सिद्धार्थ के मंच से क्यों गायब रहे उपमुख्यमंत्री

क्या रीवा जिले के अंदर भारतीय जनता पार्टी में अंतरकलह है । ऐसा आम जनता को दिखाई पड़ रहा है क्योंकि 19 सितंबर को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव त्यौंथर के विधायक सिद्धार्थ तिवारी के बुलावे पर एक बड़े कार्यक्रम को संबोधित करने पहुंचे थे राजनीतिक हल्का में इस बात की थी चर्चा थी कि सिद्धार्थ तिवारी ने इस कार्यक्रम के माध्यम से प्रदेश के मुख्यमंत्री को अपनी ताकत का एहसास करने का प्रयास किया कि रीवा जिले में हम भी कुछ हैसियत रखते हैं हमारी भी कुछ ताकत है और जिस तरीके का कार्यक्रम त्यौहार में हुआ उसे देखते हुए कहीं ना कहीं मोहन यादव सिद्धार्थ तिवारी की काबिलियत से प्रसन्न भी हुए । सिद्धार्थ तिवारी के इस कार्यक्रम में मंगवाना के विधायक भी थे मऊगंज के विधायक प्रदीप पटेल गुड़ के विधायक नागेंद्र सिंह भी थे लेकिन प्रदेश के उपमुख्यमंत्री एवं रीवा के विधायक राजेंद्र शुक्ला एवं देवतालाब के विधायक गिरीश गौतम यहां से गायब थे यहां पर यह बताना उल्लेखनीय की गिरीश गौतम जीवन भर श्रीनिवास तिवारी के विरुद्ध चुनाव लड़ते रहे और श्रीनिवास तिवारी को पहली बार गिरीश गौतम नहीं चुनाव में पराजित किया था तो कहीं ना कहीं गिरीश गौतम श्रीनिवास तिवारी एवं उनके परिजन को अपना जन्मजात प्रतिद्वंदी मानते हैं । लेकिन आम जनता की दिमाग में यह सवाल जरूर उठ रहा है कि आखिरकार राजेंद्र शुक्ला तो अमहिया हाउस के मित्र माने जाते थे लेकिन केवट के विधायक सिद्धार्थ तिवारी के कार्यक्रम से राजेंद्र शुक्ला क्यों अनुपस्थित थे जबकि रीवा हवाई अड्डे पर राजेंद्र शुक्ला और गिरीश गौतम दोनों ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया उसके बाद के कार्यक्रम से इन दोनों लोगों ने दूरी क्यों बना दी यह बात आम जनता की समझ से परे है । रीवा जिले में ब्राह्मणों का राजनीति में वर्चस्व यदि पुराने रीवा जिले की बात करें तो आज की तारीख में तीन ब्राह्मण विधायक भारतीय जनता पार्टी से हैं तो एक विधायक कांग्रेस से है जिसमें रीवा से राजेंद्र शुक्ल त्यौंथर से सिद्धार्थ तिवारी और देवतालाब से गिरीश गौतम तथा सिमरिया से कांग्रेस के अभय मिश्रा विधायक है कुल मिलाकर के ब्राह्मण विधायकों की संख्या चार हो जाती है ऐसे में कहीं ना कहीं ब्राह्मण ही ब्राह्मण को लंगड़ी मार कर आगे जाने की कोशिश करता है । बीते चार-पांच साल की बात छोड़ दे तो प्रायः रीवा जिले की पद प्रतिष्ठा राजेंद्र शुक्ल के इर्द-गिर्द ही घूमती रही जब गिरीश गौतम विधानसभा अध्यक्ष बने तब राजेंद्र शुक्ला सिर्फ विधायक बनकर रह गए थे लेकिन मध्य प्रदेश के अंदर भारतीय जनता पार्टी का सीट से नेतृत्व राजेंद्र शुक्ल के अंदर ही विकास और भविष्य की संभावना देखा है इसलिए राजेंद्र शुक्ला पद प्रभाव में बने रहते हैं लेकिन सवाल यही उठता है कि सिद्धार्थ तिवारी तो अभी राजनीति में भी नए हैं और भारतीय जनता पार्टी में भी नए है लेकिन सिद्धार्थ तिवारी का राजनीतिक इतिहास पुराना है सिद्धार्थ तिवारी तीसरी पीढ़ी में राजनीति कर रहे हैं । सिद्धार्थ तिवारी के बाबा श्रीनिवास तिवारी राजनीति में थे उसके बाद सुंदरलाल तिवारी रीवा से सांसद एवं गुड़ से विधायक भी रहे सिद्धार्थ तिवारी तीसरी पीढ़ी में राजनीति कर रहे हैं इस हिसाब से देखा जाए तो सिद्धार्थ तिवारी लगातार तीसरी पीढ़ी के लेता है जबकि राजेंद्र शुक्ला पहली पीढ़ी में ही राजनीत कर रहे है । तेवर के राजनीतिक मंच में जिस तरीके से राजेंद्र शुक्ला और गिरीश गौतम ने दूरियां बनाई उसे देखकर जनता के मन में तमाम तरीके के सवाल है इसके अलावा त्यौंथर क्षेत्र में बैनर पोस्टर भी लगाए गए थे उसमें भी प्रदेश के उपमुख्यमंत्री गायब थे । कुछ लोग तो यह कहते भी सुने गए कि प्रदेश के उपमुख्यमंत्री को सिद्धार्थ तिवारी ने आमंत्रित ही नहीं किया था अब इस पूरी लड़ाई में इस पूरे कलह की वास्तविकता क्या है यह तो सिद्धार्थ तिवारी और राजेंद्र शुक्ला ही जाने लेकिन 19 तारीख के कार्यक्रम को लेकर रीवा जिले में इस तरीके की चर्चा आम लोगों की जुबान से सुनी जा सकती है।




