मामा का ड्रामा खत्म

सतना। भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने जिस तरीके से मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री मोहन यादव को बनाया है उसे देखते हुए मध्य प्रदेश की वह बहने अच्छी खासी निराशा है जिन्होंने लाडली बहन को ध्यान में रखकर शिवराज सिंह को बंपर वोट दिए बहनों ने शिवराज की लाज तो रखी लेकिन केंद्रीय नेतृत्व ने शिवराज की लाज नहीं रखी जिस तरीके से केंद्रीय नेतृत्व ने विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया था उससे यह बात साफ हो गई थी कि इस बार शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाएगा और वैसा ही हुआ। 2024 में लोकसभा के चुनाव है उसे देखते हुए भविष्य में शिवराज सिंह की भूमिका क्या होगी यह कहना तो अभी जल्दबाजी होगी लेकिन इसमें कोई दो मत नहीं है कि नरेंद्र मोदी और अमित शाह पूरे देश की राजनीति में यदि किसी चेहरे से बढ़ते हैं तो उसमें पहला नाम है नितिन गडकरी और दूसरा नाम है शिवराज सिंह चौहान। गुजरात लाबी ने पूरे देश के उन नेताओं का बधिया करण कर दिया जिन नेताओ का जनाधार बड़ा था और व्यापक था। जब देश के अंदर मुंबई के अधिवेशन में लालकृष्ण आडवाणी को हटाकर नरेंद्र मोदी की ताजपोसी कर रही थी भारतीय जनता पार्टी उस समय नाराज होकर लालकृष्ण आडवाणी ने कहा था कि नरेंद्र मोदी से बेहतर तो शिवराज सिंह चौहान है शिवराज सिंह चौहान नरेंद्र मोदी की निगाह में उसी दिन से खटक रहे थे लेकिन शिवराज सिंह चौहान का जन आधार इतना व्यापक था कि शिवराज सिंह चौहान का नरेंद्र मोदी अपनी इच्छा के अनुसार ऑपरेशन नहीं कर पा रहे थे 2023 नरेंद्र मोदी के लिए अनुकूल समय था जब उन्होंने शिवराज सिंह चौहान को राजनीति की मुख्य धारा से अलग करने की अप्रत्यक्ष कोशिश की और जिस तरीके से मुख्यमंत्री पद का चुनाव किया गया है उसे देखते हुए तो यह बात प्रमाणित हो गई कि नरेंद्र मोदी शिवराज सिंह की लोकप्रियता से कहीं ना कहीं छुब्ध है। हालांकि मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद शिवराज सिंह का विरोधी खेमा खुश तो है साथ ही आपसी चर्चा में यह भी कह रहा है कि अब प्रदेश में मामा का ड्रामा खत्म हो चुका है।



