फिर गरजे नारायण

नारायण त्रिपाठी बिना क्षेत्र के कैसे नेता है सत्ता में रहे तो भी बोलते हैं विपक्ष में रहे तो भी बोलते हैं और कहीं भी ना रहे तो भी बोलते हैं। कहने का अभिप्राय बिल्कुल साफ है कि जब नारायण त्रिपाठी भारतीय जनता पार्टी से विधायक थे तब भी भारतीय जनता पार्टी की सरकार को भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को भारतीय जनता पार्टी की रीति नीति को कटघरे में खड़ा करते थे । जब कांग्रेस के विधायक थे विपक्ष में थे तब भी सरकार की नीतियों के खिलाफ रहते थे कांग्रेस में रहकर भी कांग्रेस के नेताओं के खिलाफ रहते थे इसीलिए उन्होंने कांग्रेस विधायक रहते हुए दल बदल किया और भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए पिछले विधानसभा चुनाव में उन्हें भाजपा ने टिकट दी न कांग्रेस ने टिकट दिया मजबूरी में उन्होंने अपनी ही पार्टी से चुनाव लड़ा बुरी तरीके से हर उसके बाद लोकसभा का चुनाव बहुजन समाज पार्टी की टिकट पर लड़े लोग तो ऐसा आरोप लगाते हैं कि लोकसभा का चुनाव गणेश सिंह के इशारे पर नारायण त्रिपाठी लड़े थे जिससे गणेश सिंह की जीत सुनिश्चित हो सके । नारायण त्रिपाठी ने बहुजन समाज पार्टी अभी नहीं छोड़ी है मैहर के मुद्दों पर मैहर की समस्याओं पर समय-समय पर बोलते रहते हैं आंदोलन प्रदर्शन भी करते हैं 22 सितंबर को 10:00 बजे गोमती ठेला वालों के लिए लड़ाई लड़ने वाले हैं और उन्होंने जनता से अपील की है कि गोमती ठेले वालों की लड़ाई हम 22 सितंबर को 10:00 बजे घंटाघर चौराहे पर लड़ेंगे । बीते कुछ दिनों पहले गोमती ठेला वालों को प्रशासन ने हटाया था नारायण त्रिपाठी का कहना है कि ठेले वाले को देश की राजधानी दिल्ली और प्रदेश की राजधानी भोपाल में भी है यह किसी को हटाना है तो उनकी व्यवस्था पहले करनी चाहिए उसके बाद हटाना चाहिए नारायण त्रिपाठी ने मां शारदा मंदिर की आमदनी पर भी प्रस्तुत उठाएं लिए सुनते हैं नारायण त्रिपाठी आम जनता सेक्या अपील करते हैं।




