मध्य प्रदेश की दुर्गति का जिम्मेदार कौन

सतना। एक जमाना था जब राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय जनता पार्टी का संचालन मध्य प्रदेश के नेता करते थे कहीं ना कहीं भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व में मध्य प्रदेश की धमक होती थी मध्य प्रदेश के नेताओं से बिना पूछे भारतीय जनता पार्टी का शायद ही कोई निर्णय परवान चढ़ता रहा हो। एक दौर था जब भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अटल बिहारी वाजपेई हुआ करते थे राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विजय राजे सिंधिया हुआ करती थीं उसके बाद भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में कुशाभाऊ ठाकरे का नाम शामिल था, कुशभाऊ ठाकरे भी भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने प्यारेलाल खंडेलवाल भी भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं में शुमार हुआ करते थे बहुत सारे निर्णय में उनकी भूमिका हुआ करती थी लेकिन आज की तारीख में भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व में मध्य प्रदेश की शायद ही कोई भूमिका बची हो। कहने के लिए कैलाश विजयवर्गीय भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री हैं लेकिन उनके पास किसी भी राज्य का प्रभार नहीं है सत्यनारायण जटिया को संसदीय बोर्ड का सदस्य जरूर बनाया गया है लेकिन सत्यनारायण जटिया की हैसियत संसदीय बोर्ड में क्या होगी इसे सत्यनारायण जटिया से बेहतर कोई नहीं जान सकता। बहुत संभव है कि मध्य प्रदेश के कुछ लोग भारतीय जनता पार्टी के प्रकोष्ठों में राष्ट्रीय पदाधिकारी हो सकते हैं लेकिन उनकी पहचान शायद उनकी विधानसभा तक ही सीमित है। आखिरकार जिस तरीके से इस गुजरात लाबी ने भारतीय जनता पार्टी को हाईजैक करके मध्य प्रदेश के वजूद को खत्म करने का काम किया है उसके लिए मध्य प्रदेश का कौन सा नेता जिम्मेदार है यह सवाल अपने आप में महत्वपूर्ण है। मध्य प्रदेश के काद्यावर नेताओं में शिवराज सिंह चौहान, नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते का नाम लिया जा सकता है लेकिन भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के सामने इन नेताओं की हैसियत आज की तारीख में क्या है और इन नेताओं की हैसियत क्या बना दी गई यह भी अपने आप में एक बड़ा सवाल है। जिस तरीके से भारतीय जनता पार्टी परिवर्तन के दौर से गुजर रही है उसे देखते हुए तो यही कहा जा सकता है कि मध्य प्रदेश के बड़े नेताओं का बधिया करण किया जा रहा है और मध्य प्रदेश के बड़े नेता बड़ी सहजता के साथ इसे स्वीकार भी कर रहे हैं, अगर शिवराज सिंह चौहान को छोड़ दिया जाए तो कोई भी नेता इस अवस्था में नहीं है जो भारतीय जनता पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व का लेस मात्र भी विरोध करने की स्थिति में हो। भारतीय जनता पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व जिस तरीके से मध्य प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में प्रयोग कर रहा है उस प्रयोग के परिणाम के बारे में भी भारतीय जनता पार्टी का शीर्ष नेतृत्व भी जानता है और जो नेता गुमनामी के दौर में धकेला जा रहे हैं उन्हें भी अपना हश्र मालूम है लेकिन किसी भी व्यक्ति के अंदर कुछ भी करने का साहस नहीं है अधिकांश नेताओं की स्थिति तो वही हो चुकी है जिस तरीके से भीष्म पितामह की स्थिति हस्तिनापुर के सिंहासन के साथ थी। हिंदुस्तान के अंदर अधिकांश नेताओं की स्थिति अब यही हो चुकी है कि वे सिर्फ मौन रहकर तमाशा देखते रहे क्योंकि मध्य प्रदेश के अंदर जो भी भारतीय जनता पार्टी की लीडरशिप है उसके अंदर संभावनाए नहीं है ऐसा नहीं है लेकिन संभावनाओं को दरकिनार करके नई संभावनाएं तलाशी जा रही है यह अपने आप में महत्वपूर्ण है। नई संभावनाओं के चलते पुरानी संभावनाएं या तो मार्गदर्शक मंडल में जाकर मूक दर्शक बन जाए इसके अलावा किसी के पास कोई रास्ता नहीं है।