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श्रीनिवास तिवारी का वास्तविक राजनैतिक वारिस कौन

रीवा जिले में जिस तरीके से श्रीनिवास तिवारी की 17 सितंबर को प्रतिमा की स्थापना की गई उससे एक और बहस राजनीतिक हलकों में छिड़ चुकी है और लोग सवाल करने लगे हैं कि आखिरकार श्रीनिवास तिवारी का वास्तविकता में राजनीतिक बारिश कौन है डॉक्टर अरुण तिवारी या सिद्धार्थ तिवारी। यहां पर पहले यह बताना जरूरी है की डॉक्टर अरुण तिवारी श्रीनिवास तिवारी के पोते विवेक तिवारी बबला की पत्नी है। सिद्धार्थ तिवारी श्रीनिवास तिवारी के बेटे सुंदरलाल तिवारी के बेटे हैं आज की तारीख में श्रीनिवास तिवारी और सुंदरलाल तिवारी दोनों इस दुनिया में नहीं है। सिद्धार्थ तिवारी वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी 2023 के चुनाव में जब कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया तो ठीक चुनाव के पहले सिद्धार्थ तिवारी ने भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन कर ली और त्यौंथर से टिकट लिया भारतीय जनता पार्टी की लहर और श्रीनिवास तिवारी के प्रति उपज सहानभूत के चलते सिद्धार्थ तिवारी विधायक लेकिन 2023 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने पूरी तरह से तिवारी खानदान की उपेक्षा की लेकिन इस उपेक्षा के बाद भी अरुणा तिवारी ने कांग्रेस से बगावत नहीं की कांग्रेस को भी समझ में आ गया कि तिवारी परिवार की उपेक्षा करके रीवा में कांग्रेस का कद या कांग्रेस का जनआधार नहीं बढ़ाया जा सकता । इसलिए श्रीनिवास तिवारी की सौवीं जयंती पर डॉ अरुण तिवारी के संयोजक तत्व में श्रीनिवास तिवारी की प्रतिमा के स्थापना की तैयारी की गई और इस कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के तमाम हुए बड़े नेता शामिल हुए जिनके नाम पर आज कांग्रेस चल रही है जिसमें दिग्विजय सिंह जीतू पटवारी उमंग सिंगार अजय सिंह राहुल सिद्धार्थ कुशवाहा कमलेश्वर पटेल राजेंद्र सिंह और भी तमाम नेता। श्रीनिवास तिवारी की प्रतिमा की स्थापना के साथ-साथ इस बात की भी संभावना अब बलवती हो गई है कि भविष्य में जब भी कांग्रेस टिकट बांटेगी तो रीवा कि किसी न किसी सीट से डॉक्टर अरुण तिवारी को टिकट जरूर देगी । क्योंकि अब श्रीनिवास तिवारी के पोते सिद्धार्थ तिवारी भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो चुके हैं इसलिए हद से अब कांग्रेस को सिर्फ श्रीनिवास तिवारी के परिवार से एक टिकट देनी है। इस कार्यक्रम के पहले तक आम जनता और श्रीनिवास तिवारी के समर्थक यह मान चुके थे अब कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व श्रीनिवास तिवारी के परिवार के साथ नहीं है इसीलिए उसने 2023 में श्रीनिवास तिवारी के परिवार में किसी भी व्यक्ति को टिकट नहीं दी लेकिन जिस तरीके से 17 सितंबर को मध्य प्रदेश की पूरी कांग्रेस रीवा में श्रीनिवास तिवारी के चरणों में नतमस्तक थी उसे देखने के बाद तो ऐसा लगता है कि आने वाले भविष्य में कांग्रेस पार्टी श्रीनिवास तिवारी के परिवार में किसी न किसी व्यक्ति पर दाव जरूर लगाएगी । राजनीति में एक परिवार के लोग दो विभिन्न दलों में रहते हैं ऐसा पहली बार नहीं हो रहा। गांधी परिवार को ही ले लीजिए सोनिया गांधी कांग्रेस में है तो मेनका गांधी भारतीय जनता पार्टी राहुल गांधी कांग्रेस में है तो वरुण गांधी भाजपा में पहले सिंधिया घराने में भी यही बात थी वसुंधरा राजे भारतीय जनता पार्टी में थी तो ज्योति कांग्रेस में थे लेकिन एक विवाद के चलते आज की तारीख में ज्योतिरादित्य भी भारतीय जनता पार्टी में आ गए । देश के अंदर कई ऐसे परिवार थे जो दो दलों की राजनीति करते थे । कुछ दिनों तक रीवा में भी यही स्थिति थी दिव्यराज सिंह भारतीय जनता पार्टी में थे तो पुष्पराज सिंह कांग्रेस में । फिलहाल अब श्रीनिवास तिवारी के घराने में भी यही स्थिति बन चुकी है सिद्धार्थ तिवारी भारतीय जनता पार्टी में है तो श्रीनिवास तिवारी के ही परिवार की डॉक्टर अरुण तिवारी कांग्रेस में हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि श्रीनिवास तिवारी की राजनीतिक विरासत कौन संभालेगा सिद्धार्थ तिवारी या अरुणा तिवारी । श्रीनिवास तिवारी ने समाजवादी पार्टी से राजनीति शुरू की थी उसके बाद कांग्रेस में आ गए जब 1985 में उनकी टिकट कटी तब भी उन्होंने कांग्रेस नहीं छोड़ी ऐसा नहीं है कि कांग्रेस ने उनके साथ अन्याय नहीं किया कांग्रेस ने भी उनके साथ पर्याप्त न्याय किया लेकिन श्रीनिवास तिवारी अति महत्वाकांक्षी नहीं थे उन्होंने दल बदल पर कोई भरोसा नहीं किया। श्रीनिवास तिवारी की जब प्रतिमा स्थापित हो रही थी तब डॉक्टर अरुण तिवारी भी श्रीनिवास तिवारी की बातों को याद कर रही थी और जब 19 तारीख को त्यौहार में प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टरमोहन यादव पहुंचे और जब सिद्धार्थ तिवारी मंच पर बोलने पहुंचे तो उन्होंने भी अपने बाबा श्रीनिवास तिवारी का संस्मरण किया सिद्धार्थ तिवारी भी श्रीनिवास तिवारी के संस्मरण के साथ ही राजनीति कर रहे हैं और अरुण तिवारी भी अपने बाबा के संस्मरण के साथ ही राजनीति करना चाह रही है अब सवाल यह होता है कि श्रीनिवास तिवारी कर वास्तविकता में राजनीतिक बारिश कौन कहलाएगा हमारे का देने से कुछ होगा भी नहीं अब देखना यह होगा की जनता वास्तविकता में श्रीनिवास तिवारी का राजनीतिक वारिस किसे बनती है फिलहाल सिद्धार्थ तिवारी विधायक है और अरुण तिवारी अभी राजनीतिक रूप से संघर्ष कर रही है अरुण तिवारी भी भविष्य में विधायक या सांसद बनती हैं यह तो भविष्य के गर्त में छुपा हुआ है लेकिन जिस तरीके से 17 सितंबर को अरुण तिवारी गरजी अरुण तिवारी ने जिस तरीके से जनता को संबोधितकिया उसे एक बात तो साबित हो रही है कि अरुण तिवारी भी भविष्य में राजनीति में अपना कदम बढ़ाएंगी अब देखना यह है कि कांग्रेस अरुण तिवारी का कितना समर्थन करती है और उन्हें किस मुकाम तक ले जाती है।

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