ताजा ख़बरें

देखिए सतना का लूला लंगड़ा विकास

सतना। बीते दो वर्षों में स्मार्ट सिटी के नाम पर सतना की इतनी छीछा लेदर हो चुकी है यदि इस बात का रिकॉर्ड बनाया जाता तो शायद सतना पूरे देश के अंदर छिछालेदर के मामले में प्रथम स्थान अर्जित करता। स्मार्ट सिटी के नाम पर जितने भी निर्माण कार्य हुए अधिकारी नेता चाहे कुछ भी कह ले लेकिन उन निर्माण कार्यों में गुणवत्ता नहीं है।
सीवर लाइन के नाम पर जो भी काम सतना शहर में किया गया वह पूरी तरह से सतना शहर के लोगों को मौत के मुंह में धकेलने का काम है। सीवर लाइन जिन भी सडक़ों में बिठाई गई है और वहां जब दोबारा सडक़ बनाई गई है तो इस बात का डर बना रहता है कि कब कौन सी गाड़ी सडक़ में घुस जाए इसके अलावा जो भी चेंबर सडक़ पर बनाए गए हैं कई चेंबर तो आधे फूट चुके हैं कई चेंबर सडक़ से आधा ऊपर उठे हैं जिन लोगों के पास फॉर्च्यूनर जैसी गाड़ी है उनका कुछ नहीं बिगडऩे वाला लेकिन जिन लोगों के पास छोटी कार है मोटरसाइकिल है वह लोग आने वाले समय में उठे हुए चेंबरों में दुर्घटनाग्रस्त होंगे लेकिन इतना सब कुछ देखने के बाद भी बेहयाई का यह आलम है कि ना तो नेता कुछ बोलना चाहते अधिकारी तो भला कुछ बोलना ही नहीं चाहता उसे तो सिर्फ अपने कमीशन से मतलब है। 30 नवंबर को सतना शहर में विकास का एक नया नमूना देखने को मिला कृष्णनगर से रीवा रोड बस स्टैंड को जोडऩे वाली सडक़ में क्राइस्ट ज्योति स्कूल के सामने एक कार गड्ढे में इसलिए घुस गई की विकास का जो आधुनिक मॉडल सतना शहर की स्मार्ट सिटी में बनाया गया है उसे कायदे से देश के हर नगर निगम के लोगों को आकर देखना चाहिए और उसे अपने शहर में भी लागू करना चाहिए क्योंकि भ्रष्टाचार का इससे अच्छा मॉडल पूरे देश के अंदर आपको देखने में कहीं नहीं मिलेगा। भारतीय जनता पार्टी के लोग पंचायत से लेकर लोकसभा तक सिर्फ विकास और विकास की बात करते हैं लेकिन जिस तरीके का विकास सतना शहर में दिखाई पड़ रहा है वह विकास लूला है लंगड़ा है आविकसित है, भ्रष्टाचार में अंकठ डूबा है।
अफसोस इस बात का होता है कि इतना सब कुछ देखने के बाद भी संस्कार और संस्कृत वाली भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का जमीर क्यों मर जाता है आम आदमी दुर्घटनाग्रस्त हो रहे हैं तो नेताओं को कोई फर्क नहीं पड़ता यदि इस कायनात में भगवान है तो मेरी भगवान से यही प्रार्थना है कि जिस तरीके का लूला लंगड़ा विकास सतना शहर में हो रहा है उसे लूले लंगड़े विकास में यदि नेताओं के भी घर परिवार के लोग प्रभावित है उन नेताओं के घर परिवार की भी गाडिय़ां गड्ढे में घुसे तो हो सकता है उन्हें भी कोई दर्द हो अन्यथा दर्द का एहसास तो आसानी से किसी को होता नहीं दर्द का वास्तविक एहसास तभी होता है जब उसे दर्द का पहाड़ खुद के ऊपर टूटता है।

Related Articles

Back to top button
Close