लाड़ली बहना मौन हैं, मोहन यादव कौन है

सतना। मध्य प्रदेश के अंदर जिस तरीके से शिवराज सिंह को दरकिनार करके मोहन यादव को मुख्यमंत्री बना दिया गया उसे देखते हुए राजनीतिक हलकों में एक चर्चा बहुत तेजी से चल पड़ी है कि ऐसा भी नया प्रयोग किस काम का जिसमें सैकड़ो लोगों के संघर्ष को तिलांजलि दे दी जाए। निश्चित तौर पर मोहन यादव अच्छे व्यक्ति हो सकते हैं अच्छे वक्ता हो सकते हैं अच्छे कार्यकर्ता हो सकते हैं लेकिन मोहन यादव की बदौलत मध्य प्रदेश के अंदर 2023 के चुनाव में उज्जैन दक्षिण के अलावा दूसरी सीट जिताने में मोहन यादव की क्या भूमिका हो सकती है। एक दर्जन से अधिक महत्वपूर्ण नेताओं को साइड लाइन लगाने का जो खेल खेला गया है उससे कई नेता आहत है बोले भले कुछ न। लेकिन जिस तरीके से वरिष्ठता श्रेष्ठता और योग्यता को रौंदते हुए भारतीय जनता पार्टी का शीर्ष नेतृत्व मुख्यमंत्री का नाम फाइनल कर रहा है उसे देखते हुए तो एक ही बात कही जा सकती है कि यहां भी आरक्षण की तरह ही प्रयोग किया जा रहा है सौ में 95 नंबर पाने वाला व्यक्ति प्रतियोगिता से बाहर है और 30 नंबर से भी कम पाने वाला व्यक्ति इस देश में महत्वपूर्ण परीक्षाओं में पास होकर अग्रिम पंक्ति में बैठा हुआ है मध्य प्रदेश राजस्थान छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री का चयन देखने के बाद तो यही लगता है अब राजनीति में भी पराक्रम के दिन गए अब कोई नेता अगर ऐसा समझता है कि वह बहुत बड़ा पराक्रमी है अपने दम पर पूरे मध्य प्रदेश में सरकार बना लेगा अपने दम पर विधायकों को जिता लायेगा अच्छी बात है लेकिन इसके बाद भी वह मुख्यमंत्री नहीं बन पाएगा। कमोवेश शिवराज सिंह के मामले में तो यही कहा जा सकता है शिवराज सिंह को मुख्यमंत्री नही बनाया था तो कैलाश विजयवर्गीय को बना देते क्योंकि कैलाश विजयवर्गीय ने भी मालवा क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की महाकौशल क्षेत्र में प्रहलाद पटेल ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की लेकिन जिस तरीके से भारतीय जनता पार्टी के अंदर अजीबोगरीब खेल चल रहा है आने वाले समय में कहीं इसके दुष्परिणाम न भोगने पड़े। विधानसभा चुनाव के पहले शिवराज सिंह चौहान ने लाडली बहना का दांव खेल कर सत्ता पर एक बार पुन: काबिज होने की उम्मीद पाल ली थी। मध्य प्रदेश के अंदर बंपर बहुमत भी मिल चुका था लेकिन जिस तरीके से शिवराज सिंह की अवहेलना हुई उसे देखते हुए तो लाडली बहना भी पूरी तरह से मौन हैं और आपस में पूछ रही है कि आखिरकार यह मोहन यादव कौन है। इतना ही नहीं कुछ लाडली बहना तो हैरान परेशान भी हैं। कुछ लाडली बहना तो शिवराज सिंह के बंगले पहुंच गई और वहां रोने लगी। शिवराज सिंह के बंगले का वह दृश्य निश्चित तौर पर काफी भावुक कर देने वाला था। ऐसे में शिवराज सिंह भी अपने आप को नहीं संभाल पाए वह भी भावुक हो गए लाडली बहना ने यहां तक कह दिया कि हम आपको नहीं छोडऩे वाले ऐसे में पलट कर शिवराज सिंह ने भी कहा कि हम भी कहां छोड़ कर जा रहे हैं।




