सागर में कांग्रेस की सरकार

सतना। मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह सागर जिले के रहने वाले हैं और इस समय सरकार के विरोध में काफी मुखर है भूपेंद्र सिंह इतने मुखर हैं कि कांग्रेस भी इतनी मुखर नहीं दिखाई देती। भूपेंद्र सिंह तो यहां तक कह रहे हैं कि सागर में कांग्रेस की सरकार है यहां पर यह बताना उल्लेखनीय है की भूपेंद्र सिंह को इस बार मंत्री नहीं बनाया गया है वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक गोविंद सिंह राजपूत सागर जिले के ही रहने वाले हैं और वह मोहन यादव की सरकार में कैबिनेट मंत्री है और इस समय सागर जिले में भूपेंद्र सिंह के मंत्री न रहने के कारण उतनी नहीं चल रही है एक जमाना था की मध्य प्रदेश की सरकार में सागर जिले से तीन मंत्री हुआ करते थे गोपाल भार्गव गोविंद सिंह राजपूत और भूपेंद्र सिंह आज की तारीख में सिर्फ गोविंद सिंह राजपूत ही मंत्री है गोपाल भार्गव और भूपेंद्र सिंह मंत्री तो बनना चाहते हैं लेकिन बन नहीं पा रहे हैं। भूपेंद्र सिंह न सिर्फ सडक़ पर अपने तेवर दिखा रहे हैं बल्कि विधानसभा सत्र में भी उन्होंने सरकार को आड़े हाथों लिया। इतना ही नहीं भूपेंद्र सिंह ने भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा के ऊपर भी कटाक्ष किया। राजनीति के बारे में कहा जाता है कि राजनीतिक सेवा के लिए होती है लेकिन भूपेंद्र सिंह की बेचैनी और बेताबी देखते हुए यह लग रहा है की राजनीति सत्ता के लिए होती है।
आज भले ही भूपेंद्र सिंह गोविंद सिंह राजपूत के ऊपर टीका टिप्पणी करें लेकिन उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि यदि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने दल बदल नहीं किया होता और गोविंद सिंह राजपूत जैसे लोग टूट कर भारतीय जनता पार्टी में नहीं आए होते तो आज की तारीख में कांग्रेस प्रदेश में सरकार चला रही होती। आज भूपेंद्र सिंह जी ने बाहरी कह रहे हैं या कांग्रेसी कह रहे हैं यदि वह बाहरी होते और कांग्रेसी होते तो शायद आज की तारीख में भारतीय जनता पार्टी एक बार पुन: सत्ता में आती इस बात पर संदेह है।
अब सवाल यहां पर यह उठता है कि जब शिवराज सिंह ज्योतिरादित्य सिंधिया के दल बदल के बाद मुख्यमंत्री बनते हैं और उसे मंत्रिमंडल में भी भूपेंद्र सिंह और गोविंद सिंह राजपूत मंत्री रहते हैं दोनों ने आपस में सामंजस्य और समन्वय के साथ सरकार चलाया इस मंत्रिमंडल में भूपेंद्र सिंह मंत्री नहीं है लेकिन सामंजस्य और समन्वय तो बनाया जा सकता है। कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी में जरा अंतर है कांग्रेस में गुटबाजी को महत्व दिया जाता है और गुटबाजी के साथ ही वहां नेता आनंद लेते हैं लेकिन भारतीय जनता पार्टी में प्रत्यक्ष तौर पर गुटबाजी को महत्व नहीं दिया जाता। भारतीय जनता पार्टी सत्ता को बनाए रखने के लिए संघर्ष करती है। जिंदगी में जैसे तमाम उतार चढ़ाव आते हैं ठीक उसी तरीके से राजनीति में भी बहुत सारे उतार चढ़ाव आते हैं कल तक जिनके विरुद्ध हम चुनाव प्रचार करते थे जिसे हम दोनों हाथ करते थे आज उन्हीं की जिंदाबाद बोलनी पड़ती है। भूपेंद्र सिंह और गोविंद सिंह राजपूत के बीच में जिस तरीके से लड़ाई चल रही है यदि उस समय रहते नहीं संभाला गया तो इसमें कोई दो मत नहीं है कि भारतीय जनता पार्टी की जनता के बीच में इमेज गिरेगी।