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श्रीनिवास के अंगूठे के नीचे रहे दिग्विजय सिद्धार्थ

श्रीनिवास तिवारी के पोते सिद्धार्थ तिवारी यदि कांग्रेस में सर्वाधिक किसी से चिढ़ते हैं तो उनका नाम है दिग्विजय सिंह क्योंकि 2023 के चुनाव में जब कांग्रेस ने सिद्धार्थ तिवारी को टिकट नहीं दी उसे पूरी भूमिका में सिद्धार्थ तिवारी कहीं ना कहीं दिग्विजय सिंह को मुख्य आरोपी मानते हैं क्योंकि जब दिग्विजय सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तब सिद्धार्थ तिवारी के बाबा श्रीनिवास तिवारी विधानसभा अध्यक्ष थे दोनों की केमिस्ट्री बहुत अच्छी थी दिग्विजय सिंह श्रीनिवास तिवारी को गुरुदेव कहा करते थे और सार्वजनिक रूप से चरण स्पर्श भी करते थे इसलिए सिद्धार्थ तिवारी को यह उम्मीद थी कि कुछ भी हो हमारी टिकट तो नहीं कटेगी लेकिन जब टिकट की लिस्ट सामने आई तो सिद्धार्थ तिवारी का नाम कांग्रेस की सूची में नहीं था फिर आनंद फानन में सिद्धार्थ तिवारी ने भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन कर ली । विधायक भी बन गए त्यौंथर से । सिद्धार्थ तिवारी 19 सितंबर को अपने बाबा श्रीनिवास तिवारी की प्रतिमा के अनावरण अवसर पर भले नहीं गए लेकिन प्रतिमा के अनावरण का श्रेय प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को दिया और कहा कि जिस तरीके का विवाद रीवा शहर में श्रीनिवास तिवारी की प्रतिमा को लगाने के संबंध में हुआ उन सारे विवादों को मेरे कहने पर तत्काल प्रभाव से खत्म कर दिया । इतना ही नहीं अपने भाषण में सिद्धार्थ तिवारी दिग्विजय सिंह को मौलाना दिग्विजय सिंह खाने से भी नहीं और अपने भाषण में यह भी कहा कि कांग्रेस श्रीनिवास तिवारी के साथ हमेशा न्याय करती रही जब श्रीनिवास तिवारी रीवा में संजय गांधी अस्पताल लेकर आए तो उनके मंत्री पद चला गया 1985 में उनकी टिकट काट दी गई और जब दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री बने तो हमारे बाबा श्रीनिवास तिवारी से यह कह कर गए थे कि आपको मंत्री बनाया जाएगा लेकिन बनाया गया विधानसभा अध्यक्ष। विधानसभा अध्यक्ष इसलिए बनाया गया था की श्रीनिवास तिवारी कमजोर हो जाएंगे लेकिन मेरे बाबा श्रीनिवास तिवारी ने अपने अंगूठे के नीचे दिग्विजय सिंह को 10 साल रखा। कांग्रेस को मुझे अच्छा कौन जानता है ।

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