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बीमार है जिला चिकित्सालय

सतना। सतना जिला चिकित्सालय में जिस तरीके की डॉक्टरों की मनमानी जारी है आखिरकार उसके विरुद्ध सतना जिले का कोई नेता आवाज क्यों नहीं उठाता आम जनता की स्थिति सतना जिला चिकित्सालय में कीड़ों में कमरों की तरह है सतना जिला चिकित्सालय में अधिकांश चिकित्सा मरीजों को जानवरों की तरह ट्रीट करते हैं। आशा कार्यकर्ता पूरी तरह से दलाल बन चुकी है प्राइवेट एंबुलेंस वालों की हेकड़ी इस कदर है की जिला चिकित्सालय में पदस्थ कोई व्यक्ति इनके विरुद्ध चू से चा नहीं कर सकता। सतना जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी और जिला चिकित्सालय की सिविल सर्जन चि_ी चि_ी खेल रहे हैं लेकिन इन दोनों में भी यह दम नहीं है कि किसी चिकित्सा के विरुद्ध कोई ठोस कार्यवाही करके दिखा सके वैसे भी जब से सिविल सर्जन सूर्यवंशी बने हैं तब से जिला चिकित्सालय का और बेड़ा गर्क हो गया है। दर्जनों बार तो जिला चिकित्सालय में चोरी हो चुकी है। सतना जिले के अंदर जिला चिकित्सालय में एक चिकित्सक को फायदा पहुंचाने के लिए एक बड़े नेता ने सूर्यवंशी को बना दिया है आम जनता मरती है तो मारे परेशान होती है तो परेशान हो लेकिन नेताजी को क्या नेताजी को तो सिर्फ इतना चाहिए कि सीएस उनके दरवाजे में दुम हिलता हुआ खड़ा रहे। सतना जिला चिकित्सालय में पदस्थ 21 डॉक्टर शासकीय नियम कानून कायदों के विरुद्ध अपनी दुकान सजाकर प्रैक्टिस कर रहे हैं इसी बात पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने आपत्ति दर्ज कराई लेकिन सतना जिला चिकित्सालय में पदस्थ डॉक्टर इतने बिगड़े हो चुके हैं कि उन्हें मुख्य चिकित्सा अधिकारी की नोटिस से कोई फर्क ही नहीं पड़ता सतना जिला चिकित्सालय में पदस्थ कई डॉक्टर तो निजी नर्सिंग होम में ही इलाज करते हैं जिला चिकित्सालय में इलाज करने में उन्हें पसीना छूटता है। सीएमएचओ चि_ी लिखने में उस्ताद है जब से आए हैं चि_ी लिख रहे हैं लेकिन आज तक अस्वस्थ स्वास्थ्य अमले को स्वस्थ नहीं बना पाए। पहले सीएस को चि_ी लिखते हैं उसके बाद स्मरण पत्र लिखते हैं उसके बाद ऊपर चि_ी लिख देते हैं लेकिन होता कुछ नहीं। अफसोस इस बात पर होता है की सतना शहर का नेता सतना शहर को स्मार्ट बनाने की बात करता है लेकिन स्मार्ट है क्या ना गली स्मार्ट है ना सडक़ स्मार्ट है ना चौराहे स्मार्ट है ना हॉस्पिटल स्मार्ट है और ना नेताओं की सोच स्मार्ट है। बीते तीन दशकों में सतना जिला चिकित्सालय के चिकित्सकों को आज तक कोई सुधार नहीं पाया बहुत पहले सतना शहर के पूर्व विधायक शंकर लाल तिवारी ने स्वर्गीय एसके जैन के मुंह पर कालिख इसी लिए पोत दी थी कि वे अपनी मर्जी के मालिक थे। सतना जिला चिकित्सालय से वीके गांधी ने भी इस्तीफा इसलिए दे दिया था कि वे अपनी मर्जी के हिसाब से जिला चिकित्सालय में इलाज करना चाहते थे महेंद्र सिंह को भी इसीलिए इस्तीफा देना पड़ा कि वे भी अपनी मर्जी के हिसाब से ही इलाज करते थे। जिस तरीके से जिला चिकित्सालय में व्यवस्थाओं का दौर जारी है यदि किसी नेता ने संज्ञान नहीं लिया तो शायद जिला चिकित्सालय की व्यवस्थाएं कभी सुधरेंगी भी नहीं। विधानसभा चुनाव बीत गए हैं जिन्हें विधायक बनना था बन गए वह कुछ नहीं करने वाले लेकिन सतना जिले की जनता उन नेताओं से यह मांग जरूर करें जो नेता लोकसभा का चुनाव लडऩे की मनसा पाली हुई है उनसे इस जिले की जनता यह जरूर कहे कि पहले आप जिले के चिकित्सालय की व्यवस्था को सुधार करने का प्रयास करिए तभी आप हमसे वोट मांगने आईएगा।

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