देश के कृषि मंत्री जी युवाओं से नहीं किसानों से खाद की बात करिए…..

देश के कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान आपका विंध्य के प्रवेश द्वार सतना में हार्दिक स्वागत है अभिनंदन है लेकिन दिल की बात कहूं तो ना तो स्वागत करने की इच्छा हो रही है ना तो अभिनंदन करने की, अब आपको लग रहा होगा कि मैं ऐसा क्यों कह रहा हूं अगर आप अपने दिमाग पर जोर डालेंगे तो पता तो आपको भी चल जाएगा लेकिन मैं कोई बात छुपाना भी नहीं चाहता। पूरे मध्य प्रदेश के अंदर किसान खाद के लिए न सिर्फ लाइन में लगा हुआ है बल्कि पुलिस के डंडे भी खा रहा है भगदड़ में लोग घायल भी हो रहे हैं दिनभर भूखे प्यासे रहकर लाइन में लगते है उसके बाद भी उन्हें खाद नहीं मिलती उसके बाद उन्हें मिलता है टोकन और उस टोकन के बाद खाद कब मिलेगी अभी सुनिश्चित नहीं है। सत्ता के शामियाने में बैठने के बाद किसानों के कराहने की आवाज भला आप सुन भी कैसे पाएंगे लोग कहते हैं कि जब सत्ता की सुगंधित सेज पर लोग लेट जाते हैं तो उन्हें पीड़ित व्यक्तियों की, लाचार ,हैरान ,परेशान व्यक्तियों की आवाज सुनाई नहीं पड़ती। अखबार तो आप भी पढ़ते होंगे ऐसा कौन सा दिन है जिस दिन अखबारों में किसानों को खाद नहीं मिल रही है यह समाचार सुर्खियां ना बनता हो , टीवी तो आप भी देखते होंगे टीवी चैनलों में भी किसानों को खाद नहीं मिल रही है ,किसानों के विरुद्ध लाठी चार्ज किया जा रहा है, भगदड़ मच रही है यह समाचार आप भी देखते होंगे लेकिन इतना सब कुछ देख लेने की बाद भी आप चुप रह जाते आप इस अव्यवस्था को सुधारने का कोई प्रयास नहीं करते यह जानकर सुखद आश्चर्य होता है । आपको मध्य प्रदेश का संवेदनशील मुख्यमंत्री माना जाता था लेकिन अब आप देश के कृषि मंत्री हैं मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं पूरे देश की खाद समस्या भले ही आप न दूर कर पाए लेकिन कम से कम आप मध्य प्रदेश के निवासी हैं इसलिए आपका नैतिक कर्तव्य बनता है कि मध्य प्रदेश के किसानों को कम से कम खाद की परेशानी उठानी पड़े । मध्य प्रदेश के 29 सांसद है पूरे प्रदेश में खाद का संकट है लेकिन 28 सांसदों ने अपने जुबान पर टेप लगा रखा था मध्य प्रदेश के अंदर इकलौते सांसद गणेश सिंह थे जिन्होंने खाद समस्या को लेकर पत्र लिखा । कांग्रेस ने इस पत्र का मजाक उड़ाया लेकिन अगर गहराई और ईमानदारी से सोचा जाए तो खाद किसी सांसद के घर में नहीं बनती, किसान की परेशानी को देखने के बाद अगर उन्होंने पत्र लिखा तो कम से कम अपने सरकार के विरुद्ध पत्र लिखने की दिलेरी तो दिखाई । जब आप मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तो आपके हर भाषण पर जनता दाद देती थी आज वही जनता आपसे खाद की उम्मीद कर रही है लेकिन आप किसानों को खाद नहीं दे पा रहे हैं आप कृषि मंत्री होकर युवा संसद में व्याख्यान देने आ रहे हैं एक राष्ट्र एक चुनाव की बात करने आ रहे है । आप सब कुछ करिए जो मने वह करिए लेकिन कम से कम जिस विभाग की जिम्मेदारी आपके ऊपर है उस विभाग की जिम्मेदारी का निर्वाह सही ढंग से करिए । एक तरफ प्रदेश का किसान खाद संकट से कराह रहा है दूसरी तरफ कृषि मंत्री होने के बाद आप पूरी तरह से इस संकट से बेफिक्र है अगर किसान हैरान परेशान है तो आने वाले चुनाव में किसान इस परेशानी का बदला चुका सकते हैं सिर्फ लाडली बहन को ₹1500 देकर आप पूरे प्रदेश में अराजकता का माहौल पैदा कर दें यह प्रदेश की जनता कब तक बर्दाश्त करेगी ,माना कि आपने लाडली बहनों को ₹1500 दे दिया लेकिन ₹1500 दे देने के बाद खाद नहीं देंगे ,पानी नहीं देंगे, लाइट नहीं देंगे, सड़क नहीं देंगे । प्रदेश की जनता हर चीज बर्दाश्त करती है लेकिन अराजकता बर्दाश्त नहीं करती याद करिए दिग्विजय सिंह का वह दौर जब दिग्विजय सिंह को जनता ने दूसरी बार मुख्यमंत्री बनने का आशीर्वाद दिया लेकिन उस आशीर्वाद को दिग्विजय सिंह ने गंभीरता से नहीं लिया । जनता के उसे आशीर्वाद को उन्होंने अपना अधिकार समझा लिया और उस अधिकार के चलते प्रदेश को उन्होंने अराजकता के मुहाने पर खड़ा कर दिया न प्रदेश में लाइट थी न सड़क थी । जनता आधी रात तक पंखा हांकती थी, सड़क पर चलने पर हिचकोले लेती थी उस दौर के बाद कांग्रेस सत्ता से कितने वर्षों तक दूर रही यह बताने की जरूरत किसी भारतीय जनता पार्टी के नेता को नहीं । कमलनाथ के नेतृत्व में दोबारा सरकार बनी थी तो कमलनाथ का अहंकार सरकार ले डूबा । इसलिए कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान जी आपसे मेरा विनम्र आग्रह है कि इस चिलचिलाती धूप में हैरान परेशान होने के बाद भी किसान को खाद नहीं मिलेगी तो किसान अपने आत्म सम्मान का बदला जरूर चुकाएगा इसलिए किसान जितनी विनम्रता जितनी सहजता से भारतीय जनता पार्टी को आशीर्वाद दे रहा है उस सहजता और उस आशीर्वाद को आप अपना अधिकार मत समझिए उसे खाद उपलब्ध कराइए । जिस तरीके से आज की तारीख में लोगों को आसानी के साथ रसोई गैस का सिलेंडर मिल रहा है ठीक उसी तरीके से किसानों को खाद की बोरियां उपलब्ध होने लगे । निश्चित तौर पर यह किसान दिल खोलकर आपके आशीर्वाद देगा नहीं तो याद रखिएगा हर 5 साल बाद चुनाव आता है आप लाडली बहनों का पैसा तो बढ़ा सकते हैं लेकिन किसानों का आत्म सम्मान नहीं खरीद सकते । बड़े दुख और बड़े आश्चर्य के साथ कहना पड़ रहा है कि कृष प्रधान देश में जब किसानों को खाद ही ना मिले तो 7 दशक में इस देश की सरकारों ने कितनी तरक्की की है और कैसी तरक्की की है यह सिर्फ दिखावा और सोशेबजी लगती है ।




