भ्रष्ट लोगों को क्यों बचा रहे हैं अधिकारी

सतना। भ्रष्टाचार के विरुद्ध एक मामला सभापुर थाने में 23 अप्रैल 2011 को ईओडब्ल्यू की जांच के बाद दर्ज हुआ था जिसमें आठ लोगों के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया मामले की शिकायत आनंद शर्मा ने की थी। इस पूरे मामले में सभापुर पुलिस ने आठ लोगों को आरोपी बनाते हुए चालान पेश कर दिया लेकिन चालान पेश करने के पहले अभियोजन स्वीकृति संबंधित विभाग के प्रमुखों से नहीं जबकि ऐसा करना चाहिए ऐसा क्यों किया गया इसे बेहतर ढंग से समझा जा सकता है इस पूरे मामले में 29 गवाही हो चुकी है अब मुलजिमों के बयान होने बाकी है। इस पूरे मामले में यू नॉट लोगों को आरोपी बनाया गया था उसमें माया सेन सरपंच थी हीरामणि यमुनोत्री सचिव थे मांगीलाल आज के मुख्य कार्यपरण अधिकारी मझगवां थे ओमप्रकाश मिश्रा एसडीओ रस जयपाल क्रिकेटर सभी इंजीनियर संतलाल प्रजापति सभी इंजीनियर शिव मूरत प्रसाद ग्रामीण और सुभाष प्रसाद सब इंजीनियर को मुलजिम बनाया गया था चालान पेश करने के बाद भी अभी कुछ दिनों पूर्व जिला पुलिस अधीक्षक ने कलेक्टर को एक पत्र लिखकर अभियोजन की स्वीकृति मांगी आश्चर्यजनक बात यहां पर यह है कि आठ आरोपियों में सिर्फ सचिन हीरामन अभिनेत्री के विरुद्ध अभियोजन की स्वीकृति दी गई अब सवाल यह उठता है कि जब एक व्यक्ति के विरुद्ध अभियोजन की स्वीकृति दी जा सकती है तो 7 लोगों के विरुद्ध क्यों नहीं दी गई जबकि इन 7 लोगों के विरुद्ध भी सभापुर थाने में मामला दर्ज है भ्रष्टाचार के इस मामले में जिस तरीके से जिम्मेदार अधिकारी मुख्य कार्यपालन अधिकारी मांगीलाल आज के ओमप्रकाश मिश्रा एसडीओ संतलाल प्रजापति सभी इंजीनियर और सुभाष प्रसाद सब इंजीनियर को बचाने का काम कर रहे हैं वह कहीं न कही से उचित तो नहीं कहा जा सकता जब द्गश2 ने जांच करके भ्रष्टाचार को प्रमाणित पाया और उसके बाद सभापुर थाने में मामला दर्ज कराया गया तो आखिरकार जिम्मेदार अधिकारी भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने का काम क्यों कर रहे हैं हालांकि इस पूरे मामले में बरखेड़ा निवासी आनंद शर्मा पूरी शिद्दत के साथ पर भी कर रहे हैं और उम्मीद की जा रही है कि वह भ्रष्टाचार के विरुद्ध इस लड़ाई को अंतिम मुकाम तक ले जाएंगे। आनंद शर्मा इस पूरी लड़ाई को किस तरीके से लड़ रहे हैं और इस लड़ाई के कितने साक्ष्य उनके पास है।