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सांसद जी बाबूपुर पंचायत को भ्रष्टाचार से बचाइए

सोहावल जनपद में जब से नए सीईओ आए हैं तब से भ्रष्टाचार की दुर्गंध आम लोगों के नाम तक पहुंचने लगी है और उसे दुर्गंध से लोग पीड़ित होने लगे हैं। सोहावल जनपद के सीईओ भ्रष्टाचार के भक्ति भाव में इस कदर डूब गए हैं कि नियम कानून कायदों को भी अपने पांव की जूती से रौंदने में भी कोई संकोच नहीं कर रहे हैं। जनपद सीईओ कार्यालय में भी उन्हीं लोगों को महत्व दिया जाता है जो इनके जाति के लोग हैं पेंशन महकमा रुचि बागड़ी देख रही है और स्वच्छता अभियान विष्णु बागरी देख रहे हैं। अभी हाल ताजमहल एक नया मामला आया बाबूपुर पंचायत का । सोहावल जनपद में 92 पंचायत है उसमें सबसे समृद्ध पंचायत है बाबूपुर अब सवाल यह उठता है कि आप लोगों को लग रहा होगा की समृद्ध पंचायत बाबूपुर क्यों है तो जान लीजिए की समृद्धि क्यों है बाबूपुर पंचायत में ही लोटस सिटी है बाबूपुर पंचायत में ही पेप्टिक सिटी है केप टाउन है एक्स है आदित्य कॉलेज है मनोज जैन मेमोरियल कॉलेज है और जो शहर की जमीन थी जो शहर का प्रोजेक्ट था वह क्षेत्र भी बाबूपुर पंचायत में ही आता है बाबूपुर पंचायत में जब भी कोई निर्माण होता है इसकी स्वीकृति के लिए जब ऑनलाइन फॉर्म भरा जाता है तो दो ₹4000 बाबूपुर पंचायत के खाते में रोज आ जाते हैं आज की तारीख में बाबूपुर पंचायत के पास 88 लख रुपए जमा है । अब इस 88 लख रुपए में सचिन लक्ष्मी नारायण शुक्ला की नजर लक्ष्मी नारायण शुक्ला पहले रामपुर 84 में थे इन्होंने ले देकर अपना स्थानांतरण बाबूपुर पंचायत में कर लिया लेकिन बाबूपुर पंचायत के सरपंच राहुल अहिरवार ने लक्ष्मी नारायण शुक्ला को ज्वाइन नहीं कराया क्योंकि राहुल अहिरवार को यह मालूम था की लक्ष्मी नारायण शुक्ला भ्रष्टाचार के भस्मासुर है यह जहां भी रहते हैं भ्रष्टाचार की वैतरणी इस तरीके से बहाते है कि भ्रष्टाचार के संदर्भ में यदि कुछ लिखा जाए तो एक किताब लिखी जा सकती है। लक्ष्मी नारायण शुक्ला को जब सरपंच राहुल अहिरवार ने नहीं ज्वाइन कराया तो सुहावल के जनपद सीईओ ने रोजगार सहायक अनिल दुबे को कहकर लक्ष्मी नारायण शुक्ला को ज्वाइन कर दिया लेकिन यह नियम विरुद्ध कोई भी रोजगार सहायक सचिव को ज्वाइन नहीं कर सकता यदि यह मामला कोई भी व्यक्ति लेकर कोर्ट में चला गया तो जनपद सीईओ को लेने के देने पड़ जाएंगे। या यूं कहे की लक्ष्मी नारायण शुक्ला की जॉइनिंग पूरी तरह से अवैध है कायदे से इस पूरे मामले में जिला पंचायत के सीईओ को भी संज्ञान लेना चाहिए। यदि समय रहते वरिष्ठ अधिकारी एवं नेताओं ने ध्यान नहीं दिया तो लक्ष्मी नारायण शुक्ला बाबूपुर पंचायत का 88 लाख रुपया खुर्द burd कर देंगे । हालांकि आज की तारीख में सतना जिले के अंदर ऐसी कोई पंचायत नहीं है जहां रोजगार सहायक और सचिव मिलकर व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार न कर रहे हैं लेकिन बाबूपुर पंचायत में जितना पैसा है उसे पंचायत पर सचिन लक्ष्मी नारायण शुक्ला की नजर घड़ी हुई है लक्ष्मी नारायण शुक्ला के विरुद्ध यदि कोई कार्यवाही नहीं हुई तो निश्चित तौर पर आने वाले समय में 88 लाख रुपया कब खत्म हो जाएगा लोगों को पता भी नहीं चलेगा ।

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