानते थे उसके बाद मार्तंड सिंह के पुत्र पुष्पराज सिंह ने रीवा विधानसभा का प्रतिनिधित्व किया। जब तक पुष्पराज सिंह रीवा का प्रतिनिधित्व कर रहे थे तब तक रीवा शहर के लोग कांग्रेस को वोट देते थे लेकिन आज की तारीख में रीवा शहर के लोगों का मिजाज बदल चुका है लगातार कई वर्षों से रीवा शहर के लोग भाजपाई हो गए हैं यहां से भाजपा के राजेंद्र शुक्ला कई पंचवर्षीय से चुनाव जीतते आ रहे हैं। इतना ही नहीं चुनाव जीतकर वे मंत्री भी बनते हैं। आज की तारीख में उन्हें लोग रीवा का विकास पुरुष कहते हैं विंध्य क्षेत्र में बड़े ब्राह्मण नेता के रूप में स्थापित हो चुके हैं। भारतीय जनता पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी उनकी बात सुनता है इस बात की बानगी अभय मिश्रा का टिकट कटवाकर भी राजेंद्र शुक्ला ने दे दिया। तमाम विवादों के बाद भी रीवा जिले के सिमरिया सीट से केपी त्रिपाठी ही भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी बने इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आज की तारीख में राजेंद्र शुक्ला कितने ताकतवर है। मजेदार बात यह है कि सतना जिले का कोई भी व्यक्ति जब विकास का तुलनात्मक अध्ययन करता है तो वह यह बात जरूर कहता है कि रीवा 20 साल सतना से पीछे था रीवा 20 साल सतना से आगे हो गया अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि रीवा शहर के लोग तो विकास की चर्चा करते ही हैं लेकिन रीवा शहर से 50 किलोमीटर दूर सतना शहर के भी लोग रीवा के विकास की चर्चा करते हैं लेकिन जब हम रीवा शहर की वास्तविक हकीकत पर नजर डालते हैं तो बड़ा आश्चर्य होता है कि राजेंद्र शुक्ला जैसा विकास पुरुष पूरे रीवा शहर में पोस्टर लगाकर आम जनता को विकास की गाथा बतला रहा है। आखिरकार एक बात समझ में नहीं आ रही है कि इतना विकास करने के बाद मंत्री जी का कॉन्फिडेंस क्यों हिला हुआ है मंत्री जी जितने भी पोस्टर लगा रहे हैं उन पोस्टरों में अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि को मंत्री जी छुपाते हैं। मंत्री जी की सबसे बड़ी उपलब्धि है रीवा में समदरिया बिल्डर। मंत्री जी ने अपने किसी भी पोस्टर में समदरिया बिल्डर का उल्लेख नहीं करते जबकि समदरिया बिल्डर ने भी रीवा का काफी कुछ विकास किया है।
मंत्री जी अपने एक इंटरव्यू में यह कहते सुने गए कि पूरे मध्य प्रदेश में सर्वाधिक हीरो मोटरसाइकिल रीवा में बिकी और सर्वाधिक जेसीबी भी रीवा में बिकी जबकि वास्तविकता इसके उलट है। राजेंद्र शुक्ला के बारे में लोग यह मानते थे की राजेंद्र शुक्ला सच बोलते हैं लेकिन एक साथ-साथ कर जिस तरीके से उन्होंने कहा कि सर्वाधिक हीरो मोटरसाइकिल रीवा में बिकी और सर्वाधिक जेसीबी भी रीवा में बिकी यह आंकड़े झूठे हैं। आखिरकार इस तरीके से झूठे आंकड़े जनता के बीच में परोसने का क्या अभिप्राय है। इससे ऐसा लगता है कि कहीं ना कहीं कांग्रेस प्रत्याशी इंजीनियर राजेंद्र शर्मा से राजेंद्र शुक्ला कहीं न कहीं डर रहे हैं उससे डरने की वजह यह है कि 2018 के चुनाव में राजेंद्र शुक्ला के सामने अभय मिश्रा थे और अभय मिश्रा के बारे में राजेंद्र शुक्ला के तमाम समर्थकों ने आम जनता के बीच में इतनी कहानी बताई और चुनाव जीत लिया लेकिन इस बार इंजीनियर राजेंद्र शर्मा के विरुद्ध राजेंद्र शुक्ला के समर्थकों के पास कोई कहानी नहीं है। रीवा विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी से एक तरफ राजेंद्र शुक्ला है तो कांग्रेस पार्टी से इंजीनियर राजेंद्र शर्मा है वहीं आम आदमी पार्टी से दीपक पटेल पिछड़ा वर्ग के वोटो में सेंध लग रहे हैं। जब रीवा से कांग्रेस की टिकट राजेंद्र शर्मा को मिली तो राजेंद्र शुक्ला के समर्थकों को ऐसा लगा कि अब चुनाव लडऩे की जरूरत ही नहीं है राजेंद्र शुक्ला की जीत तो एक तरफा है या यूं कहें कि वाक ओवर मिल गया। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और कहती है रीवा विधानसभा में 28000 मुस्लिम वोटर है यह वोट किसे मिलेंगे बताने की जरूरत नहीं है वहीं 27000 एससी एसटी है भारतीय जनता पार्टी के लोग यह मान कर चल रहे हैं की लाडली बहना के चलते यह सारे वोट भारतीय जनता पार्टी को मिलेंगे इसके अलावा 6 फीसदी आदिवासी वोटर है एवं 18 फीसदी पिछड़ा वर्ग के वोटर है और सर्वाधिक 59 फीसदी सामान्य वर्ग के मतदाता है जिसमें क्षत्रिय वोट अधिकांशतया कांग्रेस को ही मिलता है वैश्य समुदाय भारतीय जनता पार्टी का परंपरागत वोटर माना जाता है लेकिन इस बार वैश्य समुदाय में भी नाराजगी है। ओपीएस के नाम पर कर्मचारी जगत भी कांग्रेस के साथ जुड़ा हुआ है अगर यह सारे फैक्टर काम किया तो निश्चित तौर पर राजेंद्र शुक्ला के लिए इस बार जीत का जिन्न बोतल से बाहर आएगा या नहीं यह कहना 3 दिसंबर के पहले मुश्किल है लेकिन रीवा विधानसभा के बारे में रीवा का मतदाता तो यह कहता ही है कि राजेंद्र शुक्ला का हारना मुश्किल है रीवा क्षेत्र के बाहर का मतदाता भी इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं है कि राजेंद्र शुक्ला के लिए राजेंद्र शर्मा ने मुश्किल पैदा कर दी है।

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