श्रीनिवास कि प्रतिमा का असली विरोधी कौन

राजनीति के रंगमंच में मैंने किसी भी नेता को टाइगर के नाम से संबोधित करते हुए न तो सुना और न ही देखा । देश की राजनीति में एक अलग तरह की छवि रखने वाले श्री निवास तिवारी को पूरा देश व्हाइट टाइगर के नाम से जानता था । अब सवाल यह उठता है कि श्री निवास तिवारी को लोग वाइट टाइगर क्यों कहते थे । उन्हें जानने वालों का ऐसा कहना है श्रीनिवास तिवारी को सफेद रंग से बड़ा लगाव था । सफेद कार सफेद वस्त्र सफेद बिस्तर यहां तक कि राजनीति चमक दमक में उन्होंने अपने बालों पर कभी कलर नहीं किया । श्रीनिवास तिवारी की हर फोटो में आप उन्हें सफेद बाल सफेद भौंह के साथ ही उन्हें देखेंगे । सफेद शेर सबसे पहले दिन क्षेत्र में ही पाया गया था। श्रीनिवास तिवारी के अंदर शेर जैसी फुर्ती , शेर जैसी आक्रमकता , यह तक की अपने विरोधी का शिकार करने में भी श्रीनिवास तिवारी शेर जैसे ही झपट्टा मरते थे । श्रीनिवास तिवारी का जन्म 17 सितंबर 1920 को रीवा जिले के सिवनी गांव में मंगल दीन तिवारी के यहां हुआ था श्रीनिवास तिवारी की माथा का नाम कौशल्या के उनकी शादी श्रवण कुमारी से हुई । श्रीनिवास तिवारी दो लगा मध्य प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष रहे । रीवा जिले के अंदर विवाह तमाम परियोजनाओं के प्रणेता श्रीनिवास तिवारी ही रहे । रीवा जिले के तमाम कांग्रेस आज भी उन्हें बड़े आदर की निगाह से देखते हैं। रीवा में बीएसएफ चौराहे पर स्वर्गीय श्रीनिवास तिवारी की प्रतिमा का अनावरण 17 सितंबर 2025 को होना था प्रतिमा बन भी गई लेकिन जब उसे प्रतिमा को स्थापित करने के लिए bsf चौराहे पर नगर निगम ने काम का शुरू किया तो पुलिस ने काम को रोक दिया और कहा किया जमीन पुलिस विभाग की है। इसे देखते हुए यह बात अब साबित हो चुकी है कि कांग्रेस के लोग बीएसएफ चौराहे पर श्रीनिवास तिवारी की प्रतिमा स्थापित करना चाहते है और सत्ता पक्ष के लोग अघोषित रूप से इस प्रतिमा को बीएसएफ चौराहे पर स्थापित नहीं होने देना चाहते। मैं अघोषित रूप से इसलिए कह रहा हूं की सरकार का कोई नुमाइंदा घोषित रूप से श्रीनिवास तिवारी की प्रतिमा के स्थापना के विरोध में सामने नहीं आया लेकिन कांग्रेस के ग्रामीण जिला अध्यक्ष राजेंद्र शर्मा एक पत्रकार वार्ता करके यह कहते हुए सुनाई पड़ रहे हैं की प्रदेश के उपमुख्यमंत्री प्रतिमा नहीं लगने देना चाहते । अब इस बात में कितनी सच्चाई है यह तो राजेंद्र शर्मा ही जाने आइए सुनते हैं राजेंद्र शर्मा की पत्रकार वार्ता । श्रीनिवास तिवारी की प्रतिमा की स्थापना का विवाद अब रीवा जिले की सरजमी से निकलकर प्रदेश स्तर का विवाद बन चुका है इस पूरे मामले में चुरहट के विधायक एवं प्रतिपक्ष के नेता रह चुके अजय सिंह राहुल ने भी अपना बयान जारी करते हुए कहा है की श्रीनिवास तिवारी की प्रतिमा की स्थापना के लिए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव को हस्तक्षेप करना चाहिए । अजय सिंह राहुल ने कहा कि अरविंद क्षेत्र की जनता का अपमान है 31 मार्च 2018 को सर्वसम्मति से नगर निगम परिषद रीवा द्वारा स्वर्गीय तिवारी जी की प्रतिमा एस चौराहे पर लगाने के लिए प्रस्ताव पारित किया गया था 30 दिसंबर 2022 को इसके लिए टेंडर जारी किया गया कार्य आदेश 20 सितंबर 2013 को जारी होने के बाद नगर निगम द्वारा मांगे जाने पर विद्युत विभाग सड़क विभाग प्राधिकरण एवं लोक निर्माण विभाग से आना पति प्रमाण पत्र भी जारी हुआ लेकिन पुलिस विभाग द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र न दिए जाने के कारण रोक दिया गया । अजय सिंह ने कहा कि जमीन तो मध्य प्रदेश शासन की ही है फिर चाहे वह नगर निगम की हो या पुलिस विभाग की हो इसमें तकनीकी कारण बताकर रोक-टोक करना अजय सिंह ने कहा स्वर्गीय श्रीनिवास तिवारी विंध्य की माटी के सपूत थे और वहां के सर्वमान्य का दवा नेता थे और मौके पर उनकी प्रतिमा की स्थापना में रोक-टोक किया जाना देश पूर्ण है उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करने की अपील की है ताकि प्रतिमा की स्थापना में आ रहे बेवधानों को दूर किया जा सके। रीवा शहर के महापौर ने प्रशासन को चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि श्रीनिवास तिवारी की प्रतिमा को स्थापित करने में व्यवधान पैदा किया गया तो आंदोलन होगा ।
रीवा के वरिष्ठ और महान नेता स्व. श्रीनिवास तिवारी की प्रतिमा स्थापना को लेकर जो विवाद खड़ा किया जा रहा है, वह न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है बल्कि विंध्य के गौरव और जनभावनाओं का अपमान भी है। नगर निगम परिषद ने सर्वसम्मति से प्रतिमा स्थापना का प्रस्ताव पास किया, लेकिन राजस्व विभाग ने रोक लगाकर यह साबित कर दिया कि राजनीति अब उस स्तर तक गिर चुकी है जहां नेताओं की वैचारिक विरासत से भी खिलवाड़ किया जा सकता है।
श्रीनिवास तिवारी सिर्फ कांग्रेस के नेता नहीं थे, बल्कि विंध्य की आत्मा और रीवा कीआवाज और पहचान थे। “सफेद शेर” कहे जाने वाले इस निर्भीक व्यक्तित्व ने जिस तरह प्रदेश की राजनीति को नई दिशा दी और गरीब, किसानों व आमजन के हक़ की लड़ाई लड़ी, वह आज भी स्मरणीय है। उनका सम्मान करना सिर्फ कांग्रेस की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि समूचे मध्यप्रदेश का कर्तव्य है।
प्रतिमा स्थापना पर रोक लगाना यह दर्शाता है कि कुछ लोग पर्दे के पीछे से ओछी राजनीति का खेल खेल रहे हैं। यह मानसिकता न केवल तिवारी जी के योगदान को छोटा करने की कोशिश है बल्कि रीवा की जनता की भावनाओं को ठेस पहुँचाने जैसा है।
जरूरत इस बात की है कि सरकार और संबंधित विभाग इस संकीर्ण मानसिकता को छोड़कर लोकतांत्रिक परंपराओं का सम्मान करें। राजनीतिक मतभेद अपने स्थान पर हो सकते हैं, लेकिन जननायकों का सम्मान दलगत सीमाओं से ऊपर होना चाहिए। श्रीनिवास तिवारी जैसे व्यक्तित्व को अपमानित करना विंध्य की अस्मिता को चुनौती देने जैसा है।
जनता यह भलीभाँति समझती है कि रोक लगाने के पीछे कौन-सी शक्तियाँ सक्रिय हैं। लेकिन याद रखिए, प्रतिमा को रोका जा सकता है, स्मृतियों को नहीं। *श्रीनिवास तिवारी सदैव विंध्य और प्रदेश की राजनीति में “सफेद शेर” के रूप में अमर रहेंगे।*श्रीनिवास तिवारी की प्रतिमा की स्थापना को लेकर भले ही कांग्रेस सक्रिय है लेकिन आज की तारीख में श्रीनिवास तिवारी के नाती सिद्धार्थ तिवारी भारतीय जनता पार्टी से ही त्यौंथर विधायक है कायदे से जिस तरीके से सरकारी अड़ंगा लगाया जा रहा है उसे कोई भी उचित नहीं कह रहा है लेकिन कई बार सट्टा का गुमान और अभिमान इसी तरीके से सर चढ़कर बोलता है । यह पहला अवसर नहीं है जब श्रीनिवास तिवारी का भारतीय जनता पार्टी के लोग विरोध कर रहे हैं इसके पहले भी रीवा के सांसद जनार्दन मिश्रा खुले मंच से श्रीनिवास तिवारी का विरोध लेकिन अब सवाल यह होता है कि श्रीनिवास तिवारी की प्रतिमा की स्थापना में पर्दे के पीछे से कौन-कौन लोग वास्तविक रूप से सक्रिय है इसे स्पष्ट रूप से तो नहीं कहा जा सकता लेकिन जनता के बीच में जो संदेश जा रहा है उससे कहीं ना कहीं भारतीय जनता पार्टी और भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की छवि निश्चित तौर पर धूमिल हो रही है।




