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कांग्रेस से कौन होगा लोकसभा प्रत्याशी

सतना। 2024 में ही लोकसभा चुनाव होने हैं मध्य प्रदेश के अंदर मुख्य मुकाबला भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पार्टी के बीच में ही होना है ऐसे में दोनों ही पार्टियां अब प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया में जुट चुकी हैं। 2023 के विधानसभा चुनाव में जिस तरीके से तीन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी ने अपनी विजय पताका फहराई उसे देखते हुए कांग्रेसी खेमे में मायूसी और उदासी है विधानसभा चुनाव के दौरान जिस तरीके से बरसाती मेंढक की तरह नेता टिकट के लिए उतर रहे थे लोकसभा चुनाव में ऐसी स्थिति नहीं है पार्टी जबरदस्ती किसी को टिकट दे दे बात अलग है लेकिन कांग्रेस पार्टी के अंदर टिकट मांगने वालों की लंबी लाइन नहीं है। वहीं भारतीय जनता पार्टी के नेता यह मन कर चल रहे हैं कि यदि भारतीय जनता पार्टी की टिकट किसी ऐरे गैर नाथू खैरे को भी मिल जाएगी वह भी चुनाव जीत जाएगा। राजनीति की समझ रखने वाले लोग यह कहते सुने जाते हैं कि भारतीय जनता पार्टी की योजनाओं से वैसे भी आम जनता प्रभावित है वहीं दूसरी तरफ जिस तरीके से राम जन्म भूमि में रामलाल की स्थापना करके भारतीय जनता पार्टी ने सनातन धर्म का जो उभार पैदा किया है उससे वोटो का ध्रुवीकरण जरूर होगा। वोटो के ध्रुवीकरण की संभावना को देखते हुए कांग्रेस पार्टी के नेता डरे हुए दो-चार नेताओं को छोड़ दिया जाए तो कांग्रेस में टिकट मांगने वालों की संख्या बहुत कम है। राजनीतिक क्षेत्र में जिन नाम की चर्चा कांग्रेस पार्टी की तरफ से आ रही है उसमें पहला नाम सतना विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा का आ रहा है भारतीय जनता पार्टी की लहर में जिस तरीके से सिद्धार्थ कुशवाहा ने जीत दर्ज की उसे देखते हुए कांग्रेस पार्टी का शीर्ष नेतृत्व उन्हें जनाधार वाला नेता मानने लगा है।
कांग्रेस पार्टी जब टिकट बांटेगी तो उसमें सिद्धार्थ कुशवाहा के नाम को अनदेखा नहीं किया जा सकता कुछ लोग यहां तक कहते हैं कि सिद्धार्थ कुशवाहा अपनी पत्नी को भी लोकसभा चुनाव लड़ा सकते हैं अब इस बात में कितनी सच्चाई है यह तो सिद्धार्थ कुशवाहा ही जाने लेकिन पूरे सतना जिले में इस बात की चर्चा तो तेज हो गई है कि सिद्धार्थ कुशवाहा लोकसभा का भी चुनाव लड़ सकते हैं इसके पीछे जो तर्क दिए जा रहे हैं वह भी काबिले तारीफ है सिद्धार्थ कुशवाहा का अपने सजातीय वोटो पर अच्छा प्रभाव है इस हिसाब से उन्हें अपने समाज का थोक में वोट मिल सकता है इसके अलावा मुस्लिम वोटर भी थोक के भाव में कांग्रेस के साथ जा सकते हैं इसके अलावा चुनाव के दौरान जो तत्कालीन समीकरण बनेंगे इसका लाभ जितनी चतुराई से सिद्धार्थ कुशवाहा उठा पाएंगे वह भी उन्हें मिल सकता है यदि भारतीय जनता पार्टी किसी सामान को टिकट देगी तो चुनाव पूरी तरह से जातिगत भी हो सकता है क्योंकि सतना जिले का चुनाव इस तरीके से कई बार जातिगत रंग दिखा चुका है। अगर अजय सिंह राहुल की चली तो सिद्धार्थ कुशवाहा की टिकट कट भी सकती है और अजय सिंह राहुल चित्रकूट के पूर्व विधायक नीलांशु चतुर्वेदी या कांग्रेस के ग्रामीण जिला अध्यक्ष दिलीप मिश्रा के लिए टिकट की लाबिंग कर सकते हैं। यदि दिलीप या नीलांशु चतुर्वेदी को कांग्रेस की टिकट मिलती है तो इन्हें सजातीय वोटो का लाभ तो मिलेगा लेकिन सतना जिले के अंदर पूरा ब्राह्मण वोट किसी भी नेता को नहीं मिल सकता ब्राह्मण अपने आप में बैठे हुए हैं और ज्यादातर भारतीय जनता पार्टी के समर्थक बताए जाते है। हां मुस्लिम मतदाताओं का कांग्रेस के प्रत्याशियों को पूरा वोट मिलेगा। लेकिन ऐसे में बहुत संभव है कि कुशवाहा समाज का वोटर कांग्रेस से कट जाए। जहां तक रही नीलांशु चतुर्वेदी की बात तो इनके संपर्क कांग्रेस में शीर्ष नेतृत्व तक है लेकिन विधानसभा चुनाव हार चुके हैं ऐसे में पार्टी इन पर दाव लगाएगी जरा मुश्किल है। नीलांशु चतुर्वेदी पर एक आरोप है कि जब यह विधायक थे तो किसी का फोन ही नहीं उठाते थे यह जनता के बीच में स्थापित हो चुका है इसी वजह से नीलांशु चतुर्वेदी चुनाव हारे चुनाव हारने के बाद लोगों का फोन उठा रहे हैं कि नहीं स्पष्ट तौर पर तो नहीं कहा जा सकता लेकिन मुझे ऐसा लगता है कि चुनाव हारने के बाद नेताओं का अहंकार आसमान से जमीन पर तो आ ही जाता है और जिनका नहीं आता उनकी दुर्गति भी तय है। अब देखना यह है कि कांग्रेस सतना लोकसभा से किसे अपना प्रत्याशी बनती है।

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