यदि हारे तो डूब जाएंगे सितारे

सतना। मध्य प्रदेश के अंदर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी की टिकट से कई ऐसे नेता 2023 का विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं जिनके बारे में यह कहा जा सकता है कि यदि 2023 का विधानसभा चुनाव हारे तो डूबे इनके सितारे। कोई कितना बड़ा अभिनेता हो लेकिन चुनावी राजनीति में यदि हार गया तो उसके सितारे डूबने में ज्यादा वक्त लगता नहीं। जिस तरीके से लोग रद्दी चीजों को डस्टबिन में डाल देते हैं उसी तरीके से पार्टी का शीर्ष नेतृत्व हारे हुए नेता को डस्टबिन में डालने में विलंब नहीं करता। कोई नेता हारने के बाद भी सरवाइव कर जाए तो उसके पीछे का सिर्फ एक कारण होता है कि उसके क्षेत्र में यदि कोई दूसरा विकल्प नहीं है तो मजबूरी में पार्टी ऐसे नेताओं को महत्व दे देती है लेकिन यदि दूसरा विकल्प क्षेत्र में मौजूद है तो पार्टी हारने वाले नेताओं से अपना पिंड छुड़ाने में ही भला समझती है। रामानंद सिंह सांसद रहते हुए चित्रकूट विधानसभा से विधानसभा का चुनाव हार गए थे उसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने उनकी ऐसी अवहेलना की कि वे राजनीति में उबर नहीं पाए।
भारतीय जनता पार्टी तो एक ऐसी पार्टी है कि जीतने के बाद भी नेताओं की अवहेलना करने में नहीं चूकती। राष्ट्रीय स्तर पर लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी से बड़ा उदाहरण क्या मिलेगा। 2018 का विधानसभा चुनाव कैलाश जोशी के बेटे दीपक जोशी क्या हारे भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने उनकी इतनी अवहेलना की कि उन्हें कांग्रेस में शामिल होना पड़ा। भाजपाई अवहेलना के ऐसे सैकड़ो उदाहरण हैं। 2023 का विधानसभा चुनाव तमाम नेताओं के लिए महत्वपूर्ण इसलिए है कि ये नेता उम्र के जिस पड़ाव पर है हारने के बाद शायद ही पार्टी इन पर दोबारा दांव लगाने की सोचेगी। इस फेहरिस्त सबसे पहला नाम है विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम का।
गिरीश गौतम वर्तमान समय में विधानसभा के अध्यक्ष हैं रीवा से अलग हुए जिले मऊगंज की देवतालाब सीट से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी 72 साल की उम्र है और कम्युनिस्ट पार्टी के रास्ते से भारतीय जनता पार्टी में प्रवेश लिया चार बार विधायक रह चुके हैं जिला पंचायत के चुनाव में गिरीश गौतम के बेटे को गिरीश गौतम के भतीजे पद्मेश गौतम ने पराजित किया जिसके चलते कांग्रेस पार्टी ने पद्मेश गौतम को कांग्रेस पार्टी का प्रत्याशी बनाया है गिरीश गौतम और पद्मेश गौतम में कांटे का मुकाबला है या यूं कहें कि चाचा भतीजे के बीच में मुकाबला है अब देखना यह है कि यदि भतीजे ने बाजी मारी तो शायद चाचा गिरीश गौतम के लिए 2023 का विधानसभा चुनाव उनके जीवन का अंतिम चुनाव होगा बहुत कम संभावना है कि भारतीय जनता पार्टी इसके बाद उनके ऊपर कोई दांव लगाएगी।
यदि चुनाव हारे तो डूब जाएंगे सितारे इस फेहरिस्त में विंध्य क्षेत्र के ही कद्दावर नेता अर्जुन सिंह के पुत्र अजय सिंह राहुल का भी नाम लिया जा सकता है अजय सिंह राहुल 2018 का चुनाव भारतीय जनता पार्टी के नेता शारदेन्दु तिवारी से हार गए थे जबकि सीधी जिले की चुरहट सीट अजय सिंह राहुल की परंपरागत सीट मानी जाती है। चुरहट सीट से ही अजय सिंह राहुल के पिता अर्जुन सिंह भी चुनाव लडक़र मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बनते थे लेकिन जिस चुरहट की जनता अर्जुन सिंह को बेइंतहा चाहती थी उसी चुरहट की जनता ने अजय सिंह राहुल को 2018 का विधानसभा चुनाव पराजित कर दिया इसके बाद अजय सिंह राहुल सीधी जिले से लोकसभा का भी चुनाव लड़े और रीति पाठक ने अजय सिंह राहुल को लोकसभा का चुनाव भी पराजित कर दिया ऐसे में लगातार दो चुनाव अजय सिंह राहुल हार चुके हैं। अजय सिंह राहुल वर्तमान समय में 68 साल के हैं ऐसा नहीं कहा जा सकता की 68 साल में ही उनके राजनीतिक कैरियर का सूर्य डूब जाएगा लेकिन अगर 68 साल की उम्र में चुनाव हारे तो अगला चुनाव 73 साल में होगा। हालांकि कांग्रेस पार्टी के किसी भी नेता में अभी ऐसी हैसियत नहीं है की अजय सिंह राहुल का टिकट काट दे क्योंकि चुरहट विधानसभा में कांग्रेस पार्टी के पास अजय सिंह राहुल का कोई दूसरा विकल्प भी नहीं है लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का ऐसा मानना है यदि 2023 का चुनाव अजय सिंह राहुल हारे तो इनके भी डूब जाएंगे सितारे।
सतना जिले की नागौद विधानसभा से एक बार पुन: पूर्व मंत्री नागेन्द्र सिंह चुनाव मैदान में है। वर्तमान में नागेन्द्र सिंह की उम्र 83 वर्ष नागेन्द्र सिंह इसी विधानसभा से पांच बार विधायक रह चुके हैं और एक बार खजुराहो लोकसभा से सांसद भी रह चुके हैं नागेंद्र सिंह बीते दो तीन चुनावों से 5 साल जनता के बीच में यही कहते हैं कि मैं बूढ़ा हो गया हूं अब चुनाव नहीं लडऩा लेकिन जैसे ही पार्टी उन्हें टिकट देती है तो वे चुनाव मैदान में कूद पड़ते हैं और जनता से कहते हैं कि मैं पार्टी से टिकट नहीं मांगी थी पार्टी टिकट दे देती है तो मैं क्या करूं। यदि नागेन्द्र सिंह नागौद से चुनाव हारने पायेे तो शायद यह उनका अंतिम चुनाव होगा क्योंकि पार्टी भी यह मान लेगी कि अब नागेन्द्र सिंह की हड्डियों में वह दम नहीं है कि वह चुनाव जीत सकें इसलिए यदि नागेंद्र सिंह भी चुनाव हारे तो इनके भी डूब जाएंगे सितारे।




