दो नेता पहलवान, बाकी सब उतान

सतना। विंध्य क्षेत्र के अंदर दो ही नेता कद्दावर माने जाते हैं पहले गणेश सिंह और दूसरे राजेंद्र शुक्ला इस बात की बानगी मध्य प्रदेश की चुनाव प्रबंधन समिति से भी मिल गया। चुनाव प्रबंधन समिति में प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा ने गणेश सिंह को बतौर सदस्य नियुक्त किया है और उसके अलावा घोषणा पत्र समिति ने जिसका अध्यक्ष जयंत मलैया को बनाया गया है उसमें रीवा के विधायक राजेंद्र शुक्ला को सदस्य बनाया गया है इसके अलावा विंध्य क्षेत्र के अंदर भारतीय जनता पार्टी में किसी भी नेता की कोई औकात नहीं है किसी ने बनाया भी नहीं। जो जहां है वहीं मस्त है उसने अपनी छवि या अपने राजनैतिक आधार को बढ़ाने का काम नहीं किया लेकिन गणेश सिंह और राजेंद्र शुक्ला विंध्य के ऐसे नेता है जिन्होंने निरंतर अपने राजनीतिक कद को बढ़ाने का प्रयास किया मजेदार बात यह है कि यह दोनों नेता भारतीय जनता पार्टी की पृष्ठभूमि से नहीं है यह दोनों नेता भारतीय जनता पार्टी की रीति नीति से पहले वाकिफ भी नहीं थे। सांसद गणेश सिंह पहले जनता दल युवा के प्रदेश अध्यक्ष थे उसके बाद जनता दल में ही रहते हुए गणेश सिंह जिला पंचायत के अध्यक्ष बने बस यही से उनके राजनीतिक जीवन के उत्थान का सिलसिला शुरू हो जाता है आज की तारीख में विंध्य क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी जब भी कोई बात करती है या कुछ सोचती है या कोई रणनीति बनाती है तो उसमें कहीं ना कहीं गणेश सिंह से सुझाव मांगा जाता है । कमोबेश यही स्थिति राजेंद्र शुक्ल की भी है राजेंद्र शुक्ला कांग्रेस के रास्ते भारतीय जनता पार्टी में आए किसी जमाने में राजेंद्र शुक्ल युवक कांग्रेस में सक्रिय नेता माने जाते थे लेकिन वक्त के साथ उन्होंने समझौता किया और उन्होंने भाजपा की आने वाला समय भारतीय जनता पार्टी का है और उन्होंने भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन कर एक नए राजनीतिक सफर की शुरुआत की जहां उन्हें पर्याप्त सफलता भी मिली। राजेंद्र शुक्ला आज की तारीख में मध्य प्रदेश के मंत्रिमंडल में नहीं है लेकिन रीवा जिले के अंदर जब भी कोई उद्घाटन कोई भूमि पूजन होता है तो जिले में भले ही कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त लोग उपस्थित लेकिन जो आदर सत्कार राजेंद्र शुक्ला को रीवा में मिलता है वह आदर्श सत्कार किसी अन्य नेता को नहीं मिलता। मध्य प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव प्रबंधन समिति जिस तरीके से बनाई है उसमें गणेश सिंह और राजेंद्र शुक्ल की उपस्थिति यह बताती है कि विंध्य में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों को जीतने का बहुत कुछ भर इन्हीं दो नेताओं के कंधों पर आने वाला है । विंध्य के अंदर 30 विधानसभा सीट आती है वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी के पास 24 सीट है जिस तरीके से प्रदेश के अंदर भारतीय जनता पार्टी के विरुद्ध हवा बह रही है उस लहर में गणेश सिंह और राजेंद्र शुक्ला भारतीय जनता पार्टी का पुराना प्रदर्शन दोहरा पाए हैं या नहीं यह अपने आप में एक बड़ा सवाल है इसमें कोई दो मत नहीं है कि भारतीय जनता पार्टी लाख प्रयत्न कर ले लेकिन इस बार विंध्य से 24 सीट भाजपा को नहीं मिल पाएगी । पिछले बार के चुनाव में कांग्रेस के कई धुरंधर भी चुनाव हार गए थे लेकिन इस बार वे धुरंधर सतर्क है । इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी के तमाम नेताओं के कर्म भी भारतीय जनता पार्टी के हार का कारण बनेंगे। 2023 के चुनाव में जीत हार तो एक अलग विषय है लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने अपनी चुनावी प्रबंधन समिति की घोषणा करके विंध्य के इन दो नेताओं का महत्व तो बड़ा ही दिया है।



