ताजा ख़बरें

एमपी में बजेगी मोहन की मुरली

सतना। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह हमेशा चौंकाने वाली ही राजनीति करते हैं जब नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने सबसे पहले रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति बना कर सब को चौंका दिया था उसके बाद दूसरी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी बनी तो सब चौंक गए।
छत्तीसगढ़ में जब मुख्यमंत्री का चयन किया गया विष्णु देव के रूप में जिनका कोई नाम नहीं ले रहा था तो लोगों को आश्चर्य हुआ एक बार फिर मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री मोहन यादव को बनाकर नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने सब को चौंका दिया है लेकिन जिस तरीके से मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया गया उसे देखकर यह तो नहीं कहा जा सकता कि विधायक मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनना चाहते थे लेकिन नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने जिस तरीके से चौंकाने वाली राजनीति की परंपरा शुरू की है उस परंपरा के तहत एक बार फिर मोहन यादव को मुख्यमंत्री बना कर न सिर्फ मध्य प्रदेश को चौकाया बल्कि पूरे देश को चौंका दिया। मोहन यादव वर्तमान में उज्जैन दक्षिण से विधायक है शिवराज सिंह की सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री थे सर्वे रिपोर्ट में आया था कि मोहन यादव चुनाव हार जाएंगे पहली दूसरी लिस्ट में इन्हें टिकट भी नहीं मिला था लेकिन जिस तरीके से मोहन यादव का नाम लोगों के सामने आया उसे देखकर अच्छे-अच्छे राजनीतिक भविष्यवक्ता और अच्छे-अच्छे राजनीतिक विश्लेषक और अच्छे-अच्छे राजनीतिक पंडितों के अनुमान धरे के धरे रह गए। जिस तरीके से नरेंद्र मोदी और अमित शाह लोगों के सामने विश्व में काली राजनीति करते हैं उसे देखते हुए तमाम राजनीतिक पंडित और विश्लेषकों की दुकान बंद हो जाएगी क्योंकि जिस तरीके से मीडिया जगत में पांच नाम में चर्चा चल रही थी की शिवराज सिंह फिर से मुख्यमंत्री बन सकते हैं शिवराज सिंह नहीं बने तो प्रह्लाद पटेल का नाम हो सकता है प्रहलाद पटेल नहीं बने तो कैलाश विजयवर्गी हो सकते हैं कैलाश विजयवर्गी नहीं बने तो नरेंद्र सिंह तोमर हो सकते हैं नरेंद्र सिंह तोमर नहीं बने तो ज्योतिरादित्य सिंधिया तो प्रदेश के मुख्यमंत्री बन ही जाएंगे लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ जिन नाम का प्रयास मीडिया राजनीतिक विश्लेषक और राजनीतिक पंडित लग रहे थे उन नाम को यह तो नहीं कहा जा सकता कि डस्टबिन में डाल दिया गया लेकिन संभावनाओं से परे नाम की घोषणा कर निश्चित तौर पर यह बताने की कोशिश की गई है कि भारतीय जनता पार्टी की रीति और नीति चाल और चलन का फिलहाल कोई मुकाबला नहीं कर सकता। मोहन यादव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के करीबी हैं विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता रहे हैं। इसके अलावा मोहन यादव के खाते में ऐसी कोई विशेष उपलब्धि नहीं है कि जिस विशेष उपलब्धि को देखते हुए उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया गया इसमें कोई दो मत नहीं है की राष्ट्रीय स्वयंसेवक और विद्यार्थी परिषद से जुड़े होने के कारण पार्टी ने उन पर भरोसा जताया है और भविष्य की लीडरशिप तैयार करने की दृष्टिकोण से मोहन यादव को प्रदेश का मुख्यमंत्री बना कर यह बताने की भी कोशिश की गई है कि प्रदेश के अंदर पिछड़ा को हटाकर पिछड़ा को ही मुख्यमंत्री बनाया गया है।
विंध्य के दामाद हैं मोहन यादव
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव विंध्य क्षेत्र के दामाद है। भारतीय जनता पार्टी वैसे भी विकास को प्राथमिकता देती है लेकिन मोहन यादव यदि उज्जैन के रहने वाले हैं तो पहले फोकस उनका उज्जैन के प्रति होगा लेकिन दूसरा फोकस उनका विंध्य के रीवा के लिए भी हो सकता है। ऐसा इसलिए भी की मोहन यादव की ससुराल रीवा में समान नाका में है। रीवा के ब्रह्मदिन यादव की पुत्री सीमा यादव के साथ मोहन यादव का विवाह हुआ सीमा यादव भी विद्यार्थी परिषद की कार्यकर्ता थी और मोहन यादव भी विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता थे मोहन यादव के विवाह की चर्चा सतना के भी एक यादव परिवार में हुई थी लेकिन वह यादव परिवार कांग्रेसी विचारधारा का था इसलिए वहां मोहन यादव की शादी नहीं हुई। मोहन यादव की ससुराल रीवा में है निश्चित तौर पर हिंदुस्तान के हर व्यक्ति का लगाव अपनी ससुराल से होता है। यदि मोहन यादव ने भी अपनी ससुराल के प्रति थोड़ा भी मोह ममता दिखाया तो निश्चित तौर पर विंध्य के रीवा का और भी विकास हो सकता है क्योंकि अपनी ससुराल पर तो हर व्यक्ति की कृपा बरसती है। विंध्य क्षेत्र के लोगों को मोहन यादव से अब यह उम्मीद हो गई है कि कुछ भी हो विंध्य के दामाद जी कुछ न कुछ तो अलग से विंध्य क्षेत्र के लिए जरूर करेंगे।

Related Articles

Back to top button
Close