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क्यों बैठे विधायक धरने पर

सतना। मध्य प्रदेश के अंदर भारतीय जनता पार्टी की सरकार है बावजूद इसके भारतीय जनता पार्टी के ही विधायक सरकार के खिलाफ धरने पर बैठ रहे हैं इससे एक बात साफ जाहिर होती है की अपनी ही सरकार में भारतीय जनता पार्टी के विधायकों की नहीं सुनी जा रही है। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी के विधायकों के सामने बड़ा अंतर द्वंद रहता है। यदि सरकार के खिलाफ धरना नहीं देते तो जनता खिलाफ हो जाती है यदि जनता के समर्थन में धरना देते हैं तो सरकार विधायकों को आधे हाथ लेती है ऐसे में विधायकों के सामने बड़ी मुश्किल आती है फिर भी विधायक यह मानकर चलते हैं की जनता रूठ गई और भारतीय जनता पार्टी ने टिकट भी दे दिया तो चुनाव हार जाएंगे इसलिए जो जमीनी नेता है वह एक बार पार्टी और सरकार से विरोध ले लेते हैं लेकिन जनता के समर्थन में हमेशा खड़े रहते हैं। मऊगंज जिले के भारतीय जनता पार्टी के विधायक प्रदीप पटेल अपनी सरकार के खिलाफ सहकारिता कार्यालय में जाकर धरना दे दिया उन्होंने बताया की 3000 से भी अधिक हितग्राही है उनकी मुश्किलें बड़ी है क्योंकि वह अपने ही पैसे बैंक से नहीं निकाल पा रहे हैं जब किसानों ने अपनी समस्या विधायक से बताई तो विधायक जी सहकारिता कार्यालय में जाकर धरने पर बैठ गए। दूसरा मामला जबलपुर का जहां बिजली अधिकारियों से जबलपुर के कई विधायक नाराज हो गए जिसमें अभिलाष पांडे अजय बिश्नोई और अशोक रूहानी सहित भाजपा के पदाधिकारी ने 6 घंटे तक पुलिस थाने के सामने धरना दिया। बिजली अधिकारियों की शिकायत थी कि भारतीय जनता पार्टी के एक पार्षद सहित कई लोगों ने आकर बिजली ऑफिस में तोडफ़ोड़ की जिसके चलते भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के ऊपर एफआईआर की गई। तीसरा मामला शिवानी का यहां के स्थानिक विधायक दिनेश राय ने गायों का शव मिलने के बाद प्रशासन के खिलाफ सडक़ पर धरना दिया उनका कहना है कि आरोपियों के घर पर बुलडोजर चलाया जाए। जिस तरीके से भारतीय जनता पार्टी के विधायक मुखर हो रहे हैं और सरकार अपने ही विधायकों की बात नहीं सुन रही है इसका अर्थ और मतलब क्या निकल जाए जब अपनी सरकार में विधायकों की नहीं सुनी जाएगी तो जनता में इसका गलत असर पड़ता है आज तो सरकार स्पष्ट बहुमत में है लेकिन जब भी अगले चुनाव होंगे तो जनता स्थानीय विधायक को इसलिए महत्व नहीं देगी कि इन्हें तो उनकी सरकार ही महत्व नहीं देती ऐसे में यदि भारतीय जनता पार्टी को भविष्य में जनता के बीच में अपनी पैठ बनाए रखना है तो उन्हें भारतीय जनता पार्टी के अपने ही विधायकों को महत्व तो देना पड़ेगा।

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